Thursday, March 31, 2011

उम्र धानी सी


अब भी उलझी है नींद में
तुम्हारी उँगलियों की थपकी
अब भी मन के बंजर में
कोई तुम सा रहता है
तुम बीती रातों के चाँद ही सही
अब भी अम्बर के सूनेपन में
तुम्हारा दरिया बहता है !
अब भी आँखों के धागे
बनाकर ख़्वाबों की किश्ती
डूब जाते है तुम में
खोजते है वही बस्ती
जहाँ मिटकर रोज ही
बनता हूँ मैं
वहां यादों का कारवां
अक्सर ही ठहरता है !
वो कुछ हरफ जो अब भी
होंठो से चिपके रहते है
मेरी ख़ामोशी को
तेरी ग़ज़ल कहते है
और तन्हाई जैसे
तेरी महफ़िल हो जाती है
मेरा वजूद हर रोज ही
ऐसे तुझको पहरता है !
यही होता है बस
जब भी खुद को बुनता हूँ
कोई भी लिबास हो
रंग तेरा ही चुनता हूँ
और हो जाती है
फिर एक उम्र धानी सी
तुझको तरसती जिंदगी की
हर साँस पानी सी
और मेरा वजूद पल पल
बूँद-बूँद तुमसे भरता है !

48 comments:

  1. बहुत ही सुंदर कविता मन प्रसन्न हो गया| पारुल जी आपकी लेखनी में निरंतरता के साथ-साथ ताजगी भी बनी रहे |बहुत सुखद लगा बधाई और शुभकामनाएं |

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  2. यही होता है बस
    जब भी खुद को बुनता हूँ
    कोई भी लिबास हो
    रंग तेरा ही चुनता हूँ

    यहाँ कविता में रहस्य का भाव उभर आता है और हर एक लिबास में तुझे तरजीह देना खुद के अस्तित्व को तुझ में शामिल करना है ..बहुत सुंदर भाव ..आपका आभार

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  3. वाह जी,
    इस कविता का तो जवाब नहीं !
    विचारों के इतनी गहन अनुभूतियों को सटीक शब्द देना सबके बस की बात नहीं है !
    कविता के भाव बड़े ही प्रभाव पूर्ण ढंग से संप्रेषित हो रहे हैं !

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  4. sadaiv kee bhati badiya abhivykti.......

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  5. बहुत बढ़िया लिखी है आपने!
    बधाई!

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  6. "कोई भी लिबास हो
    रंग तेरा ही चुनता हूँ"
    यही तो दीवानापन है ........गज़ब की नज़्म है

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  7. "कोई भी लिबास हो
    रंग तेरा ही चुनता हूँ"

    अहा!! क्या बात है..बहुत खूब पारुल!!

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  8. जब भी खुद को बुनता हूँ
    कोई भी लिबास हो
    रंग तेरा ही चुनता हूँ
    ...tum hi tum..
    bahut badhiya !

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  9. प्रेम भरे ये हल्के हल्के लम्हे सदा याद रहते हैं।

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  10. सुभानाल्लाह.....पारुल जी बहुत दिनों बाद आपकी पोस्ट आई ...शानदार, बेहतरीन, लाजवाब लगी......आजकल आप हमारी दहलीज़ पर कभी नहीं आते.....कोई खता हुई क्या हमसे...

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  11. रूमानी सा ...एक तो पिया परदेस में ऊपर से ऐसी नज़्म ..अब मैं क्या करूं

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  12. ्गहन अनुभूति का चित्रण …………बहुत सुन्दर रचना।

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  13. no words dear,,its ur great achievement!!!

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  14. no words dear,it's great achievement...keep it up.

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  15. बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति.

    और हो जाती है
    फिर एक उम्र धानी सी
    तुझको तरसती जिंदगी की
    हर साँस पानी सी
    और मेरा वजूद पल पल
    बूँद-बूँद तुमसे भरता है !

    बहुत खूब.

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  16. बहुत खूब
    अति सुन्दर
    हर शब्द खास हैं

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  17. इसी के नूर में श्री कृष्ण ने गीता थी कही.
    इसी की रोशनी में आयतें उतरीं थीं कभी.

    Read Full Poem In Blog..

    Blog is waiting your comments


    http://paraavaani.blogspot.com/2011/04/blog-post_01.html

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  18. क्या बात है....

    बहुत ही सुन्दर

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  19. वाह बहुत खूब.... आजकल मैं कम ही ब्लोग्भ्रमण कर पाता हूँ..लगता है आप भी व्यस्त हैं बहुत दिनों बाद शायद आपके ब्लॉग पर कुछ पोस्ट किया है आपने.....
    खैर देर आये और दुरुस्त भी....

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  20. parul ji
    bahut hi badhiya avam antas tak pahunchne wali aapki rachna bahut hibehatreen hai.
    bahut hi gahan anubhuti se ot-prot aur sudarta ke saath shbdo ka chayan.
    ek bhav-bhini prastuti
    bahut badhai
    poonam

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  21. दिल के हर कोने का कोमलता से स्पर्श करती कविता !

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  22. silsila jaldi jaldi jari rakhiye..

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  23. touchy!!



    vartika.

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  24. ताज़गी लिए हवा के झोंके की तरह लाजवाब नज़्म ... बहुत ही उम्दा ...

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  25. जब भी खुद को बुनता हूँ
    कोई भी लिबास हो
    रंग तेरा ही चुनता हूँ
    और शायद यही वह रंग है जो शाश्वत है

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

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  26. जब भी खुद को बुनता हूँ
    कोई भी लिबास हो
    रंग तेरा ही चुनता हूँ
    और शायद यही वह रंग है जो शाश्वत है

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  27. तुम बीती रातों के चाँद ही सही
    अब भी अम्बर के सूनेपन में
    तुम्हारा दरिया बहता है !

    पारुल आपकी नज्मों में अब परिपक्वता आती जा रही है ....!!

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  28. फिर एक उम्र धानी सी
    तुझको तरसती जिंदगी की
    हर साँस पानी सी
    और मेरा वजूद पल पल
    बूँद-बूँद तुमसे भरता है !

    bahut lajawab rachna....bahut sunderta se katra katra kar ke ehsaso ki fuharo se rachna ka sawan barsaya hai.

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  29. यही होता है बस
    जब भी खुद को बुनता हूँ
    कोई भी लिबास हो
    रंग तेरा ही चुनता हूँ
    और हो जाती है
    फिर एक उम्र धानी सी

    वाह बहुत सुन्दर ...

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  30. सुंदर उम्र धानी सी

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  31. "जब भी खुद को बुनता हूँ
    कोई भी लिबास हो
    रंग तेरा ही चुनता हूँ
    और हो जाती है
    फिर एक उम्र धानी सी
    तुझको तरसती जिंदगी की
    हर साँस पानी सी"

    कितनों को झकझोर दिया - वाह वाह

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  32. ye to sidhe sidhe bhawnaon ki nakkashi hai!

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  33. baat dil mein ghar kar gayi!

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  34. vakai har lafz khaas hai!



    vartika!

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  35. fir ek umr dhaani si ,
    tujhko tarasti zindgi kee ,
    har saans paani si ,
    kismat apni apni kahaani si .....
    veerubhai .
    (bhaav kanikaaon ke liye badhaai ...)

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  36. गहन अनुभूति का चित्रण

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  37. कोई भी लिबास हो
    रंग तेरा ही चुनता हूँ
    !!!!!!!!!!!!!!
    सुन्दर !!!!!!

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  38. आपकी शब्दों में जादू है ...

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  39. excellent, exceptional, flow of emotions with words

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