When emotions overflow... some rhythmic sound echo the mind... and an urge rises to give wings to my rhythm.. a poem is born, my rhythm of words...
Thursday, November 18, 2010
एक कोस
वो रोज एक कोस चलना
और फिर थक जाना
वो ढूंढना उम्र भर खुद को
भूल में कहीं जिंदगी रख जाना !
वो ख़ामोशी की ठंडक
ज़ज्बातों का सिहरना
कहीं बातों की गर्मी में
मन की आंच तक जाना !
वो तरसना किसी को
यूँ ही पाने के लिये
और ऐसे ही खुद के खोने से
यूँ ही छक जाना !
बड़ी गीली सी मिट्टी है
सोच शायद फिसल जाये
मुमकिन है तकलीफ दे
दिल का कुछ भी बक जाना !
चाँद की सेक से
कोना कोई गरम न होगा
मुट्ठी भर धूप में
हो सके तो पक जाना !
Monday, November 1, 2010
रचना!
वो रोज रोज की बातें
वो ख़ामोशी को खुरचना !
वो खुद का अच्छा न लगना
वो आईने को जंचना !
न जाने कैसी उलझन है
कुछ ख्वाहिशों में अनबन है
मुश्किल ही लगता है अब तो
खुद से ही जैसे बचना !
लिखने जो आज बैठा हूँ
वो सब जो न कभी कहता हूँ
जायज सा लग रहा है मुझे
लफ़्ज़ों का शोर मचना !
कुछ पर तो रंग फैले हैं
और कुछ अभी भी मैले है
इस सोच से तो नामुकिन सा है
एक 'जिंदगी' को रचना !
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