Thursday, September 10, 2009

सच..


कोई ख्वाब,मन को छू रहा है
और कोई आंखों से छलक रहा है।
कोई सोना चाहता है जिंदगी भर
और कोई सदियों से जग रहा है।
अलग है सबकी अपनी कहानी
कहीं है सूखा,कहीं है पानी
किसी के लिए समन्दर भी कम है
और कोई बूंदों में ही छक रहा है।
किसी के लिए रंग,नई सुबह में ढल रहे है
और किसी के लिए धूप में जल रहे है
कोई उजाले की तलाश में है
और कोई दिन को आंखों से ढक रहा है।
कोई सपनों को सींचता है
और कोई बस आँखें मींचता है
कोई दे रहा है आकार इनको
और कोई छुपाकर रख रहा है।
इस जिंदगी के है इतने किस्से
कि चाहे जितने भी कर लो हिस्से
जो भी मिलेगा,कम ही लगेगा
तभी तो हर कोई,सिसक रहा है।
जितनी भी कर लो सपनो से सजावट
कभी कम न होगी इसकी कड़वाहट
तुझे एहसास हो गर,मीठेपन का
समझ ले तू कुछ और चख रहा है।

13 comments:

अनिल कान्त said...

एक सोच उत्पन्न करती रचना

ओम आर्य said...

कोई सोना चाहता है जिंदगी भर
और कोई सदियों से जग रहा है।
......वाह दिल को छू गई ......एक बेहतरीन रचना......बहुत बहुत बधाई

संगीता पुरी said...

जितनी भी कर लो सपनो से सजावट
कभी कम न होगी इसकी कड़वाहट
तुझे एहसास हो गर,मीठेपन का
समझ ले तू कुछ और चख रहा है।
सटीक रचना .. बहुत सुंदर !!

डॉ टी एस दराल said...

जिंदगी के विभिन्न पहलुओं को बखूबी बयान किया है. सुन्दर रचना

Mishra Pankaj said...

बहूत खूब जी आपकी कविता मे रोचकता है

दिगम्बर नासवा said...

किसी के लिए समन्दर भी कम है
और कोई बूंदों में ही छक रहा है

BAHOOT SUNDAR EHSAAS HAI APKI RACHNA MEIN ...... UMDA LIKHA HAI

Mithilesh dubey said...

वाह दिल को छू गई , बेहतरीन रचना बहुत बहुत बधाई,.............

Vinay said...

एक और ह्रदय स्पर्शी रच्ना पर बधाई स्वीकार करें...
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M VERMA said...

pyaari rachana --- bahut sundar

Kulwant Happy said...

हर बार की तरह, इस बार भी अद्भुत है।

नवनीत नीरव said...

जितनी भी कर लो सपनो से सजावट
कभी कम न होगी इसकी कड़वाहट
तुझे एहसास हो गर,मीठेपन का
समझ ले तू कुछ और चख रहा है।
Bahut hi achchhi pnatiyan.
Achchi lagi aapki rachna.
Navnit Nirav

Udan Tashtari said...

बहुत खूब!!

Sudhir (सुधीर) said...

जितनी भी कर लो सपनो से सजावट
कभी कम न होगी इसकी कड़वाहट
तुझे एहसास हो गर,मीठेपन का
समझ ले तू कुछ और चख रहा है।


क्या सटीक अभिव्यक्ति है जीवन की अनुभूतियों की....बहुत अच्छी लगी आपकी यह रचना साधू!!!