तुम रोज़ के रोज़ वही होकर के
खफा करते हो
क्यों बदलते नही?
वही होकर के भी क्या करते हो!
बस बार बार ये कहना कि
तुम नई लगो
इसका कोई फ़र्क नही
कि ग़लत लगो या सही लगो
मुझसे शिकवा ही तुम बेवजह करते हो !
ये कैसी ज़िद है तुम्हारी
मैं अपना वजूद उतार दूँ
खुद से ही अजनबी होकर के
मैं तुमको प्यार दूँ
मेरी एक ना पे तुम अपनी
'हाँ' की रज़ा करते हो !
क्या मायने नही रखता
हमारा साथ होना
क्यों ज़रूरी है?
दूर रहकर रोज़ मुलाकात होना
बेमतलब ही तुम इश्क़ को सज़ा करते हो !
छोड़ देते हो अपने वादे
बेज़ुबान चाँद पर
एक ज़िंदगी सा
इंतज़ार सांझ पर
दफ़न होकर के रह जाती हूँ
तुम में ही कहीं
रफू,तुम रोज़ ही
खामोशी की सबा करते हो !
sundar, pyari si rachna.......dil ko chhuti hui :)
ReplyDeletewelcome back...!
ReplyDeleteyes,its touchy!!
vartika!!
वाह.... हर तारीफ़-प्रशंसा से अलग हटकर...
ReplyDeleteभावनाओं का तीव्र प्रवाह. बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteबेहद संजिदा.....दर्द को आवाज देती हुई ...
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है
ReplyDeleteबेहतरीन अभिवयक्ति.....
ReplyDeleteसुन्दर कविता
ReplyDeleteआप तो ईद का चाँद हो गईं हैं बड़ी मुश्किल से दर्शन होते हैं अरसे के बाद । मगर ख़ुशी है की कलम का जादू बरक़रार है …… खुबसूरत नज़्म |
ReplyDeleteबहुत खूब,सुंदर रचना !
ReplyDeletelatest post: क्षमा प्रार्थना (रुबैयाँ छन्द )
latest post कानून और दंड
wahh khuburat ..bhawo se labrej .. badhayi :)
ReplyDeleteकल 22/09/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
हृदयस्पर्शी ,बहुत सुंदर रचना.....
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना.....
ReplyDeleteकोमल सी..
अनु
हृदयस्पर्शी
ReplyDeletehamesha hi man ko gudguda jate ho...!
ReplyDeletemain to kehta hoon..aapki kitab kab nikalegi?
ReplyDeleteपारुल जी जब भावनाएं इतनी तीव्र हो जाती हैं तो मजबूरन निकल ही पड़ता है मुहं से -.
ReplyDelete........ .मैं अपना वजूद उतार दूँ खुद से ही अजनवी हो कर,के मैं तुमको अपना प्यार दू ,मेरी एक ना पर तुम अपनी हाँ की रजा करते हो...
सुन्दर कृति
खुद को मिटा देना ... फिर प्यार गवाही देना तो नहीं ...
ReplyDeleteगहरा एहसास समेटे ....
अच्छी सी कविता |
ReplyDeleteरोज़ रोज़ रफू करना ...चलो सुराख तो नहीं रहते । सुन्दर अभिव्यक्ति
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