Monday, March 22, 2010

दर्द!!



जिंदगी को जिंदगी होने का दर्द है
खुद को खुद में ही खोने का दर्द है॥
एक आस पर जीती है
और रोज उस में ही बीती है
एक उम्मीद में खुद को बोने का दर्द है॥
वो जो खाली सा रहता है
हरदम सवाली सा रहता है
मन के उसी खाली कोने का दर्द है॥
ख्वाब रोज ही छिलते है
अक्सर गीले ही मिलते है
अपने ही आंसूओं के रोने का दर्द है॥
वो जो बचपन में होता था
मिल जाता था,जब भी रोता था
याद आते उस जादू-टोने का दर्द है॥
कैसे मन को चुभता था
जब कलम से
खुदता था
उन्ही ख्वाहिशों को लफ़्ज़ों में
ढ़ोने का दर्द है॥

32 comments:

Gautam RK said...

Wow! Itz Very wonderful treatment of individual and saperate words. Very Well Done. Keep It Up.




"RAM"

Apanatva said...

bahut sunder dard kee abhivykti .vastvik jindagee me iska saya bhee na pade isee duaa ke sath .

कृष्ण मुरारी प्रसाद said...

क्या आपका दर्द पानी दिवस के पानी से ठीक हो सकता है.....शायद नहीं...
.........
........
विश्व जल दिवस..........नंगा नहायेगा क्या...और निचोड़ेगा क्या ?...
लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से..
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_22.html

ashish tiwari said...

laajawaab

आओ बात करें .......! said...

दर्द की भी इन्तहा हो गई
जख्मों की भी खुली नुमाइश लग गई
जर्रे जर्रे की भी कलई खुल गई
हमारा मगज हिल गया.....................
कि जिंदगी दर्द है या दर्द जिंदगी!!!

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

ख्वाब रोज ही छिलते है
अक्सर गीले ही मिलते है
अपने ही आंसूओं के रोने का दर्द है॥

bahut badhiya..

Dev said...

पारुल जी ,
वाकई में शब्दों और भावों का नयनाभिराम संयोजन प्रस्तुत करती है

Ashish said...

Ohh My God ! You are marching towards the peak... Keep feeling the words, keep the rhythm flow.. keep the words dance on yr rhythm on yr feelings.. I am happy to be the part of this rhythmic journey.. God Bless You..

M VERMA said...

कैसे मन को चुभता था
जब कलम से खुदता था
उन्ही ख्वाहिशों को लफ़्ज़ों में ढ़ोने का दर्द है॥
बहुत खूब

Udan Tashtari said...

सुन्दर गीत..भावपूर्ण एवं प्रवाहमय!

--

हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!

लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.

अनेक शुभकामनाएँ.

Vandana Singh said...

wowwwww..... thts rellymost wonderful poetry a read on ur blog ..keep writing:)

Dev said...

बहुत बढ़िया प्रस्तुति ......

ताऊ रामपुरिया said...

बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति.

रामराम.

दिगम्बर नासवा said...

दर्द.. दर्द .. दर्द ... ये दर्द पीछा नही छोड़ता ...
साँस के साथ साथ दर्द की पैदाइश है ....

Gaurav Kant Goel said...

very nice!!! You are a star... :)

nilesh mathur said...

बहुत दिनों बाद कुछ पढ़ कर ताज़गी का अनुभव हुआ है, धन्यवाद समीर जी का जिनकी लिस्ट में आप को देखा! इसी तरह लिखती रहें!

Unknown said...

mam, there is immense content and feeling in your writing
mann k us khaali kone ka dard hai
simply marvellous
Astounded by your words and the pictures you paint by them
Hats Off!!

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

वो जो बचपन में होता था
मिल जाता था,जब भी रोता था
याद आते उस जादू-टोने का दर्द है॥
कैसे मन को चुभता था
जब कलम से खुदता था
उन्ही ख्वाहिशों को लफ़्ज़ों में ढ़ोने का दर्द है खूबसूरत और असरदार पंक्तियां---

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

he bhagvaan......is ladki ke moohn ko bhi sher kee tarah shabdon kaa khoon lag gayaa hai......!!

Parul kanani said...

haan ..khoon to lag gaya hai bhootnath ji :)
aap sabhi ka aabhar !

Yatish said...

दर्द जब दर्द से मिलता है तो हल्का हो जाता है
किसी और के दर्द मे वो खो जाता है

बहुत ही हमदर्द रचना

Unknown said...

Beautful poem!!

पूनम श्रीवास्तव said...

jidagi meaksar hone wale dard se jo samana karna padta hai usko apani kalam se behatreen dhang se abhi vyakt karane keliye hriday se aabhar.

Mansoor Naqvi said...

Nice piece..

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

Samajh nahin aata kya kahoon?! Pehli baar aapo padha, itni dardnaak rachna?!!!
Sab theek ho jaega... Ha ha ha
(Bura mat maniye, main paagal hoon!)
Mazaak chhodun to...
Khwaab roz hi chhilte hain
Aksar geele hi milte hain
Apne hi aansuon ke tone ka dard hai!!!
Wah! Kya keh diya aapne!

anusuya said...

sundar rachna

Urmi said...

बहुत बढ़िया लगा! उम्दा प्रस्तुती! बधाई!

दिलीप कवठेकर said...

आपके खयालात में दर्द की अभिव्यक्ति बढिंयां लिखी गयी है. सरलता के साथ गूढ बातें लिख गयीं आप.

wordy said...

har baar ki tarah is baar bhi jadoo hai!

Parul kanani said...

aap sabhi ko dhanywaad!

Anonymous said...

"ख्वाब रोज ही छिलते है
अक्सर गीले ही मिलते है
.....
कैसे मन को चुभता था
जब कलम से खुदता था
उन्ही ख्वाहिशों को लफ़्ज़ों में ढ़ोने का दर्द है॥"
दर्दे दिल की जीवंत प्रस्तुति.

निर्झर'नीर said...

खूबसूरत अभिव्यक्ति.

दर्द सहकर भी जो उफ़ नहीं करते
उनके दिल भी अजीब होते है