When emotions overflow... some rhythmic sound echo the mind... and an urge rises to give wings to my rhythm.. a poem is born, my rhythm of words...
Tuesday, June 8, 2010
चलो रूमानी हो जाएँ :)
आ,दोनों अपनी उँगलियों से पानी को छेड़े
और बैठे बैठे ख़ामोशी को यूँ उधेड़े
कि हर लफ्ज़ खुद में कहानी हो जाये
इन बूंदों की गिरफ्त में चलो रूमानी हो जाएँ ॥
आ जिंदगी फिर कभी न ऐसे छलके
हो जाये दोनों यूँ मन से हल्के
हर कतरा जिंदगानी हो जाये
इन बूंदों की गिरफ्त में चलो रूमानी हो जाएँ ॥
इश्क के दो गरम प्याले
बस अब तो हम लबों से लगा ले
कि पीते ही हर एहसास रूहानी हो जाये
इन बूंदों की गिरफ्त में चलो रूमानी हो जाएँ ॥
साँसों में घुलते ठंडी हवाओं के झोंकें
दबी हसरतों को मिलते से ये मौके
इस से पहले कि मंज़र आसमानी हो जाये
इन बूंदों की गिरफ्त में चलो रूमानी हो जाये ॥
तुझ मुझे में अब भी है वो बातें
वो सोये से दिन,वो जागी सी रातें
खाते में और एक शाम सुहानी हो जाये
इन बूंदों की गिरफ्त में चलो रूमानी हो जाएँ ॥
चलो रूमानी हो जाएँ, बख़ूबी रूमानितयत में सराबोर है यह रूमानी नज़्म!
ReplyDelete---
The Vinay Prajapati
वाह वाह वाह …………………बहुत ही रुमानी रचना……………दिल को छू गयी।
ReplyDeleteबस अब तो हम लबों से लगा ले
ReplyDeleteकि पीते ही हर एहसास रूहानी हो जाये
इन बूंदों की गिरफ्त में चलो रूमानी हो जाएँ ॥
Bahut khoob. Vah!!
बस अब तो हम लबों से लगा ले
ReplyDeleteकि पीते ही हर एहसास रूहानी हो जाये
इन बूंदों की गिरफ्त में चलो रूमानी हो जाएँ ॥
bahut khoob. Vah!!
सुन्दर रचना
ReplyDeleteवाह वाह ! पारुल ये मौसम और इतनी रूमानी नज़्म ...असर हो गया जी ... बस हम भी निकलते है मौसम का मज़ा लेने को
ReplyDeleteबाहर छमाछम होती बरसात में आपनी रूमानी रचना ने रंग भर दिया है...बधाई...
ReplyDeleteनीरज
ohho..beh gaye hum to :)
ReplyDeletefantastic job!
वाह...आपने तो बरसात की बूंदों के नये अर्थ निकाल लिये.
ReplyDeleteसाँसों में घुलते ठंडी हवाओं के झोंकें
ReplyDeleteदबी हसरतों को मिलते से ये मौके
इस से पहले कि मंज़र आसमानी हो जाये
इन बूंदों की गिरफ्त में चलो रूमानी हो जाये
बहुत सुन्दर.....हर पंक्ति रूमानी सी
पारूल.. बहुत ख़ूबसूरत ही नहीं, लाजवाब है ये.. इसको अल्फ़ाज़ो में बयां करना बेमानी सा है..
ReplyDelete"साँसों में घुलते ठंडी हवाओं के झोंकें
ReplyDeleteदबी हसरतों को मिलते से ये मौके
इस से पहले कि मंज़र आसमानी हो जाये
इन बूंदों की गिरफ्त में चलो रूमानी हो जाये ॥"
bahut badhiya ji...
खामोशियों की जुबाँ समझे तो मायने बदल जाते है बातो के,
असमंजस में है कि बातों के मायने बदले या बात पुरानी रहने दे....
कुंवर जी
are wah kya andaz hai.......
ReplyDeletemood bana rahe aur aise mood me fatafat do char rachanae aur likh daliye...........
Aabhar
रचना बहुत अच्छी लगी..
ReplyDeleteबहुत खूब जी ! लगे रहिये !
ReplyDeleteBahut sundar rachna!
ReplyDeleteख़ामोशी का उधड़ना.. ख्याल में चार्म घोलता है..
ReplyDeleteगुलज़ार साहब का लिखा गीत.. बोल ना हल्के हल्के याद आ रहा है..
