Friday, February 12, 2010

इश्क !(प्रेम दिवस पर विशेष )


मेरा तेरा इश्क देखकर
देखो सूरज जलता है ॥
अपनी ख्वाहिशों के झुरमुट में ही
कहीं रोज ये दिन सा पिघलता है ॥
मैं शब्दों की फिरकी बनाकर
जब भी तुम पर फेंकता हूँ
तेरे मेरे बीच में ये
पगली सी हवाओं संग फिरता है ॥
प्यार भरे लफ़्ज़ों में अक्सर
ख़ामोशी को सुलगाता है
और फिर अपनी ही साजिश में
बनकर राख सा उड़ता है ॥
मैं जब भी तुमसे अपने
ख्वाबों की बातें कहता हूँ
तुमको यूँ पाने की खातिर
वो रोज रातों से लड़ता है ॥
और फिर वो डूबता जाता है
अपनी ही तन्हाई में
जब हम दोनों के इश्क का चाँद
ख्वाहिशों के अम्बर पर चढ़ता है ॥
कैसे भी करके जाने क्यों
तुम में समाना चाहता है
समझ रहा हूँ आखिर क्यों वो
इतना घटता-बढ़ता है ॥
मैं कागज़ की नाव बनाकर
उसको बचाना चाहता हूँ
और एक वो है जो रोज
सांझ के दरिया में ही गिरता है ॥

(कागज़ की नाव =अपनी भावनाओं से)

48 comments:

  1. "मेरा तेरा इश्क देखकर
    देखो सूरज जलता है ॥
    अपनी ख्वाहिशों के झुरमुट में ही
    कहीं रोज ये दिन सा पिघलता है ॥
    "मैं शब्दों की फिरकी बनाकर
    जब भी तुम पर फेंकता हूँ"
    क्या बात है, जबाब नहीं.

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  2. मेरा तेरा इश्क देखकर
    ""देखो सूरज जलता है ॥""

    waah.. achha hai.. badhiya hai..

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  3. waah .........kya baat hai .........jawab nhi.

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  4. tumhara blog roj padhkar man mera khilta hai.jeevan ke rangon mein yahan doobne ko milta hai..as always u r superb :)

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  5. मैं कागज़ की नाव बनाकर
    उसको बचाना चाहता हूँ

    कागज के नाव को बचाने की कोशिश कशिश की परिणति ही तो है.

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  6. इश्क ..............
    लिखने बैठो तो अक्षर भी मीठे हो जाते हें
    इतना मीठा एहसास
    बनाने में सूरज,हवा ,खवाब ,चाँद अम्बर सब बड़ी ईमानदारी से अपना काम कर जाते हें ..
    कामल तो उनका भी है जिनसे किसी को इश्क हो जाए और हो भी ऐसा की अक्षरों को शब्दों को मीठा कर जाए.

    मीठी रचना..
    आज का पावन दिवस जीवन में उन्नति के लाख लाख दरवाजे खोले .

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  7. kya khoob likhati he aap. pahali bar aape blog par aana huaa. har shabd dil tak jaane vala hoha he aapki kavitao me.

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  8. वाह बहुत खूब भाव पिरोए आपने..सुंदर कविता....

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  9. ghar, fidrat aur ishq teen hi lajawab nikale....har shabd dil ko chhota hai...

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  10. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति, धन्यवाद.

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  11. गुलाबों की तरह दिल अपना शबनम पे भिगोते हैं,
    मोहब्बत करने वाले "खूबसूरत" लोग होते हैं!!!



    शुभ भाव

    राम कृष्ण गौतम

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  12. इक सुदर सलोनी सी भावभरी कविता

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  13. इश्क को इश्किया कर दिया है आपने

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  14. It gives the impression of Meta-physical poetry. This genere of poetry demands consistent labour and wide-spread knowledge.If you are interested in this i would suggest you to read Jhohn Donn's Collection; specially his poem "Sunny Rise". You can aslo go for Nature Poet Wrdsworth's "Daffodiles".

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  15. बहुत खूबसूरत रचना ....

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  16. velientien day ke awsar paraapneto hamsabko eshme sarobar kardiya.
    ek behatareen rachna.parul ji aapko
    hardik badhayi.
    poonam

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  17. parul ji,valentine ke avasar par aapne sabko ishq me sarobar kar diya . bahut achchha likhti hain ap.haardik badhaai.
    poonam

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  18. सुंदर भाव समेटे यह कविता मन को आल्हादित कर देती है.

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  19. प्यार भरे लफ़्ज़ों में अक्सर
    ख़ामोशी को सुलगाता है
    और फिर अपनी ही साजिश में
    बनकर राख सा उड़ता है ..

