Wednesday, March 10, 2010

कहानी..


कुछ पन्ने भी फटे थे
कुछ लफ्ज़ भी कटे थे
तेरी मेरी उस कहानी से
किरदार भी छंटे थे ।
एक टुकड़ा मेरे दिल का
अब चाँद बन गया था
एक टुकड़ा तेरे दिल का
ख़्वाबों में सन गया था
एक नींद लग गयी थी
दोनों को एक जैसी
जहाँ दोनों टुकड़े
आपस में पास आ सटे थे ।
जबरन कराये खाली
दोनों ने मन के कोने
एहसास कहानी के
थककर लगे थे सोने
एक प्यास लग गयी थी
दोनों को एक जैसी
जीकर वो दर्द ,रोने को
अब कतरे भी बांटे थे ॥

36 comments:

  1. अब क्या कहूं ,बहुत खूबसूरत रचना ...दिल छू गई

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  2. जबरन कराये खाली
    दोनों ने मन को कोने
    एहसास कहानी के थककर लगे थे सोने
    एक प्यास लग गयी थी
    दोनों को एक जैसी
    जीकर वो दर्द ,रोने को
    अब कतरे भी बांटे थे ॥


    BAHUT HI SUNDER......

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  3. Very Well Done... Good Creation!




    "राम"

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  4. किन शब्दों में तारीफ़ करू इस रचना की कुछ नहीं सूझ रहा.

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  5. एक टुकड़ा मेरे दिल का
    अब चाँद बन गया था
    एक टुकड़ा तेरे दिल का
    ख़्वाबों में सन गया था
    एक नींद लग गयी थी
    दोनों को एक जैसी
    जहाँ दोनों टुकड़े
    आपस में पास आ सटे थे ।
    आप की इस कविता में विचार, अभिव्यक्ति शैली-शिल्प और संप्रेषण के अनेक नूतन क्षितिज उद्घाटित हो रहे हैं।

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  6. badhiya hai bahut had tak aap safal hai ... is tarah ka nazm likhnaa thoda sa mushkil kaam hai ... mere khayaal se man ke kone hoga galti se aapne man ko kone likh diyaa hai... badhaayee


    arsh

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  7. bahut khoobsoorat rachana.........

    एक प्यास लग गयी थी
    दोनों को एक जैसी
    जीकर वो दर्द ,रोने को
    अब कतरे भी बांटे थे ॥

    ati sunder...........

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  8. सुन्दर रचना है!
    चर्चा मंच पर इसकी चर्चा है!

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  9. a unique way to express yrself..
    mind blowing!!

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  10. shashtri ji charcha manch par charcha ke liye dhanywaad!

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  11. जीकर वो दर्द ,रोने को
    अब कतरे भी बांटे थे ॥

    ये 'कतरा' तो बांटने वाले नही बांटते...बेहद साफ और अभिव्यक्ति. लेकिन बहुत कुछ अनकहा भी है...वही अनकहे शब्द तो खींचते हैं- अपनी तरफ

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  12. जहाँ दोनों टुकड़े
    आपस में पास आ सटे थे ।
    जबरन कराये खाली
    दोनों ने मन के कोने
    खूबसूरती से कही आपने किरदारो की कहानी
    मानस पटल हो गया है देखिये धानी-धानी

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  13. जबरन कराये खाली
    दोनों ने मन के कोने
    एहसास कहानी के
    थककर लगे थे सोने
    बहुत खूबसूरती से सुनाया आपने किरदारो की कहानी
    एहसास का आंचल हो गया है धानी-धानी

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  14. जबरन कराये खाली
    दोनों ने मन को कोने
    एहसास कहानी के थककर लगे थे सोने
    एक प्यास लग गयी थी
    दोनों को एक जैसी
    जीकर वो दर्द ,रोने को
    अब कतरे भी बांटे थे ॥



    वल्लाह......क्या लिखा है

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  15. कुछ पन्ने भी फटे थे
    कुछ लफ्ज़ भी कटे थे
    तेरी मेरी उस कहानी से
    किरदार भी छंटे थे ।

    एक टुकड़ा मेरे दिल का
    अब चाँद बन गया था
    एक टुकड़ा तेरे दिल का
    ख़्वाबों में सन गया था
    एक नींद लग गयी थी
    दोनों को एक जैसी
    जहाँ दोनों टुकड़े
    आपस में पास आ सटे थे ।

    पारुल,
    यूं तो पूरा गीत सहज, रवां , मुकद्दस और सधा हुआ है

    गीत को यूं कहानी का नाम देना अच्छा लगा ..गीतकार का एक और अलंकारिक अंदाज.. आप रचना के प्रति किस कदर संजीदा हैं इसका अहसास आपकी पोस्टिंग से होता है।

    ब्लाग की दुनिया में एक और हरसिंगार की आमद है आपका ब्लाग

    बधाई

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  16. जबरन कराये खाली
    दोनों ने मन के कोने
    एहसास कहानी के
    थककर लगे थे सोने
    एक प्यास लग गयी थी
    दोनों को एक जैसी
    जीकर वो दर्द ,रोने को
    अब कतरे भी बांटे थे ॥

    जीकर वो दर्द ,रोने को
    अब कतरे भी बांटे थे ॥


    बांटे की जगह बंटे है ..इसे एडिट में जाकर सुधार दें ताकि सही प्रवाह पाठक तक पहुचे।

    मैंने इस पंक्ति को अपनी सुविधा के लिए कुछ इस तरह पढ़ लिया

    आंखों के सारे आंसू
    अब कतरों में बंटे थे

    फटे , कटे , सटे के साथ ‘‘बंटे’’ एक यूनीफार्म में आता है ,इसलिए..

    पर मैं , गुस्ताखी मुआफ़..हस्तक्षेप बिल्कुल नहीं कर रहा ..

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  17. no doubt ..man ko bhayee ...but...i was trying to making a picture..or collage of pictures created in the poetry..and i am so far unable to create a connectivity or continuity or a pattern...inability might be on my part...still i like the poem....

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  18. making=make .....a picture

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  19. बहुत सुन्दर लिखा...बेहतरीन रचना !!
    ______________

    "पाखी की दुनिया" में देखिये "आपका बचा खाना किसी बच्चे की जिंदगी है".

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  20. एक तारतम्यता देखने को मिली. बहुत दिनों बाद.
    उम्दा रचना है. बधाइयाँ.

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  21. एक टुकड़ा मेरे दिल का
    अब चाँद बन गया था
    एक टुकड़ा तेरे दिल का
    ख़्वाबों में सन गया था..

    बहुत सुन्दर. अनुभव और विचारों के बीच अधिक दूरी नहीं होती पर शब्दों को पिरोने में युग बीत जाते हैं, ऐसी सुन्दर रचना के लिए बधाई.

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  22. बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने! दिल को छू गयी हर एक पंक्तियाँ!

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  23. अद्भुत। एक सवाल कहाँ से लाती हैं जज्बातों के शब्द रूपी झोंके

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  24. "एक नींद लग गयी थी
    दोनों को एक जैसी
    जहाँ दोनों टुकड़े
    आपस में पास आ सटे थे ।"

    आप बड़ी ही सरलता से कदीन बात कह जाती है

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  25. तेरी मेरी उस कहानी से
    किरदार भी छंटे थे।
    .

    .

    .
    एक प्यास सी लग गई थी

    दोनों को एक जैसी
    जीकर वो दर्द, रोने को
    अब कतरे भी बांटे थे।


    एहसासों को छू गई कविता...

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