Sunday, December 7, 2008

कसक!!


छोड़ आया हू,जिंदगी को भटकने के लिए
वक्त की रहगुजर में तन्हाई चखने के लिए
आज सोचता हू,बैठी होगी किसी फुटपाथ पर
रोती होगी कहीं न कहीं उस हर बात पर
जो हर लम्हा दे रह होगा साथ रखने के लिए !!
आख़िर बदलने ही पड़े मुझे अपने रास्ते
मैं छोड़ आया न जाने उसको तन्हा किसके वास्ते
कितनी मजबूर होगी वो ख़ुद में सिमटने के लिए !!
साथ साथ जीने का ही तो किया था वादा
अब जीना ही नही, तो क्यों जिंदगी का इरादा
कोई मकसद भी नही अब पीछे हटने के लिए !!
न जाने कब बिखरा ख़्वाबों का घरोंदा
मुझे तो लम्हा दर लम्हा, ख्वाहिशों ने है रोंदा
मेरा वर्तमान है अतीत पर सिसकने के लिए !!

15 comments:

Unknown said...

हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है, खूब लिखें और नाम कमायें यही शुभकामनायें हैं… एक अर्ज है कि कृपया डेशबोर्ड में जाकर वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें, यह टिप्पणी देने में बाधक बनता है… धन्यवाद

रश्मि प्रभा... said...

पारुल जी एक बहुत ही बेहतरीन शुरुआत.......

roushan said...

हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत
उम्मीद है निरंतरता बनी रहेगी

!!अक्षय-मन!! said...

bahut acchi rachna.......

अमिताभ said...

very nice parul !!
keep it up .

with best compliments
amitabh

adil farsi said...

good..swagat ha aapka..bahut sundar rachna ha

Unknown said...

achhi or sarthak...shuruaat ke liye Badhai....Baddy...keep it up and keep doig well i ur life...
hey why dont u come at my blog it nice....yaar

have nice day.....


Jai Ho Magalmay ho....

रचना गौड़ ’भारती’ said...

आपने बहुत अच्छा लिखा है पारुल । मेरी पत्रिका पढे और लिखे।
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लि‌ए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

Parulji,
Apka vartaman ateet par sisakne ke liye naheen.Ye duniyan bahut hee khoobsurat hai..prakriti kee sunadarta ko dekhiye,use apne andar mahsoos kariye.Dekhiye apka soachne ka najariya badal jayega.
Mera kahne ka matlab yeh naheen hai ki main apke vicharon par koi comment kar raha hoon.
Main sirf ye kahna chahta hoon ki thoda ashavadee banen.
Vaise gazal bahoot hee khoobsooratee se snjoyee gayee hai.Iske sath hee sundar chitron ke liye bhee badhai.
Fir kahoonga apnee kavitaon ,geeton ko hindi kee achchhee patrikaon men bhee bhejiye.Shubhkamnayen.

पूनम श्रीवास्तव said...

Parul,
Apkee tajee rachana Kasak Bahut hee sundar shbdon men likhi gai hai.ye rachna to apne nam ke anukool hee dil men ek kasak paida karne vali hai.Badhai.
Kabhee mere blog par bhee aiye .Apka swagat hai.
Poonam

प्रकाश गोविंद said...

मैं छोड़ आया न जाने उसको तन्हा किसके वास्ते
कितनी मजबूर होगी वो ख़ुद में सिमटने के लिए

सुंदर !!!
भावपूर्ण रचना !!
आशा है आगे भी ऐसी ही संवेदनशील रचनाएं
पढने को मिलेंगी !!
मेरी हार्दिक शुभकामनाएं !!!

कभी समय हो तो मेरे ब्लॉग पर भी
दस्तक दीजिये ! आपका स्वागत है !!

vijay kumar sappatti said...

aapki ye kavita itni bhavpoorn hai ki kuch shabd nahi hai mere paas tarref ke liye

bahut bahut badhai


vijay

pls visit my blog : http://poemsofvijay.blogspot.com/

संगीता पुरी said...

आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

Parul kanani said...

thanx to all of u for ur valuable appericiation!!

Anonymous said...

रसात्मक और सुंदर अभिव्यक्ति