एक रोज छुपा दूंगा
सारे लफ्ज तुम्हारे
और तुम मेरी खामोशी
पर फिसल जाओगी!!
देखता हूँ कब तलक
छुपी रहोगी मुझसे
एक दिन अपनी ही
नज्म से पिघल जाओगी!!
और कितने चांद
मेरे लिए संभालोगी
मुझे यकीन है कि
तुम रातें बदल डालोगी
मैंने भी रख लिए हैं
कुछ चादं तुम्हारे
मेरे एक ही ख्वाब से
बेशक तुम जल जाओगी!!
अब दोनों होगें ही
तो नज्म नज्म खेलेंगे
वो गोल ना सही
दिल सा भी हो तो ले लेगें
मैने भी भर लिये
कुछ अल्फाज़ तुम्हारे
मेरी खामोशी से
यकीनन तुम बदल जाओगी!!
ReplyDeleteSubhanallah!!!
Vartika
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteसुंदर भावपूर्ण पंक्तियाँ आपकी वाह्ह्ह👌👌
ReplyDeleteबहुत खूब ...
ReplyDeleteअनकहे मोड़ जाग उठे हो जैसे ... लाजवाब नज़्म ...
Hmm... :)
ReplyDeletebahut sunder rachna man ko chu gai khamosh kar gai
ReplyDeleteबहुत सुंदर
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