आकर,मेरी ख़ामोशी सिल
कहते नहीं बनता अब
ऐ दिल है मुश्किल !!
कोई आह रख दे अब
चुप्पी के कोने में
कतरे न हंस दे यूँ
इस दिल के रोने में
कैसे कहूं ये तुमसे
गम हो गया है बुज़दिल
कहते नहीं बनता अब
ऐ दिल है मुश्किल !!
चुभते हो तुम क्यूँ आखिर
दिल में एक टीस बनकर
रह जाओ न बरबस ही
अधूरी सी ख्वाहिश बनकर
मेरे इश्क़ का भी हो फिर
तुम सा ही कोई मुस्तकबिल
कहते नहीं बनता अब
ऐ दिल है मुश्किल !!
एक चाँद में रखूँ
एक चाँद तुम रखो
इस रात के लिफ़ाफ़े का
कोई नाम तुम रखो
हो जाये लफ्ज़ लफ्ज़ हम
एक दूसरे के काबिल
कहते नहीं बनता अब
ऐ दिल है मुश्किल !!
ReplyDeleteaah!!!
ek lambe antraal ke baad :)
welcome back
ReplyDeleterahi baat likhne ki
welcome back lady gulzaar
i m so happy :)
its treat to read :)
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (09-09-2016) को "हिन्दी, हिन्द की आत्मा है" (चर्चा अंक-2460) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
पारुल जी,
ReplyDeleteएक लम्बे अर्से के बाद आपके ब्लाग पर आया हूं।लेकिन आपकी रचनाएं पढ़ कर बहुत अच्छा लगा।मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ऽअप इसी तरह लिखती रहिये।
डा0हेमन्त कुमार
पारुल जी,
ReplyDeleteएक लम्बे अर्से के बाद आपके ब्लाग पर आया हूं।लेकिन आपकी रचनाएं पढ़ कर बहुत अच्छा लगा।मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ऽअप इसी तरह लिखती रहिये।
डा0हेमन्त कुमार
ReplyDeletehats off
parul :)
happy to see yu back
vartika!!
WELCOME BACK Ladki
ReplyDeleteaise hee likho .... behad khoobsurat
thank yu sonal :)
ReplyDeleteस्वागत - सुंदर लिखा है पारुल
ReplyDeleteक्या हाल है?
Bahut achha...welcome back Parul
ReplyDeleteAjay chauhan
thank yu ajay bhaiya :)
ReplyDelete
ReplyDelete@ udan tashtri...main acchi hoon sir
aap batayen :)
ReplyDeletetoo gud parul
its really amazing
god bless you!!
ReplyDeletedefinetly now yu r infinite
gud job!!
diya
kaha gye the aap?
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteरात के लिफ़ाफ़े मं एक चाँद रखने की ख्वाहिश ... गज़ब की कल्पना और सुंदर उड़ान ... अच्छी रचना .....
ReplyDeleteक्या बात है , बहुत ही सुन्दर । आपका ब्लॉग कलेवर बहुत सुन्दर है जी
ReplyDeleteख़ामोशी हाल-दिल बयां कर देता है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ख़ामोशी हाल-दिल बयां कर देता है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteक्या बात! तक़रीबन दो साल की लम्बी ख़ामोशी... ऐ कलम थी मुश्किल ;)
ReplyDelete
ReplyDelete@s anupam..... sahi keha :)
एक चाँद तुम रख लो एक चाँद मैं और रात का लिफाफा ...गज़ब ही कल्पना है ।बहुत सुन्दर
ReplyDeletehttp://bulletinofblog.blogspot.in/2016/09/7.html
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.....
ReplyDelete
ReplyDeleteyour blog is full of love :)
biggest fan of gulzar
keep writing!
aniket
ReplyDelete@aniket ...yes, right now i m in love with mirzya :)
ReplyDeleteaccha hai mam :) :)
aniket
बहुत खूबसूरत रचना, आभार
ReplyDeleteलफ्ज़ लफ्ज़ बेहतरीन ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ...और लाजवाब बोलती तस्वीर ..
ReplyDeleteBahut sundar
ReplyDeleteHi there! This post could not be written much better! Reading through this article reminds me of my previous roommate!
ReplyDeleteHe always kept talking about this. I will forward this article to him.
Fairly certain he will have a great read.
Thank you for sharing!