Friday, November 11, 2016

दर्द!



दर्द को तो दर्द के बहाने चाहिए
हो सके तो गम भूलाने चाहिए !
न रखो यूँ कदम इश्क़ की दहलीज़ पर
रख दिया तो रिश्ते निभाने चाहिए !
है कोई तो वास्ता यूँ भी तेरा और मेरा
इसमें भी क्या वजूद पुराने चाहिए !
आह अक्सर दिल से ही निकलती है
क्यों  क़िस्से फिर दोहराने चाहिए!
दिल की परछाइयाँ गहरी होने लगी है
फिर क्यों रात के मुहाने चाहिए !
अब भी रखा है जिंदगी तले तुम्हारा दर्द
नहीं जीने को सपने सुहाने चाहिए !! 

8 comments:

  1. वाह ! क्या बात है ! बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति। बहुत खूब।

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  2. Abhi rakha hai zindagi tale tumhara dard.... Beautiful lines

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  3. Dil ki parchhaiyaan gehri hone lagi
    ..... Raat ke muhane chahiye
    Kamaal!!

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  4. Ishq ka tajurba hai ye.. Ki dard hota hi hai

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  5. Aapko to lafz bhar chahiye... Kehani likhne ke liye.. Sahi keha na :)

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  6. गम को भुलाने के बहाने मिल जाएँ तो बात ही क्या ... बहुत लाजवाब और गहरे शेर हैं ...

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