इन बूंदों की गिरफ्त में चलो रूमानी हो जाएँ ॥
ReplyDeleteखाते में और एक शाम सुहानी हो जाये
ReplyDeleteइन बूंदों की गिरफ्त में चलो रूमानी हो जाएँ ॥
रूमानियत में डूबी सुन्दर रचना
कुदरत में जिन्दगी है ,इसे पास करके देखो |
ReplyDeleteहर शय में खुशी रोशन, विश्वास करके देखो |
क्यों मातम है मौत का सा पल- पल में तुम्हारे -
ज़र्रे- ज़र्रे में रागिनी है ,एहसास कर के देखो |
और ये एहसास आपकी कविता में बखूबी दिखा है | बहुत खूब | बधाई |
इश्क के दो गरम प्याले
ReplyDeleteबस अब तो हम लबों से लगा ले
कि पीते ही हर एहसास रूहानी हो जाये
इन बूंदों की गिरफ्त में चलो रूमानी हो जाएँ ॥
..अच्छा लिखती हैं आप...
हिला देना वाली अभिब्यक्ति
ReplyDeleteWow ....ham to padhkar hi rumaani ho gaye :-)
ReplyDeleteपारुलजी,
ReplyDeleteमैंने अपने ब्लॉग शस्वरं पर भी अभी दो रूमानी ग़ज़लें लगा रखी हैं …
लेकिन आपके यहां आया तो ख़ुद ब ख़ुद रूमानियत की बारिश में भीग गया जैसे ।
वो एक पुराना गाना है ना
…शिकार करने को आए , शिकार हो' के चले
"चलो रूमानी हो जाएं… … …!"
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
पारुलजी,
ReplyDeleteमैंने अपने ब्लॉग शस्वरं पर भी अभी दो रूमानी ग़ज़लें लगा रखी हैं …
लेकिन आपके यहां आया तो ख़ुद ब ख़ुद रूमानियत की बारिश में भीग गया जैसे ।
वो एक पुराना गाना है ना
…शिकार करने को आए , शिकार हो' के चले
"चलो रूमानी हो जाएं… … …!"
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
are baap re.....ye kyaa.....in pyaari-pyaari panktiyon ko padhkar to thoda-thoda main bhi rumaani ho chalaa hun....sach.....
ReplyDeleteबहुत खूब...रचना बहुत अच्छी लगी....बहुत बहुत बधाई |
ReplyDeleteरचना बहुत अच्छी लगी....बहुत अच्छा लिखती हैं आप...बहुत बहुत बधाई |
ReplyDeleteaap sabhi ka aabhar :)
ReplyDeleteपारुल जी एक हलचल सी मच गई है .............. बेहतरीन लिखा है आपने ..........
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना ।
ReplyDeleteशानदार रचना, मार्मिक प्रस्तुति।
ReplyDelete--------
ब्लॉगवाणी माहौल खराब कर रहा है?
very romantic!
ReplyDelete"pite hi hr swansh ruhani ho jaye
ReplyDeleteati sudr pnkti
rchna me vstu prignn saili ka sundr pryog hai
sadhrnikrn hetu upadano ka achchha pryog hai
badhai
dr. ved vyathit
email :dr.vedvyathit@gmail.com
behad khoobsooratttt ..hatts offfff
ReplyDeleteWah..Wah..Wah...Just amaging...marvellous. Parul ji aapne bahut... .bahut....achha likhaa hai. I went through it many times.
ReplyDeleteआ,दोनों अपनी उँगलियों से पानी को छेड़े
ReplyDeleteऔर बैठे बैठे ख़ामोशी को यूँ उधेड़े
कि हर लफ्ज़ खुद में कहानी हो जाये
इन बूंदों की गिरफ्त में चलो रूमानी हो जाएँ ॥
रोमानियत से भरपूर बेहद खूबसूरत नज़्म .....!!
aik bhiina bhiina sa ahsaas dil mein jagatii hai aap ki ye nazm
ReplyDelete,bahut khoobsoorat hai ye ahsas...
bahut khub,
ReplyDeleteबहुत सुन्दर----खूबसूरत अनुभूतियों का सुन्दर कोलाज्।
ReplyDeleteबहुत खूब !
ReplyDeleteकविताएं नियमित रूप से पढ़ता हूँ. इनका शिल्प और कथ्य मुझे बहुत ख़ास लगता है जाने किसकी याद दिलाता है. हो सकता है ये ही खूबी हो कवि की, उसकी कविता कुछ याद दिलाये और फिर पाठक को लगे कि ये उसकी अपनी है. शुभकामनाएं
ReplyDeletebahut sundar...umda.
