![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi8PsANDUnzEj0HGGjUBJm1_2_idThlZn2mAiCX6dBeJVWFaTQTbU8AQF8SPDNlMLba3rIndkLAHQN-nnPCfr3IWu0a0LPPnFr2LG5rxnb5DkjdgClIIMoOUAk-kV-Sbs4eiKaBzDvwckw/s200/moon.jpg)
ये आसमां क्यों टूटकर बिखरने को है ?
ये जमीं क्यों आसूँओं से भरने को है ?
सिली सिली सी आख़िर क्यों है हवा ?
क्यों सैलाब दिल में उमड़ने को है ?
मोम सा सितारा,चांदनी में था पल रहा
आज क्यों इस तरह से पिघल रहा
आख़िर किसकी लौ में है जल रहा ?
चाँद भी समन्दर में उतरने को है॥
कशमकश में हर रात जागी सी है
नींद ख्वाबों की भी दूर भागी सी है
क्यों होंठ सिलते है जा रहे
और खामोशी बेचैन, बात करने को है॥
क्या हुआ,जो इस तरह सब के सब रो दिए
किस तरह हमने जिंदगी के मायने खो दिए
जी रहे है आख़िर,किस जज्बात से
जब की हर ख्वाहिश यूं भी मरने को है॥
किसी कोने में बिलखती रूह प्यासी सी है ?
जिंदगी टुकडों में बासी सी है
हाँ! जिंदगी की भूख जरासी सी है
रुखी रोटी सी चाह अभी सिकने को है॥
15 comments:
बहुत अच्छी और अर्थपूर्ण रचना है. आप कभी मेरे ब्लॉग पर आइये .
"हिन्दीकुंज"
wah!nayab..
और खामोशी बेचैन, बात करने को है॥
खामोशी की बाते तो सुनने लायक होगी.
बहुत खूब
Sundar kavita...
सुंदर कल्पनाऍं-
-मोम सा सितारा,चांदनी में था पल रहा
-चाँद भी समन्दर में उतरने को है॥
वैसे पूरी कविता के भाव अच्छे लगे।
मोम सा सितारा,चांदनी में था पल रहा
-चाँद भी समन्दर में उतरने को है॥
लाजवाब सुन्दर कविता है आभार्
Bahut achchha laga
बहुत ही सुन्दर कविता
जिंदगी टुकडों में बासी सी है...............
बहुत ही दिल के करीब लगी यह पंक्ति
marmik sunder rachana badhai
अति सुन्दर
---
विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
हाँ! जिंदगी की भूख जरासी सी है
रुखी रोटी सी चाह अभी सिकने को है॥
सुन्दर अभिव्यक्ति।
GUD WRITTEN AS USUAL :)
जिंदगी टुकडों में बासी सी है
हाँ! जिंदगी की भूख जरासी सी है
रुखी रोटी सी चाह अभी सिकने को है॥
पारुल जी ,
बहुत उम्दा पंक्तियाँ .....वैसे तो पूरी कविता अच्छी लगी .
हेमंत कुमार
संजय कुमार मिश्र
आपकी कविता रूखी जिंदगी में गहराई है। इतना सोचना और उसे कागज पर उकेरना हर किसी के बूते की बात नहीं होती। आप जितना मेहनत अपनी कविताओं पर करतीं हैं उतनी ही मेहनत इस तरह की रचनाओं को संगीतबद्ध करने में एआर रहमान करते हैं। यही वजह है कि आपके मन को उनका संगीत भाता है।
क्या हुआ,जो इस तरह सब के सब रो दिए
किस तरह हमने जिंदगी के मायने खो दिए
जी रहे है आख़िर,किस जज्बात से
जब की हर ख्वाहिश यूं भी मरने को है॥
achchhee panktiyan ..badhai.
Poonam
Post a Comment