Thursday, February 7, 2013

इस वैलेंटाइन !!!



जिंदगी मरती रही है
इश्क के बुलबुलों पर
और मेरी तन्हाई
लिखती रही है दिलों पर
अब भी सब कुछ गोल ही है
छितरे से उस कांच में
ख़त सुलग रहे है उसके
चाँद की उस आंच में
और बढ़ता जा रहा है
धुआं जैसे लबों पर !!
नींद फिसलने लगी है
कतरे की एक छींक पर
फब रहे हैं हीर-रांझे
फिर से उस तारीख पर
एक जुमला जिन्दगी का
आज फिर है सबों पर !!
रोज़ के रोज़ वही
फटी सी खुसर-फुसर
सोच के लिबास में
अब फिट नहीं शायद उमर
अक्सर ही नए कयास
दिल के नए रबों पर !!
एक सिक्का धूप का
दिल की खरीद पर
एक रूपया चाँद का
इश्क की हर ईद पर
मेरे हरफ इस मर्तबा
ज़िन्दगी के ऐसे करतबों पर!!



29 comments:

  1. एक सिक्का धूप का
    दिल की खरीद पर
    एक रूपया चाँद का
    इश्क की हर ईद पर,,

    वाह!!!बेहद भावपूर्ण लाजबाब पंक्तियाँ,,पारुल जी,,बधाई

    RECENT POST: रिश्वत लिए वगैर...

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  2. एक सिक्का धूप का
    दिल की खरीद पर
    एक रूपया चाँद का
    इश्क की हर ईद पर
    मेरे हरफ इस मर्तबा
    ज़िन्दगी के ऐसे करतबों पर!!

    बहुत सुंदर ...

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  3. गुलाब दिवस पर बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

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  4. प्रशंसनीय कविता |प्रेम की सहज अभिव्यक्ति |

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  5. कोमल अहसास लिए सुन्दर रचना...

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  6. कोमल अहसास लिए सुन्दर रचना...

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  7. एकदम जबरदस्त ....बढ़िया ब्लॉग..

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  8. एकदम जबरदस्त . बढ़िया ब्लॉग ..

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  9. एक सिक्का धूप का
    दिल की खरीद पर
    एक रूपया चाँद का
    इश्क की हर ईद पर....वाह, गजब

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  10. बेहद सुन्दर पारुल.....
    आपकी नाज़ुक और प्रेमपगी कविता मन को भा गयी....

    अनु

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  11. बहुत सुन्दर सार्थक रचना ...
    ..चीड के पेड़ का फल गाँव की याद दिला गया.. बर्फ से ढंकें चीड के पेड़ मुझे बहुत प्यारे लगता हैं ... गौशाले में इन फलों को जलाकर ठण्ड दूर भागते थे ..
    बहुत बढ़िया लगा आपके ब्लॉग पर आकर..
    शुभकामनाएं..

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  12. बहुत सुन्दर सार्थक रचना ...
    ..चीड के पेड़ का फल गाँव की याद दिला गया.. बर्फ से ढंकें चीड के पेड़ मुझे बहुत प्यारे लगता हैं ... गौशाले में इन फलों को जलाकर ठण्ड दूर भागते थे ..
    बहुत बढ़िया लगा आपके ब्लॉग पर आकर..
    शुभकामनाएं..

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  13. सुन्दर प्रस्तुति ***एक सिक्का धूप का
    दिल की खरीद पर
    एक रूपया चाँद का
    इश्क की हर ईद पर

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  14. एक सिक्का धूप का
    दिल की खरीद पर
    एक रुपया चांद का
    इश्क की ईद पर......

    क्या ग़ज़ब.....वाह!!
    और यह ग़ज़ल इस नज्म के नाम...

    देर से आए हैं पर आए तो।
    नाज से फिर गले लगाए तो।

    मेरी तबियत ही है फरेबफहम,
    ख्वाब कोई ज़रा दिखाए तो।

    हम कहां होशमंद रहते हैं,
    उनको कोई खबर सुनाए तो।

    किसका दर है दारीचा किसका है,
    हम कहां हैं कोई बताए तो।

    कौन कहता है हम नहीं बदले,
    अब कोई आइना दिखाए तो।

    ये गली अब भी आशना है हुजूर
    कोई हिम्मत से आए जाए तो।

    यूं कि अब भी वहीं पै हैं ‘ज़ाहिद’
    आके कोई कभी उठाए तो।


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  15. बहुत ही खूबसूरत


    सादर

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  16. एक रुपया चाँद का।
    इश्क की हर ईद पर

    --बहुत सुंदर!

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  17. बेह्तरीन अभिव्यक्ति .सादर नमन
    भाषा सरल,सहज यह कविता,
    भावाव्यक्ति है अति सुन्दर।
    यह सच है सबके यौवन में,
    ऐसी कविता सबके अन्दर।
    कब लिख जाती कैसे लिखती,
    हमें न मालुम होता अकसर।

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  18. वाह ....वाह......वाह........सुभानाल्लाह.....लफ़्ज़ों की जादूगरी।

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  19. बेहतरीन और अदभुत अभिवयक्ति....

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  20. एक सिक्का धूप का
    दिल की खरीद पर
    एक रूपया चाँद का
    इश्क की हर ईद पर ...

    बहुत खूब ... बहुत सस्ता है ये सौदा ... प्रेम के लिए अपनी वेलेंटाइन के लिए ...
    अच्छा लगा आपको पढ़ना इतने दिनों बाद ...

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  21. behad hi umdaa likha hai...salute !!!

    please checkout my blog and let me know how it is

    http://thinkagain-hemant.blogspot.in

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  22. JIndagi Marti Rahi hia ISHQ ke bulbulo par...Ultimate linee..

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