गम का खजाना तेरा भी है, मेरा भी
ये नजराना तेरा भी है, मेरा भी।
कुछ मौसम उलझे है ऐसे आंखों में
ख्वाबों का बरबस चुभ जाना तेरा भी है, मेरा भी।।
यूं मंजर कतरा कतरा हो जाते हैं
डूबा सा कोई मुहाना तेरा भी है, मेरा भी।।
बातें कईं अब बंद पडी है दिल के खत में
ढूंढे कोई वो एक ठिकाना जो तेरा भी हो, मेरा भी।।
दिल जाने सब कुछ फिर भी ना कह पाए
चुप सा फसाना तेरा भी है, मेरा भी।।
दर्द हमारी खामोशी का कोई क्या जाने
जख्म पुराना तेरा भी है, मेरा भी।।
प्यार हमारा एक हमें यूं कर जाए
दिल दीवाना तेरा भी है, मेरा भी।।
बहुत ख़ूब ...
ReplyDeleteप्रेम भी एक फसाना भी एक ... ग़म भी एक ख़्वाब भी एक तो प्रेम तो एक होना ही है ... बहुत लाजवाब ...
kam likh rhe h. lekin jab padhta hu acha lgta hai. likhte rahiye...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteaap bhut achi post likhte ho me apki Website ko bhut time se follow krta hun
ReplyDeleteaap bhut achi post likhte ho me apki Website ko bhut time se follow krta hun
ReplyDelete