When emotions overflow... some rhythmic sound echo the mind... and an urge rises to give wings to my rhythm.. a poem is born, my rhythm of words...
Monday, February 1, 2010
विजेता !
थोडा सा तू यकीं रख
थोडा सा एतबार कर
तुझे जिंदगी से हो न हो
मगर तू खुद से प्यार कर ॥
वक़्त ने चाहे कितने भी हो
अँधेरे किये
उम्मीद दिल में जलाये है
रोशनी के कई दीये
रातों का न तू खौफ रख
सुबह का इंतज़ार कर ॥
मुश्किलें भी है जरुर
माना कुछ भी आसां नहीं
कोशिश तो करके देख
होगा तेरे पास क्या नहीं
कुछ कर गुजरने से पहले
यूँ ही न अपनी हार कर ॥
खुद को जीत जाना ही
जिंदगी की जीत है
गर तुझको खुद से प्रेम है
तो जिंदगी से भी प्रीत है
इस प्रीत के संबल से तू
औरों के भी दिल गुलज़ार कर ॥
एक राह कहीं रुक गयी
तो मंजिलें खत्म नहीं
गर होंसला है दिल में तो
मेहनत कभी बेदम नहीं
अपने इसी जुनूं से तू
नया रास्ता इख्तियार कर ॥
तुझे जिंदगी से हो न हो
मगर तू खुद से प्यार कर ................................. ॥
एक राह कहीं रुक गयी
ReplyDeleteतो मंजिलें खत्म नहीं
गर होंसला है दिल में तो
मेहनत कभी बेदम नहीं..
Bahut khoob... badhiyaaaa...
माना कुछ भी आसां नहीं
ReplyDeleteकोशिश तो करके देख
होगा तेरे पास क्या नहीं
कुछ कर गुजरने से पहले
यूँ ही न अपनी हार कर
वाह पारुल बहुत सुन्दर सकारात्मक सन्देश देती कविता के लिये बधाई
bahut sunder kavita.positivity liye.....
ReplyDeletebahut sunder kavita.positivity liye.....
ReplyDeletesundar kavita
ReplyDeletedhanywaad!!
ReplyDeletehausla badhati kavita..
ReplyDeleteJai Hind...
Sundar kavita...
ReplyDeleteBadhayee sweekarein
shukriya!
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletehar intazaar sir-aankhon par!
ReplyDeleteपारुल बहुत सुन्दर प्रभाव शाली ढंग से मन की संवेदनाओ को म्लिखा है शुभकामनायें
ReplyDeleteis kavitaa ko light music yaa western main compose karne ka bahut man hai...bahut achha parul ji abhut achha
ReplyDeleteApki kavitayen acchi lgi. badhaee.
ReplyDeleteApki sabhi kavitayen acchi lgi. badhaee swikaren.
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