तुम यूँ ही नहीं सब कहते थे
कि बस तुमको फंसना होता था॥
मेरे हर उदास से पल में
न यूँ ही तुम्हारा हँसना होता था ॥
कुछ किस्से, जो न कभी पढ़े
चेहरे पर तेरे छपते थे
मैं अब तलक कहाँ तक चला
जैसे बस तुमसे ही नपते थे
जहाँ मैं खुद भी नहीं रहा
वहांयूँ
ही नहीं तुम्हारा बसना होता था ॥
वो रंग जो सिर्फ मेरे थे
जाने क्यों तुम पर भी फबते थे
उन साँसों की गर्माहट में
अनजाने ही नहीं हम तपते थे
वो ढीली ढाली सी बातें
क्यों सब तुमको ही कसना होता था ॥
सोयी सी आँखें रहती थी
जागी सी एक जंग लिये
तुम दूर जाते दिखते थे
ख़्वाबों की पतंग लिये
अम्बर के उस कोरेपन में
तब जीवन को रखना होता था ॥
वो रंग जो सिर्फ मेरे थे
ReplyDeleteजाने क्यों तुम पर भी फबते थे
उन साँसों की गर्माहट में
अनजाने ही नहीं हम तपते थे
निहायत ही उम्दा रचना, शुभकामनाएं.
रामराम.
बहुत सुन्दर कविता है .. बिलकुल दूर किसी जंगल में पहाड़ी झरने जैसी ... कल कल करती शब्दों कि बौछार ....
ReplyDelete"सोयी सी आँखें रहती थी
ReplyDeleteजागी सी एक जंग लिये
तुम दूर जाते दिखते थे
ख़्वाबों की पतंग लिये
अम्बर के उस कोरेपन में
तब जीवन को रखना होता था॥"
please delete the first comment
ReplyDelete"सोयी सी आँखें रहती थी
ReplyDeleteजागी सी एक जंग लिये
तुम दूर जाते दिखते थे
ख़्वाबों की पतंग लिये"
बहुत खूब - इसलिए कसाव जरुरी है.
सोयी सी आँखें रहती थी
ReplyDeleteजागी सी एक जंग लिये
तुम दूर जाते दिखते थे
ख़्वाबों की पतंग लिये
ati sunder............
सोयी सी आँखें रहती थी
ReplyDeleteजागी सी एक जंग लिये
तुम दूर जाते दिखते थे
ख़्वाबों की पतंग लिये
ati sunder............
सोयी सी आँखें ,
ReplyDeleteजागी सी एक जंग ,
तुम दूर जाते ,
ख़्वाबों की पतंग लिये,
अम्बर के कोरेपन में
जीवन को रखना ,
अनुभूतियों को क्या शब्दों का जामा पहनाया है!!
अंदर के सब स्पर्श पारदर्शी हो गए।
बहुत बहुत बहुत संजीदा चिंतन पारुल
बधाई
सोयी सी आँखें रहती थी
ReplyDeleteजागी सी एक जंग लिये
तुम दूर जाते दिखते थे
ख़्वाबों की पतंग लिये
अम्बर के उस कोरेपन में
तब जीवन को रखना होता था
बेहतरीन पंक्ति .......पूरी रचना लाजवाब
वो रंग जो सिर्फ मेरे थे
ReplyDeleteजाने क्यों तुम पर भी फबते थे
उन साँसों की गर्माहट में
अनजाने ही नहीं हम तपते थे
वो ढीली ढाली सी बातें
क्यों सब तुमको ही कसना होता था ॥
ओह क्या लिख दिया आपने!
यह बेसुध समर्पण ,यह ख्वाबिन्दा अहसास
‘तुमको ही कसना होता था’ एक मासूम सा स्वीकार..
खूबसूरत और वह जो कह नहीं सकने की कसमसाहट का कहना नाकहना..
जद्दोजहद शायद..
कमेन्ट भी लड़खड़ाया देखिए..
आपने उस्ताद जी कहकर मगरूर और निशब्द बना दिया
If you please dissable comment moderation--- But it's your choice..
