Tuesday, July 13, 2010

इश्क!


तब भी सुनता था एक राँझा था ..एक हीर थी
तब भी शायद अब सी ही इश्क की पीर थी
वो एक आह जो दो दिलो में घुला करती थी
मुझे मालूम है जिंदगी की खिड़की किस और खुला करती थी
और किस तरह सरकता था चाँद आहिस्ता आहिस्ता
खींचती रोज यूँ ही हसरतों की ज़ंजीर थी॥
ख्वाबों के टेढ़े-मेढ़े से रस्ते कभी हुए नहीं सीधे
रब बदला,नए कलमे ने गढ़े सदियों ही कुछ कसीदे
मैं भी ऐसे ही कुछ दूर तक अभी चलकर ही लौटा हूँ
आज आईने में मैं ही नहीं था कोई और तस्वीर थी॥
सोच में फंसा था कि क्या अक्सर ही इतना शोर होता था
जब ऐसे ही खुद की जगह कोई और होता था
इसी सवाल के जवाब में जब उलझा था मैं कहीं
लिखी जा चुकी इश्क की फिर एक नयी तकदीर थी॥

48 comments:

  1. तब भी सुनता था एक राँझा था


    fir vahee sawal.........
    ab bataa bhee do raz...........

    bahut khoobsoorat ahsaas bharee nazm .aise hee likhate raho kamyabee kadam choomegee .
    inshaallah

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  2. इश्क की पीर तो सदियों से ही ऐसी ही रही है...बहुत उम्दा रचना..वाह!

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  3. बहुत लाजवाब, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  4. Parul ji, aap bahut achcha likhti ho..

    nice post!!

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  5. कुछ भाव कभी नहीं बदलेंगे।

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  6. बड़ी कशिश है आज भी हीर रांझे की कहानी में ...जब भी दिल में दर्द उठा तो ये दोनों ना जाने कहाँ से आ जाते है .... मेरा वाला राँझा तो गड़बड़ था ..तुम्हे तुम्हारा रांझा जल्द मिले अमीन!
    प्यारी रचना

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  7. बहुत ही शानदार रचना!
    --
    प्राचीन और अर्वाचीन की तुलना बहुत बढ़िया रही!

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  8. मैने कहीं पढा था कि पीडा का दूसरा नाम प्रेम है। अगर हमें प्रेम है तो यह तय है कि पीडा भी होगी। असल प्रेम पीडा या दर्द से उपजा हुआ ही माना गया है। जिसमे त्याग हो..समर्पण हो...। और मैं तो प्रेम की परिभाषा यही मानता हूं जिसमे समर्पण हो..दर्द हो त्याग हो और हो सिर्फ सच, खैर..बहुत बढिया पंक्तियां हैं..आपकी लेखनी में शब्द उम्दा तरीके से अपनी एक शैली बनाते हैं जो सरल और सार्थक हैं। अच्छा लगता है आपको पढना। वैसे भी भावनायुक्त रचनायें मुझे पसन्द आती है..तो बरबस ही आपकी रचनायें अच्छी लगने लगती हैं। लिखती रहें..मैं थोडा लेटलतीफ हो जाता हूं आपके ब्लॉग पर आने में किंतु आता जरूर हूं। और छूटी रचनायें भी पढता हूं।

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  9. यह बात तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं आप केवल लिखने के लिए नहीं लिखती.. जब भी लिखती है जानदार और शानदार लिखती है.
    आज भी आपने कमाल का लिखा है.
    आपको बधाई.

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  10. बहुत अच्छी लगी ये रचना बधाई

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  11. samay badla lekin pyar kaa ehsaas wahi hai... sunder rachna parul ji !

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  12. ख्वाबों के टेढ़े मेढ़े रास्ते सीधे नहीं हुए..
    very nice. I m a gr8 fond off Poetry that's y very choosy too but ur lines forced me to say something ..
    NICE JOB. TOUCHING LINE.

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  13. its just brilliant!

    this gazal is really nice and touching...

    very sensitive and hard hitting creating...
    very good...

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  14. प्यार नहीं पा जाने में,
    है पाने के अरमानों में
    पा जाता तो हाय न इतनी
    प्यारी लगती मधुशाला

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  15. इश्क पर जितना लिखा जाए कम है। हर बार हर बात नई सी लगती है।
    ................
    पॉल बाबा का रहस्य।
    आपकी प्रोफाइल कमेंट खा रही है?.

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  16. इश्क की तकदीर तो सदियों पहले से ही लिखी गयी है ... दर्द और पीर से उसका जनम जनम का नाता है ...
    बहुत खूब लिखा है ....

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  17. ये तो अलग सा रंग ले आयीं आप.. नाम क्या है इसका??? बेहतरीन रचना.. बस और को ओर कर लीजिये.

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  18. बहुत खूब..पारूल जी शब्द और भाव दोनों बेहतरीन..बढ़िया प्रस्तुति...आभार

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  19. Ishk aur pyar ek sundar anubhuti hai jo lambe samay tak nahi tikti...

