हर शब्द पर हम क्षुब्ध है
हर वाक्य पर हम मौन है
ये कैसी आधुनिकता है ?
जहाँ आत्मसम्मान गौण है।
हर क्षण में अंतर्द्वंद है
अपनी भाषा के सवाल पर
मर चुकी है सोच
ख़ुद से आशा के ख़्याल पर
अभिव्यक्ति की परतंत्रता का
आख़िर अपराधी कौन है ?
क्यों गर्व है आख़िर हमें
विदेशी शब्दों की धार पर
हम कैसे युद्घ जीत सकते है ?
औरों की तलवार पर
भ्रमित सी मानसिकता का
ये विक्षिप्त सा दृष्टिकोण है ।
ये प्रयास भर है ....सार यही है ..."
निज भाषा उन्नति अहै"....आप सभी को हिन्दी दिवस की शुभकामनायें
सटीक लिखा है .. विदेशी शब्दों की धार पर
ReplyDeleteहम कैसे युद्घ जीत सकते है ? .. ब्लाग जगत में आज हिन्दी के प्रति सबो की जागरूकता को देखकर अच्छा लग रहा है .. हिन्दी दिवस की बधाई और शुभकामनाएं !!
पारुल जी सवाल तो आपने वाज़िब उठाया है जिसका मैं समर्थन करता हूं इसी लिए मैने ‘हिन्दी का श्राद्ध’ व्यंग्य लिखा है जो आपके विचारों का पृष्ठांकन करता है जरूर पढें। कविता अच्छी है। धन्यवाद।
ReplyDeleteसटिक लिखा है आपने .......हिन्दी दिवस पर बधाई......ऐसे ही लिखते रहे.
ReplyDeleteख़ुद से आशा के ख़्याल पर
ReplyDeleteअभिव्यक्ति की परतंत्रता का
आख़िर अपराधी कौन है ?
sahee sawaal
अच्छा लिखा आपने।
ReplyDeleteआप को हिदी दिवस पर हार्दीक शुभकामनाऍ।
पहेली - 7 का हल, श्री रतन सिंहजी शेखावतजी का परिचय
हॉ मै हिदी हू भारत माता की बिन्दी हू
हिंदी दिवस है मै दकियानूसी वाली बात नहीं करुगा-मुंबई टाइगर
हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ। कविता बहुत सुन्दर है।
ReplyDeleteसुपर्व...
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDelete{ Treasurer-S, T }
अच्छा लिखा है---हिन्दी के प्रति आपकी जागरूकता के लिये बधाई।
ReplyDeleteपूनम
bahut acchi poem hai... keep writing....
ReplyDelete