वो रंग जो सिर्फ मेरे थे
ReplyDeleteजाने क्यों तुम पर भी फबते थे
उन साँसों की गर्माहट में
अनजाने ही नहीं हम तपते थे
वो ढीली ढाली सी बातें
क्यों सब तुमको ही कसना होता था ॥
ओह क्या लिख दिया आपने!
यह बेसुध समर्पण ,यह ख्वाबिन्दा अहसास
‘तुमको ही कसना होता था’ एक मासूम सा स्वीकार..
खूबसूरत और वह जो कह नहीं सकने की कसमसाहट का कहना नाकहना..
जद्दोजहद शायद..
कमेन्ट भी लड़खड़ाया देखिए..
आपने उस्ताद जी कहकर मगरूर और निशब्द बना दिया .....बहरहाल तसलीम!!!
sundar se ehsaas baya karti rachna,
ReplyDeletebadhiya prastuti.
#ROHIT
heart touching poetry... great!
ReplyDeletebahut sundar likha Parul ji...
ReplyDeleteAwesome!
ReplyDeleteसुन्दर भावपूर्ण रचना.
ReplyDeleteढीली ढाली बातो को कसना.. कमाल का थोट है..
ReplyDeleteमेरे हर उदास से पल में
ReplyDeleteन यूँ ही तुम्हारा हँसना होता था ॥
कुछ किस्से, जो न कभी पढ़े
चेहरे पर तेरे छपते थे
ati sunder ! !
मेरे हर उदास से पल में
ReplyDeleteन यूँ ही तुम्हारा हँसना होता था ॥
कुछ किस्से, जो न कभी पढ़े
चेहरे पर तेरे छपते थे
ati sunder ! !
शानदार रचना!
ReplyDeleteसुन्दर शब्द-चयन!
Bahut sundar bhavon kee khoobasurat prastuti---.
ReplyDeletePoonam
पहली ..बार आया हूँ आपके ब्लॉग पर .....ख़ुशी हुई .....एक शानदार और सुन्दर प्रस्तुति ..बधाई स्वीकारे
ReplyDeletehttp://athaah.blogspot.com/2010/04/blog-post_29.html
प्रशंसनीय ।
ReplyDeleteBahut Khubsurat......
ReplyDeleteवो रंग जो सिर्फ मेरे थे
ReplyDeleteजाने क्यों तुम पर भी फबते थे
उन साँसों की गर्माहट में
अनजाने ही नहीं हम तपते थे
वो ढीली ढाली सी बाते
क्यों सब तुमको ही कसना होता था ॥
क्या बात है?!?!?!
ओह! आय ऍम एक्सट्रीमली सॉरी... हाउ हैव आई कन्नाईव्ड ... यौर ब्लॉग? इट ईज़ रिअली एम्बैरसिंग फॉर मी....वॉट ए लवली पोएम यू हैव स्क्रिब्ब्ल्ड .... इट हैज़ ड्रिवेन इंटू माय हार्ट.... नॉव, आई ऍम बैक टू लखनऊ .... सो विल बी रेगुलर ऑन यौर ब्लॉग....
ReplyDeleteथैंक्स....
एंड
रिगार्ड्स....
khoobsoorat nazm hai............\
ReplyDeleteआप बहुत अच्छा लिखती हैं। लगी रहिए!
ReplyDeleteis rachna par shuru mein diye gaye kain comments accept karne ke baad bhi show nahi huye,shayad kisi technical fault ki vajah se :(
ReplyDeletephir bhi main un sabhi ka hosla afjai ke liye aabhar vyakt karti hoon...
aur baaki sabhi ka bhi dhanywaad kehungi..!
kuch to raha koi anjana sa ankaha rishta, jisme se n tum ja sake, na hum
ReplyDeleteकसाव शीर्षक देख पहले सोचा की आपने मुंबई कांड वाले कसाव पर कविता लिखी है ...पर ये तो मन के कसाव पर है .....
ReplyDeleteबहुत सुंदर .....!!
बहुत ही खूबसूरत नज्म।
ReplyDeleteमुबारकबाद स्वीकारें।
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बूझ सको तो बूझो- कौन है चर्चित ब्लॉगर?
पत्नियों को मिले नार्को टेस्ट का अधिकार?
wah....
ReplyDeletebahut sunder likhatin hain aap..parul ji.