When emotions overflow... some rhythmic sound echo the mind... and an urge rises to give wings to my rhythm.. a poem is born, my rhythm of words...
Saturday, December 27, 2008
परे !!
आओ इन ख्वाहिशों से परे
मन की उजली सी धूप में
जिंदगी से भी कुछ बातें करे!!
तेरे मेरे दिल के जो भी हो सवाल
सबके जवाब ढूंढे,समझे दिल का हाल
शिकवों से रखे दूरियां बनाकर
या कि सूझ बूझ से ये फासले भरे !!
न छीने तन्हाई से खामोशी का अपना पन
या कुछ देर के लिए छोड़ दे वहां मन
रु-ब-रु हो जाए एक दूजे से यूं
रह जाए न किसी कोने में लफ्ज़ बिखरे !!
सुलझने दे गर बात को बात से
सुबह को शाम से,शाम को रात से
सुलझ जाए उलझन गर मुलाकात से
न यूं जिंदगी फिर कभी ख्वाब बुनने से डरे !!
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10 comments:
achcha shabd sanyojan
achchi rachna
बहुत सुन्दर
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तख़लीक-ए-नज़र
http://vinayprajapati.wordpress.com
हाँ जी... एक मिनट... आपका नाम देख लूं..
पारुल जी... नमस्कार,
आज पहली बार आपको टिप्पणी लिख रहा हूँ. .
बात ये है कि आपकी कविता या गीत, जो भी है. मेरी मोटी बुद्धि ने समझने से इनकार कर दिया. इसके लिए "मैं" आपसे क्षमा चाहता हूँ.
मजाक कर रहा था. वैसे आपने बढ़िया लिखा है.
बढिया लिखा है।
bahut khubsurat likha hai. badhai. aap likhate rahe hum aate rahenge padne itni sunder dil ko chu lene wali panktiya....
bahot khub likha hai aapne....
bahut sundar
sundar rachna..
तेरे मेरे दिल के जो भी हो सवाल
सबके जवाब ढूंढे,समझे दिल का हाल
शिकवों से रखे दूरियां बनाकर
या कि सूझ बूझ से ये फासले भरे !!
बहुत ही सुंदर लिखा है...
शिकवे बहुत बुरे होते हैं क्या पारूल...शिकवे होंगे तो उलझने होंगी...उलझने होंगी तो सुलझानी होंगी...सुलझाने के लिए मुलाकाते होंगी...मुलाकातें तो अच्छी होती हैं ना...कविता अच्छी है...कितना कुछ सोच लिया इस पर
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