Thursday, October 27, 2016

आदत!!




मेरी आदत नहीं है
कोई रिश्ता तोड़ देना !
मुझे किसी ने कहा था
मोड़ देकर छोड़ देना !!(गुलज़ार )

एक तुम हो कि
मेरी कोई बात नहीं सुनते
और कभी यही कहते थे
दर्द मुझसे जोड़ देना !!
ये क्या है मेरा तुम्हारा
ना तो बना ना ही टूटा
फिर निभाने की शर्त पे
अब क्या ही जोर देना !!
मैं चाहता हूँ यही
अब रहे बनकर के अजनबी
क्यों मन की ख्वाहिशों को
इस दर्द का कोर देना !!



शुरू की चार पंक्तियाँ गुलज़ार की है।
थैंक यूँ सर मेरे साथ होने के लिए :)
reference:-https://cinemanthan.com/2013/10/29/dustola2010/

12 comments:

  1. गुलजार जी की चार पंक्तियाँ के बाद 'गुलजार' लिखें फिर जगह देकर अपनी बात :) सुझाव है ।

    बढ़िया ।

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  2. sujhav accha hai sir
    par vo alag alag lagega
    main phir bhi try karti hu
    thank yu for your suggestion :)

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  3. This one is the best that has flown through you. Amazing thougts, superb lines :)

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  4. किसी और का उद्धरण देने पर हमेशा उसका संदर्भ दिया जाता है नहीं तो साहित्यक चोरी मानी जाती है। आप अपनी बात संदर्भ लेकर कहें ज्यादा अच्छा है मिलाकर लिखने के बजाय ये मेरा सोचना है वैसे आपने नीचे लिखा हुआ था । आभारी हूँ आपने मान कर मान दिया ।

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  5. जब रिश्ता ही नहीं तो दर्द क्यों लेना ....
    दिल के ख्याल कभी कभी एक ही लाइन में उभर आते हैं और प्रवाह बनता जाता है ... बहुत ही लाजवाब लाइनें ...

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  6. @sushil sir...aapki baat sahi hai sir...reference dena chahiye
    de diya hai...thank yu for your guidance :)

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  7. Hmmmm.. " उलझन decoded"
    Ajay chauhan

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  8. phenomenal...
    parul tum taife kabil ho...par tarifon se thak nahi jati kya :)






    vartika!!

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  9. @vartika ....pata nahi :)
    vaise thank you

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  10. रिश्ता बन जाता है तो प्यार-दर्द की दास्ताँ लगी रहती है जिंदगी में
    बहुत सुन्दर
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!

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  11. बहुत सुन्दर

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