Tuesday, July 6, 2010

एक ख़त!


एक ख़त तुम्हारा
या जिंदगी का एक टुकड़ा
जिसमें लिपटा चाँद
मन की आंच पर रोटी की तरह सिक रहा है
सदियों से प्रेम का भूखा
कोई ख्वाब इंतज़ार करता दिख रहा है
मैं रात को भी न्योता दे आया हूँ
कह आया हूँ,आ जाना
बाँट लेंगें सब बराबर बराबर
एक कोर जिंदगी का तुम भी खा जाना
अरे हाँ!ख़ामोशी से तो कहना भूल ही गया
अब समझा क्यों लफ्ज़ चीख रहा है॥
रुको लेकर आता हूँ दर्द के दोने
नींद सुलग जाये तो अच्छा है
सब जागे रहे,जाये न कोई सोने
मैं कुछ तन्हा से लम्हे
देखो खरीद लाया हूँ
आज बहुत सस्ते में वक़्त बिक रहा है॥
आ जाओ सब, अपना अपना कोर ले लो
कम पड़ जाये तो मुझसे और ले लो
मगर खा लो जी भर
रह न जाये कोई कसर
ताकि मैं जवाब में लिख दूं
अब ख्वाब,'तुम बिन' जीना सीख रहा है॥

36 comments:

  1. उत्कृष्ट रचना

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  2. ye rachna to blog 'gulzar' kar gayi
    gud luck :)
    !!!

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  3. wow parul.. Bahut hee pyaari rachnaa ....ek ek pankti anmol
    बहुत सस्ते में वक़्त बिक रहा है॥
    बाँट लेंगें सब बराबर बराबर

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  5. khat mein chand...khwaab..khamosi...jindagi !!
    amazing creativity!

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  6. अच्छी भावपूर्ण रचना... मुझे आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा. धन्यवाद .. बहुत सुंदर !!!

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  7. मैं कुछ तन्हा से लम्हे
    देखो खरीद लाया हूँ
    आज बहुत सस्ते में वक़्त बिक रहा है॥
    ...वाह...क्या बात है।

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  8. बहुत ही खूबसूरत खत लिखा है……………दिल की गहराइयों से लिखी गयी रचना है ये।

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  9. बेहद उम्दा रचना .........बधाइयाँ !

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  10. parul ji acha taana bana buna hai jindagi aur waqt ka

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  11. जब जीवन में पीड़ा का नित परचम छाने लगता है,
    विश्रान्त सिसकते भावों का एकान्त सुहाने लगता है ।

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  12. एक ख़त तुम्हारा
    या जिंदगी का एक टुकड़ा
    जिसमें लिपटा चाँद
    मन की आंच पर रोटी की तरह सिक रहा है
    बिम्ब सर्वथा नवीन। और बिम्ब का उत्तम प्रयोग।

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  13. आज दिल की हरकतें सब बंद हैं |
    आज मन की हलचलें सब बंद हैं |
    शायद ,पराकाष्ठा है प्यार की |
    अथवा बहुत लम्बे इंतजार की |
    कह नहीं सकता कि क्यों ऐसा हुआ ;
    जज्बात ने इस वक्त क्यों खेला जुआ -
    और सब कुछ हार कर -निढाल है ?
    अथवा गूंगा गुड में मालामाल है |.........
    एक बहुत-बहुत-बहुत अच्छी कविता | धन्यवाद |

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  14. 'ruko lekar ata hu dard ke done.....aaj bahut saste me vaqt bik rha hai.
    heart touching lines.

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  15. जाने क्यूं ...
    गुलज़ार साहब याद आ गये अचानक

    सच में ...
    एक प्रभावशाली रचना !!

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  16. अब ख़्वाब "तुम बिन" जीना सीख रहा है...
    मतलब ...मोहब्बत की गहराई बढ़ रही है ...

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  17. ek khat aur ek chand...
    kya likha hai..jwab nahi
    badhai

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  18. अबे आशीष, तू फिर से पढ़े-लिखे लोगों के मोहल्ले में आ गया! दुष्ट, बेशरम, अपना मज़ाक उड़वाने में बड़ा मज़ा आता है....!!
    भई, हमने तो दिमाग की दही कर ली, तो भी मट्ठा ही पल्ले पड़ा!
    अच्छा ही लिखा होगा...... पर कभी हमें लिखें तो हिंदी में लिखियेगा!
    मैं तो फिलहाल ये सोच रहा हूँ के दूध तो रात को ही पी लूँगा, सुबह तक खराब ना हो जाए! लेकिन सुबह को क्या खाऊंगा????? दलिया?!?!?!
    सच में.... इट्स टफ तु बी ए बैचलर!!!
    www.myexperimentswithloveandlife.blogspot.com

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  19. hey parul....
    what an awesome piece of writing....
    umdaah...
    badhai....

