यही है चाह
ख़ामोशी टेढ़ा मुंह कर ले
और बातें बिगड़ जाएँ !!
ख्वाब इतने हो बेशक्ल
कि रातें बिगड़ जाएँ !!
दिल पत्थर हो जाएँ
और आईने टूटे
हो अपने ही गुनहगार
खुद को इतना लूटे
चोट ऐसी हो इश्क़ की
कि बरसातें बिगड़ जाएँ !!
चाँद सिले कतरों से
और यूँ ही फट जाये
और एक तू भी
इधर-उधर कहीं से कट जाये
तन्हाई के कुछ पैबंद
टांक दूं लम्हों पर इस तरह
हिसाब में इश्क़ के
ज़िन्दगी के खाते बिगड़ जाएँ !!