Monday, February 1, 2010

विजेता !


थोडा सा तू यकीं रख
थोडा सा एतबार कर
तुझे जिंदगी से हो न हो
मगर तू खुद से प्यार कर ॥
वक़्त ने चाहे कितने भी हो
अँधेरे किये
उम्मीद दिल में जलाये है
रोशनी के कई दीये
रातों का न तू खौफ रख
सुबह का इंतज़ार कर ॥
मुश्किलें भी है जरुर
माना कुछ भी आसां नहीं
कोशिश तो करके देख
होगा तेरे पास क्या नहीं
कुछ कर गुजरने से पहले
यूँ ही न अपनी हार कर ॥
खुद को जीत जाना ही
जिंदगी की जीत है
गर तुझको खुद से प्रेम है
तो जिंदगी से भी प्रीत है
इस प्रीत के संबल से तू
औरों के भी दिल गुलज़ार कर ॥
एक राह कहीं रुक गयी
तो मंजिलें खत्म नहीं
गर होंसला है दिल में तो
मेहनत कभी बेदम नहीं
अपने इसी जुनूं से तू
नया रास्ता इख्तियार कर ॥
तुझे जिंदगी से हो न हो
मगर तू खुद से प्यार कर ................................. ॥

15 comments:

  1. एक राह कहीं रुक गयी
    तो मंजिलें खत्म नहीं
    गर होंसला है दिल में तो
    मेहनत कभी बेदम नहीं..

    Bahut khoob... badhiyaaaa...

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  2. माना कुछ भी आसां नहीं
    कोशिश तो करके देख
    होगा तेरे पास क्या नहीं
    कुछ कर गुजरने से पहले
    यूँ ही न अपनी हार कर
    वाह पारुल बहुत सुन्दर सकारात्मक सन्देश देती कविता के लिये बधाई

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  3. bahut sunder kavita.positivity liye.....

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  4. bahut sunder kavita.positivity liye.....

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  6. पारुल बहुत सुन्दर प्रभाव शाली ढंग से मन की संवेदनाओ को म्लिखा है शुभकामनायें

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  7. is kavitaa ko light music yaa western main compose karne ka bahut man hai...bahut achha parul ji abhut achha

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  8. Apki sabhi kavitayen acchi lgi. badhaee swikaren.

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