एक कप चाय की प्याली
एक नज्म गुलजार की
यूं ही उम्र बढ जाये
ऐसे प्यार की।।
गर्म सी चुस्कियों में
कुछ लफ्जों की दरकार हो
भीनी-भीनी सी लज्जत में
मीठी सी यादें उस यार की।।
कोई बात चुप सी
होठों पर रखी रहे
और घुल जाये खामोशी
अनकहे एतबार की।।
एक घूंट जो भरे
दिल ही जैसे जल उठे
और एक आह निकले
इश्क के खुमार की।।
सुन्दर
ReplyDeleteचाय की प्याली,गुलज़ार की नज्में .... जिंदगी काश ऐसे ही बीत जाये ...
ReplyDeleteकमल की नज्म है ...
वाह, बहुत खूब
ReplyDeleteBahut khoob janaab Kya najm pesh ki hai
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