Monday, November 28, 2016

कभी कभी!!



कभी कभी कहानियाँ
यूँ खत्म हो जाती है !
वक़्त का मरहम मिलता नहीं
तो जैसे ज़ख्म हो जाती है !!
रिस जाती है आह भी
दिल के लहू में !
रंग में पड़कर प्यार के
आँखें भी नम हो जाती है!!
लफ्ज़ से लफ्ज़ जो कटता है
ख़ामोशी का रस्ता हटता है !
अपनी ही फिर नज़्म कोई
दिल पर सितम हो जाती है !!
बात नहीं कोई थमती है
धड़कन धड़कन रमती है !
पहन के दर्द का लिबास नया
सिसकियाँ मौसम हो जाती है  !!
दिल के पागलपन में आखिर
क्यों साँसों से कट जाओ !
प्यार तो ऐसे मिलता नहीं
मगर ज़िन्दगी कम हो जाती है !!

10 comments:

  1. दर्द का लिबास

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  2. vo kehte hai na katilana :) kuch aisi hi

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  3. siskiyaan mausam ho jati hai....

    nazm koi dil par sitam ho jati hai...

    ishq to badhta nahi,jindagi kam ho jati hai ...

    ultimate!!

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  4. vakai nazm dil pe sitam hai :)

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  5. Bahut jaroori hai dard ka hisaab karna ... marham kahaani ke saath chalna jaroori hai ...

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  6. क्या खूब लिखा है...

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  7. प्यार एक जन्म की कहानी भी तो नहीं हैं । जन्मों -जन्मों का बन्धन हैं। ........... ना जाने कितने जन्म लेने पड़े............

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