कुछ तो कहते
कुछ तो सुनते
कुछ तो होता दिल में!
सोचते न तब
इतना शायद बेवजह
मुश्किल में!
कुछ तो दे जाते
मुझे तुम
नीले-सिले सपने
न यूँ बेमौसम
लगता फिर
दिल में कुछ भी पनपने
मेरा भी तारा चमकता
चाँद की महफ़िल में!
आईने के सामने
फिर मैं खड़ा
जब होता
तुम अगर दिख जाते
मुझको
न रोज तुमको बोता
राह मिल जाती
नज़र आते जो तुम
मंजिल में!
रात के खंजर न चलते
इश्क की सुबकी पर
एक आंसूं भी था समन्दर
आह की डुबकी पर
तेरा ही एक ख्वाब था
शामिल मेरे कातिल में!
कुछ तो सुनते
कुछ तो होता दिल में!
सोचते न तब
इतना शायद बेवजह
मुश्किल में!
कुछ तो दे जाते
मुझे तुम
नीले-सिले सपने
न यूँ बेमौसम
लगता फिर
दिल में कुछ भी पनपने
मेरा भी तारा चमकता
चाँद की महफ़िल में!
आईने के सामने
फिर मैं खड़ा
जब होता
तुम अगर दिख जाते
मुझको
न रोज तुमको बोता
राह मिल जाती
नज़र आते जो तुम
मंजिल में!
रात के खंजर न चलते
इश्क की सुबकी पर
एक आंसूं भी था समन्दर
आह की डुबकी पर
तेरा ही एक ख्वाब था
शामिल मेरे कातिल में!
namaste parul ji..
ReplyDeleteबहुत खुबसुरत..दिल के अहसासों को शब्दों में ढ़ाला है...बहुत सुंदर।
कुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।
ReplyDeleteबेहद ख़ूबसूरत और उम्दा
ReplyDeleteप्रभावी प्रस्तुति.......
ReplyDeletebahut khoob parul ji...behad khoobsoorat
ReplyDeleteसादगी और संजीदगी से लिखी मन को कुछ सोचने पर कुछ समझने के लिए उकसाती एक भावपूर्ण कविता जो एक विरही नायिका के अंतर्मन को अभिव्यक्त करती है |बधाई और शुभकामनाएं |
ReplyDeletehiii
ReplyDeletehru?
nice poem
bahut khoob
last lines are really superb
ना रोज तुमको बोता .. वाह!
ReplyDeleteखूबसूरत रचना.
आईने के सामने
ReplyDeleteफिर मैं खड़ा
जब होता
तुम अगर दिख जाते
मुझको
न रोज तुमको बोता
राह मिल जाती
नज़र आते जो तुम......
बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ हैं.... आखिरी पंक्ति ने तो ग़ज़ब ही ढा दिया.... बहुत शानदार कविता..
थैंक्स फॉर शेयरिंग.........
रिगार्ड्स.........
आईने के सामने
ReplyDeleteफिर मैं खड़ा
जब होता
तुम अगर दिख जाते
मुझको
न रोज तुमको बोता
राह मिल जाती
नज़र आते जो तुम......
बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ हैं.... आखिरी पंक्ति ने तो ग़ज़ब ही ढा दिया.... बहुत शानदार कविता..
थैंक्स फॉर शेयरिंग.........
रिगार्ड्स.........
aaj parul ji ki rachna me rhythem ki kuchh kami si hai. sunder bhavabhivyakti.
ReplyDeleteबहुत ही गहराई से पेश किया है आपने इस रचना को अच्छा लगा पढकर
ReplyDeleteअक्षय-मन "!!कुछ मुक्तक कुछ क्षणिकाएं!!" से
उफ़ बेहद खूबसूरत रचना..आप कहा ले लाती हॆ इतने सारे रंग.....
ReplyDeleteअच्छी कविता
ReplyDeleteरात के खंजर न चलते
ReplyDeleteइश्क की सुबकी पर
एक आंसूं भी था समन्दर
आह की डुबकी पर
तेरा ही एक ख्वाब था
शामिल मेरे कातिल में!
