सुनो तुम
रख दो खुद को
यहीं-कहीं
मैं ढूंढ ही लूँगा
फुर्सत में !!
मैं जब कभी
खुद को कुरेदूंगा
तन्हाई से कह दूंगा
तुम्हे भी भेज दे
ख़ामोशी मेरी
गुमनाम से ख़त में !!
मैं देखूंगा
गर नींद जल्दी जगी
उसे फिर किसी
ख्वाब की तलब लगी
कहीं से तुमको ले आये
इश्क़ की सोहबत में !!
मैं खुद कुछ
मीठा रहूँगा
तुम्हे नमकीन कहूंगा
ज़िन्दगी की लज़्ज़त में !!
तुम मेरी
कोई भूल रखना
या कि याद का फूल रखना
अपने हँसने की आदत में !!
गहरी, सशक्त अभिव्यक्ति
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ReplyDeletebaat dil ko lag gayi!
ReplyDeletewaah...kya khoob!
सुन्दर रचना
ReplyDeletewaah..kya baat
ReplyDeleteखुबसूरत रचना.....
ReplyDeleteबहुत खूब .. रख दो खुद को यहीं कहीं ... ढूंढ लूँगा फुरसत में ... क्या बात कही है ... लाजवाब स ख्याल ..
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ReplyDeleteumda nazm!
vartika!!
वाह... यूँ ही कही रखकर नाम पता लिखकर भूले कोई .....
ReplyDeleteबेहद ख़ूबसूरत ख्यालात... सीधे सच्चे प्रेम की सहज अभिव्यक्ति...लफ़्ज़ों की लयात्मकता प्रभावित करती है...शुक्रिया...
ReplyDeleteये तो गज़ब है..शब्दों व भाव का मेल...
ReplyDeletebahut hi achhi rachna, palkon ki kor ko bhigo gai...shayad kisi ki yaad dila gai...
ReplyDeleteshubhkamnayen
aahaaa.....wow...ik ajeeb si lazzat mili pdte waqt...yaad rkhnaa..ki hnsne ki aadat me...lov this line
ReplyDeletelov yr words
:)
take care
खूबसूरत रचना...
ReplyDeleteबेहद ख़ूबसूरत ख्यालात
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखती हैं !
ReplyDeleteकविता तो खूबसूरत है ही , चित्र का संयोजन भी तदनुरूप है । हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteवाह...सुन्दर पोस्ट...
ReplyDeleteआप को होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं...
नयी पोस्ट@हास्यकविता/ जोरू का गुलाम
जब स्नेह गहरा होता है तब किसी को तलाशने की जरूरत नही होती । वह अपने भीतर ही समया होता है हर पल ..।
ReplyDeleteबहुत सुंदर सशक्त
ReplyDeleteज़िन्दगी की लज़्ज़त में मेरी कोई भूल रखना ...कमाल ही रचती हो ।
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