एक समन्दर लिखना
कुछ किनारे लिखना।।
मै अपने लिख दूँगी
तुम, तुम्हारे लिखना।।
लिखना कैसी है वो बूंदें
जो बारिश में बरसती है
और कैसा है वो पानी
जिनको आंखें तरसती है
कि हो सकता है बन जाये
फिर से वही मौसम
मैं भी लिख दूँगी खामोशी
तुम दर्द अपने सारे लिखना।।
कभी तन्हा से होकर
दोनों चुपचाप रोयेगें
ये मौसम जो लिखा है
इसे जी भर भिगोयेगें
ये भी हो कि बन जाये
फिर से कोई कहानी
मैं भी लिख दूँगी अपना इश्क
तुम भी क्या हारे लिखना?
13 comments:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (09-06-2018) को "छन्द हो गये क्ल्ष्टि" (चर्चा अंक-2997) (चर्चा अंक-2989) (चर्चा अंक-2968) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत ही सुंदर और प्यारी कविता. मन के भावों का मंद मंद झोंका मन प्रसन्न कर गया...!
हो सकता है बन जाये
फिर से वही मौसम
मैं भी लिख दूँगी खामोशी
तुम दर्द अपने सारे लिखना।।
बहुत ही सुन्दर लेखनी ....बधाई स्वीकार करें ।
Bahut bariya likhi hai aap
एक समन्दर लिखना
कुछ किनारे लिखना।।
मै अपने लिख दूँगी
तुम, तुम्हारे लिखना।।
प्रभावशाली रचना। दूसरी बार पढकर पुनः टिप्पणी करने हेतु बाध्य हूँ ।शुभकामनाएं ।
हिंदी ब्लॉग जगत को ,आपके ब्लॉग को और आपके पाठकों को आपकी नई पोस्ट की प्रतीक्षा है | आइये न लौट के फिर से कभी ,जब मन करे जब समय मिलते जितना मन करे जितना ही समय मिले | आपके पुराने साथी और नए नए दोस्त भी बड़े मन से बड़ी आस से इंतज़ार कर रहे हैं |
माना की फेसबुक ,व्हाट्सप की दुनिया बहुत तेज़ और बहुत बड़ी हो गयी है तो क्या घर के एक कमरे में जाना बंद तो नहीं कर देंगे न |
मुझे पता है आपने हमने बहुत बार ये कोशिस की है बार बार की है , तो जब बाक़ी सब कुछ नहीं छोड़ सकते तो फिर अपने इस अंतर्जालीय डायरी के पन्ने इतने सालों तक न पलटें ,ऐसा होता है क्या ,ऐसा होना चाहिए क्या |
पोस्ट लिख नहीं सकते तो पढ़िए न ,लम्बी न सही एक फोटो ही सही फोटो न सही एक टिप्पणी ही सही | अपने लिए ,अंतरजाल पर हिंदी के लिए ,हमारे लिए ब्लॉगिंग के लिए ,लौटिए लौटिए कृपया करके लौट आइये
बहुत खूब, इन्तजार
क्या ख़ूब, क्या ख़ूब!
क्या ख़ूब, क्या ख़ूब!
बहुत बढ़िया। बहुत खूब। सादर। नववर्ष 2021 की शुभकामनाएँ।
Jude hmare sath apni kavita ko online profile bnake logo ke beech share kre
Pub Dials aur agr aap book publish krana chahte hai aaj hi hmare publishing consultant se baat krein Online Book Publishers
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