When emotions overflow... some rhythmic sound echo the mind... and an urge rises to give wings to my rhythm.. a poem is born, my rhythm of words...
Monday, October 10, 2011
एक ख़ामोशी!
एक अनसुनी सी ख़ामोशी
अल्फाजों में लिपट गयी
मैं गीत सा बनता गया
यूँ मुझ में वो सिमट गयी!
मैं गूंजता गया यूँ भी
दिलों के ज़र्रे ज़र्रे में
मेरी जिंदगी बिखर गयी
लफ्ज़ लफ्ज़, फर्रे में
बाकी वो दिल की हूक भी
दर्द में ही कट गयी!
दर-दर फिरा हूँ मैं
जिंदगी के ख़त लिये
और गाता रहा हूँ
वक़्त की रहमत लिये
आज ये आवाज मेरी
कई दिलों में बंट गयी!
कोरा होना मेरा
जितना संगीन था
लफ़्ज़ों के शोर में
दिल बहुत रंगीन था
उन्ही रंगों से आज
रूह मेरी छंट गयी!
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