When emotions overflow... some rhythmic sound echo the mind... and an urge rises to give wings to my rhythm.. a poem is born, my rhythm of words...
Thursday, September 10, 2009
सच..
कोई ख्वाब,मन को छू रहा है
और कोई आंखों से छलक रहा है।
कोई सोना चाहता है जिंदगी भर
और कोई सदियों से जग रहा है।
अलग है सबकी अपनी कहानी
कहीं है सूखा,कहीं है पानी
किसी के लिए समन्दर भी कम है
और कोई बूंदों में ही छक रहा है।
किसी के लिए रंग,नई सुबह में ढल रहे है
और किसी के लिए धूप में जल रहे है
कोई उजाले की तलाश में है
और कोई दिन को आंखों से ढक रहा है।
कोई सपनों को सींचता है
और कोई बस आँखें मींचता है
कोई दे रहा है आकार इनको
और कोई छुपाकर रख रहा है।
इस जिंदगी के है इतने किस्से
कि चाहे जितने भी कर लो हिस्से
जो भी मिलेगा,कम ही लगेगा
तभी तो हर कोई,सिसक रहा है।
जितनी भी कर लो सपनो से सजावट
कभी कम न होगी इसकी कड़वाहट
तुझे एहसास हो गर,मीठेपन का
समझ ले तू कुछ और चख रहा है।
एक सोच उत्पन्न करती रचना
ReplyDeleteकोई सोना चाहता है जिंदगी भर
ReplyDeleteऔर कोई सदियों से जग रहा है।
......वाह दिल को छू गई ......एक बेहतरीन रचना......बहुत बहुत बधाई
जितनी भी कर लो सपनो से सजावट
ReplyDeleteकभी कम न होगी इसकी कड़वाहट
तुझे एहसास हो गर,मीठेपन का
समझ ले तू कुछ और चख रहा है।
सटीक रचना .. बहुत सुंदर !!
जिंदगी के विभिन्न पहलुओं को बखूबी बयान किया है. सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहूत खूब जी आपकी कविता मे रोचकता है
ReplyDeleteकिसी के लिए समन्दर भी कम है
ReplyDeleteऔर कोई बूंदों में ही छक रहा है
BAHOOT SUNDAR EHSAAS HAI APKI RACHNA MEIN ...... UMDA LIKHA HAI
वाह दिल को छू गई , बेहतरीन रचना बहुत बहुत बधाई,.............
ReplyDeleteएक और ह्रदय स्पर्शी रच्ना पर बधाई स्वीकार करें...
ReplyDelete---
Tech Prevue: तकनीक दृष्टा
pyaari rachana --- bahut sundar
ReplyDeleteहर बार की तरह, इस बार भी अद्भुत है।
ReplyDeleteजितनी भी कर लो सपनो से सजावट
ReplyDeleteकभी कम न होगी इसकी कड़वाहट
तुझे एहसास हो गर,मीठेपन का
समझ ले तू कुछ और चख रहा है।
Bahut hi achchhi pnatiyan.
Achchi lagi aapki rachna.
Navnit Nirav
बहुत खूब!!
ReplyDeleteजितनी भी कर लो सपनो से सजावट
ReplyDeleteकभी कम न होगी इसकी कड़वाहट
तुझे एहसास हो गर,मीठेपन का
समझ ले तू कुछ और चख रहा है।
क्या सटीक अभिव्यक्ति है जीवन की अनुभूतियों की....बहुत अच्छी लगी आपकी यह रचना साधू!!!