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  20. ताकि मैं जवाब में लिख दूं
    अब ख्वाब,'तुम बिन' जीना सीख रहा है॥ultimate

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  21. ताकि मैं जवाब में लिख दूं
    अब ख्वाब,'तुम बिन' जीना सीख रहा है॥ultimate

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  22. एक ख़त तुम्हारा
    या जिंदगी का एक टुकड़ा
    जिसमें लिपटा चाँद
    मन की आंच पर रोटी की तरह सिक रहा है
    सदियों से प्रेम का भूखा
    कोई ख्वाब इंतज़ार करता दिख रहा है

    रुको लेकर आता हूँ दर्द के दोने
    नींद सुलग जाये तो अच्छा है
    सब जागे रहे,

    Toofan hai k panktiyan hai?
    shabdon k chayan mein jo mehnat aur satarkata aapne barti hai kabile tareef hai...

    mai aur aaunga ..abhi man nahi bhara hai..hindi script k totke ghar bhool aayaa hoon..yaani..
    रुको लेकर आता हूँ

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  23. एक ख़त तुम्हारा
    या जिंदगी का एक टुकड़ा
    जिसमें लिपटा चाँद
    मन की आंच पर रोटी की तरह सिक रहा है
    सदियों से प्रेम का भूखा
    कोई ख्वाब इंतज़ार करता दिख रहा है

    रुको लेकर आता हूँ दर्द के दोने
    नींद सुलग जाये तो अच्छा है
    सब जागे रहे,

    Toofan hai k panktiyan hai?
    shabdon k chayan mein jo mehnat aur satarkata aapne barti hai kabile tareef hai...

    mai aur aaunga ..abhi man nahi bhara hai..hindi script k totke ghar bhool aayaa hoon..yaani..
    रुको लेकर आता हूँ

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  24. एक ख़त तुम्हारा
    या जिंदगी का एक टुकड़ा
    जिसमें लिपटा चाँद
    मन की आंच पर रोटी की तरह सिक रहा है
    सदियों से प्रेम का भूखा
    कोई ख्वाब इंतज़ार करता दिख रहा है

    रुको लेकर आता हूँ दर्द के दोने
    नींद सुलग जाये तो अच्छा है
    सब जागे रहे,

    Toofan hai k panktiyan hai?
    shabdon k chayan mein jo mehnat aur satarkata aapne barti hai kabile tareef hai...

    mai aur aaunga ..abhi man nahi bhara hai..hindi script k totke ghar bhool aayaa hoon..yaani..
    रुको लेकर आता हूँ

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  25. रचना मेँ आशा और संवेदना का उत्कृष्ट समुच्चय ।
    प्रशंसनीय ।

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  26. अगेन सॉरी फॉर कमिंग लेट.... ऐज़ फॉर ऑल .... वन ऑफ़ दी बेस्ट क्रियेशन ऑफ़ यौर्ज़....जेम ऑफ़ दी एरा.... टची वन....डू कीप इट अप....

    रिगार्ड्स....

    www.lekhnee.blogspot.com

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  27. Pata nahin aapke blog mein kya hai...ya is paraye vomputer ko sadh nahin pa raha hoon

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  28. bahut bahut sunder rachana....

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  29. नज़्म बहुत सुन्दर है....अच्छे प्रतीकों के साए में पली यह नज़्म नयेपन से सराबोर है.

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  30. ek naam mera bhi is fehrist me..:)
    badhai ho

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  31. बहुत भावपूर्ण रचना..ख्वाब तुम बिन जीना सीखा रहा है..क्या उम्दा भाव है ....सुंदर एहसास से भरी के बेहतरीन कविता..धन्यवाद पारूल जी

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  32. एक ख़त तुम्हारा
    या जिंदगी का एक टुकड़ा
    जिसमें लिपटा चाँद
    मन की आंच पर रोटी की तरह सिक रहा है\क्या कहूँ निशब्द हूँ । लाजवाब रचना। बधाई

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  33. कुछ कहूँ तो कम पड़ेगा, न कहूँ तो गम होगा...बस आप लिखते रहिए, ... बेहद शानदार ....

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