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  20. खूबसूरत रचना....हीर रांझा...यह कहानी अमर है

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  21. वाह बहुत बढिया रचना,

    हीर रांझा की सदियों पुरानी कहानी
    सदियों तक चलती रहेगी मुंहजुबानी

    ब्रह्माण्ड भैंस सुंदरी प्रतियोगिता

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  22. ishq me naam bhale badal jate hon...kirdar nahi badlte hai ..aisi hi kuch baat kahti hui aap ki rachna achhi lagi mujhe...

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  23. वो एक आह जो दो दिलो में घुला करती थी
    मुझे मालूम है जिंदगी की खिड़की किस और खुला करती थी
    prem ke roop ko bahut achhe tarike se abhivyakt karti kavita....

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  24. aap sabhi ka bahut bahur aabhar..aur shivam ji shukriya charcha ke liye :)

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  25. 'तेरा- गम मेरा-गम' एक जैसा 'भरम',यही तो हाल-ए-सीरी-फ़रहाद हैं |
    जुल्म और दर्द का सिलसिला सहने को -हर बार जिश्म बदले हैं, रूहें वही आबाद हैं |
    इश्क-वालों का दिल कहीं ,जान कहीं, जिश्म कहीं रहता है --
    कोइ नहीं शानी, बेताज-बादशाहों का ,इश्क में आबाद हुए ,इश्क में बर्वाद हैं ||
    एक बहुत ही उम्दा रचना | बहुत-बहुत बधाई | ऐसे ही लिखतीं रहो |
    पारुल, तुम्हारी रचनाओं का स्तर बहुत ऊंचा है ,सो हरबार एक छोटी सीढ़ी लगाने की कोशिश करता हूँ ,ताकि हम जमींन-वालों से संपर्क बना
    रहे | अनुनय के साथ सादर-आमंत्रित हैं ,हमारे ब्लॉग (daddudarshan.com पर दर्शन ,पद-चिन्ह और दरबार) पर आइएगा | इस ब्लॉग पर पहुँचने वाले सभी
    साथिओं से भी यही अनुरोध है | बुरे या भले कुछ-शब्दों की प्रतीक्षा में ..............
    नरेश 'गौतम ' |

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  26. agli nazm ke intazaar mein..
    gud luck!

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  27. ye ishqiya nazm gajab dha gayi ji!

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  28. sabse itni waah wahi mil gayi
    aise hi kayal karti reho ###

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  29. इश्क़ धोखा ही सही, रोग पुराना ही सही
    ख़ूबसूरत है - मुक़द्दर से मिला करता है

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  30. गहराई से लिखी गयी खूबसूरत रचना वाह! शुभकामनाएं.

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  31. Achhi kavita ke liye Parul ko badhai... lekin main yahan comment karne wale sabhi vidwano se puchhna chahunga, ki mitron.. yehi kavita koi ladka likhta tab bhi kya aap itne hi josh se tareefon ke pul baandhte..???

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  32. कुछ इश्‍क तुम करो

    कुछ इश्‍क हम करें

    जब भी कहें इश्‍क पर

    लगता कम कहे

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  33. wah!! bahut hi sundar kavita. kya kahna.
    badhai

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  34. इसी सवाल के जवाब में उलझा था मैं कहीं
    लिखी जा चुकी इश्क़ की फिर इक नई तकदीर थी

    वाह ....बहुत ही उम्दा ......!!

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  35. वैरी नाईस पोएम... टच्ड अनटू द हार्ट.... नॉव आई ऍम फ्री.... सॉरी फोर बींग डिले.... होप यू विल बी फाइन....

    रिगार्ड्स...

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  36. वैरी नाईस पोएम... टच्ड अनटू द हार्ट.... नॉव आई ऍम फ्री.... सॉरी फोर बींग डिले.... होप यू विल बी फाइन....

    रिगार्ड्स...

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  37. parul ji ,,
    aap bejod likhti hain,, aise hi likhte rahiye badhai,, main naya blogger hun padhkar sujhav dijiye intezar rahega--- sproutsk.blogspot.com

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  38. parul ji,,
    bahut sundar rachna hai,, aise hi likhte rahiye-- main naya blogger hun padhkar protsahan dijiyega--- sproutsk.blogspot.com

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  39. बहुत बढिया!

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  40. बहुत बढिया रचना ।

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  41. बेहद प्रभावशाली -मार्मिक रचना.....!

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  42. इश्क के बारे में कुछ भी लिखना आसान नही होता,
    जब तक उसे दिल की गहराइयों में पनाह न मिली हो
    आपने जो लिखा उन शब्दों में जो भाव झलक रहे है वो ही इस गजल की वास्तविक सुन्दरता है ।

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  43. वाह. शोभा सिंह जी कि यह पेंटिन्ग मेरी पसंदीदा है और आपने इस पर इतनी सुन्दर कविता भी लिख दी. धन्यवाद.

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  44. kashishsahilsuman.blogspot.comMay 10, 2012 at 12:06 PM

    ye ishk nahi ansha.....................

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