बहुत ही सुंदर रचना
antim pagtiya dil ko chho gyi .....wah kya baat hai!
ReplyDeleteJai Ho Mangalmay ho
तेरा ही एक ख्वाब था
ReplyDeleteशामिल मेरे कातिल में ...
Gahre ehsas liye ... bahut hi naazuk rachna ... dil ko chooti hai ...
सुभानाल्लाह....बहुत गहरे जज्ब्बातों को समेटे ये पोस्ट शानदार है.....आपके ब्लॉग की हर पोस्ट के साथ आप जो पेंटिंग लगाती हैं वो मुझे बहुत आती हैं......आपकी पसंद की दाद देता हूँ......बहुत खूब|
ReplyDeleteahsas se bhari rachna.......
ReplyDeletebeautiful poem
ReplyDeleteबेहद ख़ूबसूरत और उम्दा प्रस्तुति|
ReplyDeleteकितनी खूबसूरती से आपने अपनी भावनाओं को शब्दी जामा पहनाया है..........आपको इस सुन्दर रचना हेतु बधाई
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत! एक अनोखा सा आकर्षण है इस कविता में!
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
hmm..shandaar!
ReplyDeleteअहा, पढ़ने में आनन्द आ गया।
ReplyDeleteदिल की गहराइयों से निकली बात.
ReplyDeleteदुनाली पर देखें
चलने की ख्वाहिश...
काश कोई कुछ कह गया होता .....
ReplyDelete:))
संवादहीनता और संशय ...!
ReplyDeleteबेहतरीन....वाह
आह!!
ReplyDeleteवाह!
बहुत उम्दा!!
गहरे एहसास...
ReplyDeleteबहुत दिन बाद आपको पढ़ रहा हूँ पारूल जी..पहले जैसी ही सुंदर शब्द चयन और सुंदर भाव..बधाई
ReplyDeleteकिया तो कमेंट था...अब दिखता नहीं...इस सुन्दर रचना पर.
ReplyDeletematlab?main samjhi nahi sir
ReplyDeleteबहुत खुबसुरत प्रभावी प्रस्तुति|
ReplyDeleteइश्क की सुबकी पर
ReplyDeleteएक आंसूं भी था समन्दर
आह की डुबकी पर
तेरा ही एक ख्वाब था
शामिल मेरे कातिल में!------------------------वाह पारुल जी,बहुत ही खूबसूरती के साथ आपने मन की भावनाओं को अभिव्यक्ति दी है।
बहुत सुंदर.........
ReplyDeleteमै तो पहली दफा आपके ब्लॉग पर आया.हैरान कर दिया आपकी सुन्दर प्रस्तुति ने.
ReplyDelete'नज़र आते जो तुम
मंजिल में!
रात के खंजर न चलते
इश्क की सुबकी पर'
Wah! excellent rhythm of words with
soft and strong emotions.
मेरे ब्लॉग पर आइयेगा,आपका हार्दिक स्वागत है.
vakai "KUCH TO" hai!
ReplyDeletevartika!
ishq ki aisi kawayad..kya baat hai!
ReplyDeletekhoobsurat hai!
ReplyDeletesundar panktiyaan..sundar chitr
ReplyDeleteyah to aap bhi jaanti he ki main aapke andaaz kaa kaayal hoo. hamesha ki tarah prabhaavit...aur aapke shabdo me apana aqs dekhte hue..
ReplyDeletehaan..kuch to hai!
ReplyDeletethoda aur rumani bhi ho jaye... :)
ReplyDeletehamesha ki tara manbhawan rachna.
ReplyDeleteBahut hi sundar Abhvyakti... plz visit my blog and give me ur valuable comments = http://yogeshamana.blogspot.com/
ReplyDeleteतेरा ही एक ख्वाब था
ReplyDeleteशामिल मेरे कातिल में!
बेहतरीन और प्रभावी
काफ़ी अच्छा लिखा है
ReplyDeletehttp://navkislaya.blogspot.com/
खूब लिखा है लिखती रहना.
ReplyDeleteउदगारों को कहती रहना.