    प्यार भरे शब्द अक्सर उड़ते हैं और दूसरे के जहाँ में बैठ जाते हैं .... फिर प्यार के फूल खिलते हैं ... बहुत सुंदर एहसास में डूबी रचना .....

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  20. Ye sari duniya h kehti kisi ek k jane se hamari Zindgi ruk ni jati, par ye koi nh janta k lakhon k mil jane s b us ek ki kami puri nh hoti,
    Very nice parul ji.
    Where Information Lives, Where A Good Time Lives, visit my blog http://helpforlove.blogspot.com

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  21. SACHIN KUMAR..

    SANDAR...WISH THIS RHYTHM OF WORDS JUST GO ON AND ON...

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  22. रचा - बसा चन्दा-मामा में,
    रूप तुम्हारा नया-नया।
    रात चाँदनी में आयेगा,
    रूप तुम्हारा नया-नया।।
    मलयानिल के झोंको में है,
    रूप तुम्हारा नया-नया।
    प्रेम-दिवस पर छा जायेगा,
    रूप तुम्हारा नया-नया।

    आपने बहुत बढ़िया लिखा है जी!

    मेरा तेरा इश्क देखकर
    देखो सूरज जलता है ॥
    अपनी ख्वाहिशों के झुरमुट में ही
    कहीं रोज ये दिन सा पिघलता है ॥
    मैं शब्दों की फिरकी बनाकर
    जब भी तुम पर फेंकता हूँ
    तेरे मेरे बीच में ये
    पगली सी हवाओं संग फिरता है ॥
    प्यार भरे लफ़्ज़ों में अक्सर
    ख़ामोशी को सुलगाता है

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  23. इश्क है कि नया चश्मा है। जो देता है दुनिया को देखने की नई नजर। ये इश्क ही है जो आपको सूरज जलता, दिन पिघलता सा दिख रहा है। यही नजर है कि फासलों की गर्द घट जाती है। चांद सितारों में कोई नजर आता है। गालिब की मुंह जुबानी कहें तो निकम्मापन इसे ही कहते हैं। इश्क से इतर गर भूखे पेट चांद तारों को देखें, तो दिलदार और सनम नहीं बल्कि रोटी नजर आती है। लव और मोहब्बत में कुछ ऐसा ही अंतर है।

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  24. पहली लाइन 'मेरा तेरा इश्क देखकर, देखो सूरज जलता है' बहुत ही सुन्दर मानवीयकरण!!!
    लेकिन, बाद में कविता कुछ कमजोर पड़ती लगती है, साधुवाद!! लिखती रहिये, अच्छा लिखती हैं.

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  25. आपने बहुत बढ़िया लिखा है जी!

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  26. वाह बहुत खूब भाव पिरोए आपने..सुंदर कविता....

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  27. parul ji prem divas ki kavita achchi lagi.........

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  28. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।

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  29. आज के दिन याद आ रही है 'पाश' की मशहूर कविता 'अब मैं विदा लेता हूं.

    पढने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें-

    http://revolutionarysongs.blogspot.com/2010/02/blog-post.html

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  30. याद आ रही है पाश की मशहूर कविता- 'अब मैं विदा लेता हूं'
    http://revolutionarysongs.blogspot.com/2010/02/blog-post.html

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  31. आपका ब्लॉग यहाँ ब्लॉगवुड जोड़ दिया गया है शायद आपको जानकार खुशी हो। शायद न भी हो।

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  32. happy ji...khushi kyon nahi hogi..hai...:)thanx...

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  33. सुंदर कविता.

    सुंदर ब्लॉग.

    :)

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  34. पहली बार आया हू..और यही कहूगा कि पहले क्यू नही आया.. :)

    बहुत हि प्यारी कविता...

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  35. dil nikaal ke rakkh diya ho jaise kisi ne parul ji...

    aafareen rachna hai aapki...

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  36. इस प्रेम गीत पर क्या कहुं....मुझे लगता है भगवान भास्कर पढ़ लें तो अपनी तपिश कम करने पर मजबूर हो जाएं..बेचारे जलना न छोड़ दें....सूरज क्यों जलता है आज ही पता चला...

    सुभान अल्लाह

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  37. मैं कागज़ की नाव बनाकर
    उसको बचाना चाहता हूँ
    और एक वो है जो रोज
    सांझ के दरिया में ही गिरता है ॥

    प्रेम में हम इतना पी ही लेते है कि बिना दरिया के और कही ठौर नही दिखता।बहुत सुन्दर रचना।

    धन्यवाद!

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  38. jabardasht poem ji , badhayi sweekar karen


    vijay
    www.poemsofvijay.blogspot.com

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  39. mujhe lagta hai ki aap is mod se guzar chuke hai. kyoki itni acchi bhavna to sirf wo hi bata sakta hai jo isse ho ker guzra hai.

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  40. सुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं. आपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.

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