When emotions overflow... some rhythmic sound echo the mind... and an urge rises to give wings to my rhythm.. a poem is born, my rhythm of words...
Sunday, November 1, 2009
लोग
नशा जिंदगी का अभी उतरा नही शायद
वक्त के साथ लोग सिर्फ़ अपने पैमाने बदल रहे है
खत्म नही हुई है अब तलक जिंदगी की प्यास
लोग जरुरत पड़ने पर मयखाने बदल रहे है ॥
ये किस जुस्तजू में क़ैद होकर रह गया है दिल ?
छलकते जाम क्या टूटे,संग बह गया है दिल
आज बदनाम सा होकर के रह गया इश्क
किसने सोचा है आख़िर क्यों इस तरह दीवाने बदल रहे है ?
नशा इतना है कि लोग ख़ुद से भी बेखबर से है
बनाकर सपनों का आशियाना,जिंदगी से बेघर से है
यही डर है कोई पूछे न उनसे,उनका ही पता
सब बेसब्र से अपने अपने ठिकाने बदल रहे है ॥
अगर पूछो इन लोगो से कि कहां है जिंदगी ?
ये बस कह देते है कि बेवफा है जिंदगी
मगर सच क्या है,किसने की है असलियत में बेवफाई
जानते है ये लोग तभी जीने के बहाने बदल रहे है ॥
कुछ शेर ठीक-ठाक हैं, कुछ बेहद कमज़ोर.
ReplyDeleteजिंदगी को टटोलते अच्छे शेर............
ReplyDeleteaaj kee jindagee kee sahee jhalak ek drastikon se detee rachana acchee lagee . Badhai
ReplyDeleteबेहतरीन गजल।
ReplyDeleteनिम्न लिक देखें। इस पोस्ट को चर्चा में लगाया है।
http://anand.pankajit.com/2009/11/blog-post_02.html
नशा इतना है कि लोग ख़ुद से भी बेखबर से है
ReplyDeleteबनाकर सपनों का आशियाना,जिंदगी से बेघर से है
ek achhee ,
bhaavpoorn ,
mn.neey
rchnaa par badhaaee svikaareiN