ReplyDeletehttp://iisanuii.blogspot.com/2010/06/blog-post_12.html
bahut acchi rachna...badhai
ReplyDeletemor pankhi jaisi mulayam rachana....abhi barish hogi to shayad pankh fauila ke nachane bhi lagegi ..b'ful......
ReplyDeleteप्रभावशाली लेखन।
ReplyDeleteरचना अच्छी लगी...
ReplyDeleteवाह जी वाह
khubsurat rachna ke liye badhai
ReplyDeleteसुन्दर और कोमल भवनाओं की सशक्त अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteवाकई, हर पंक्ति दिल को छू लेने वाली है.. अच्छी प्रस्तुति .... बधाई.....शुक्रिया..
ReplyDeleteपारुल जी, सबसे पहले ब्लॉग पर आने का शुक्रिया !!!
ReplyDeleteआ,दोनों अपनी उँगलियों से पानी को छेड़े
और बैठे बैठे ख़ामोशी को यूँ उधेड़े
कि हर लफ्ज़ खुद में कहानी हो जाये
इन बूंदों की गिरफ्त में चलो रूमानी हो जाएँ ॥
बहुत खुबसूरत... लाज़वाब ...
खाते में और एक शाम सुहानी हो जाये
ReplyDelete- जिन्दगी जीने का यही सही तरीका है.छोटे छोटे सुख जीवन को सुहाना बनाते हैं.
मौसम के मिज़ाज पे अच्छा लिखा है। अच्छी सुखनवर है आप...
ReplyDeleteहो के आशिक वो परिरुख और नाजुक बन गया
रंग खुलता जाएं है जितना कि उड़ता जाएं हा
रजनीश
wwwkufraraja.blogspot.com
bahut sunder poem.....
ReplyDeletehttp://www.anaugustborn.blogspot.com/
कि पीते ही हर एहसास रूहानी हो जाये
ReplyDeleteइन बूंदों की गिरफ्त में चलो रूमानी हो जाएँ ॥
awesome.......
Parul tumhara rumaneepan me kho jana kuch jyada lamba nahee ho gaya?
ReplyDeleteblog jagat ko mahanga pad raha hai......
:) :)
achchii kavitaaen likhati hain aap..............
ReplyDeleteसुन्दर और सशक्त अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteरूमानी जज्बों की शानदार अभिव्यक्ति।
ReplyDelete---------
क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
अगर हाँ, तो फिर चले आइए रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया में आपका स्वागत है।
अच्छी रचना बल्कि बहुत ही अच्छी रचना। मेरी शुभकामनाएं। उम्मीद है आप बहुत आगे जाएंगी। रचना के विषय में बहुत कुछ लिखा जा चुका है बस इतना ही कहूंगा कि बहुत शानदार है। आपको बधाई।
ReplyDeleteकोई शक नहीं कि इसे पढ़कर सख्तदिल भी रूमानी हो जायेंगे..
ReplyDeletebahut gazab likhti hai aap
ReplyDeleteme to fan ho gaya apka
1
ReplyDeleteआ,दोनों अपनी उँगलियों से पानी को छेड़े
और बैठे बैठे ख़ामोशी को यूँ उधेड़े
कि हर लफ्ज़ खुद में कहानी हो जाये
इन बूंदों की गिरफ्त में चलो रूमानी हो जाएँ ॥
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इश्क के दो गरम प्याले
बस अब तो हम लबों से लगा ले
कि पीते ही हर एहसास रूहानी हो जाये
3
साँसों में घुलते ठंडी हवाओं के झोंकें
दबी हसरतों को मिलते से ये मौके
इस से पहले कि मंज़र आसमानी हो जाये
इन बूंदों की गिरफ्त में चलो रूमानी हो जाये ॥
Kya baat hai, aap to behad roommani ho gayeen--jaadoo karti hai aapkei lafzo ki yeh kaseedakari--
lagta ab muamlah ulat jayega...ustadi ka..
nahin, seriously, apki nakkasi dil tak utar gayee.
...अपनी उँगलियों से पानी को छेड़े
ReplyDeleteऔर बैठे बैठे ख़ामोशी को यूँ उधेड़े
कि हर लफ्ज़ खुद में कहानी हो जाये
इन बूंदों की गिरफ्त में चलो रूमानी हो जाएँ
Beautiful.... specially "ख़ामोशी को यूँ उधेड़े कि हर लफ्ज़ खुद में कहानी हो जाये" too good...