Monday, September 26, 2011

मौसम..


कुछ मौसम फीके से
अपने ही सरीखे से
तेरी मिठास भर गए
फिर तेरी आस भर गए!
वो ख़त तेरी तस्वीर से
अल्फाज़ जैसे तीर से
यूँ मुझ में बिखर गए
कि तेरी आस भर गए!!
फिर उस खामोशी के
पहलू में रह के
देखा जो मैंने
लफ्ज़ लफ्ज़ बह के
एहसास इस तरह
फिर तुझसे तर गए
कि तेरी आस भर गए!!
उलझता गया मैं जो
चाँद की पतंग में
मुझ से मैं ही छूटा
उलझा तेरे संग में
कुछ यादों के हिस्से
फिर भी बंजर गए
यूँ तेरी आस भर गए!!

26 comments:

  1. देखा जो मैंने
    लफ्ज़ लफ्ज़ बह के
    एहसास इस तरह
    फिर तुझसे तर गए
    कि तेरी आस भर गए!!

    आस बनी रहे किसी भी तरह ... बहुत दिनों में कुछ पोस्ट किया है .. बहुत खूबसूरत रचना

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  2. कोमल एहसासों से भरी भावमय प्रस्तुति

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  3. भावुक कवयित्री की कलम से निकले खूबसूरत अल्फाज़ /जज्बात और एक सुन्दर कविता |यूँ ही लिखते रहिये ,गुनगुनाते रहिये |आपका दिन शुभ हो आदरणीया पारुल जी

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  4. भावुक कवयित्री की कलम से निकले खूबसूरत अल्फाज़ /जज्बात और एक सुन्दर कविता |यूँ ही लिखते रहिये ,गुनगुनाते रहिये |आपका दिन शुभ हो आदरणीया पारुल जी

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  5. सुभानाल्लाह........बहुत ही शानदार लगी पोस्ट............हैट्स ऑफ इसके लिए.......आपकी नन्ही परी कैसी है?.........खुदा उसे महफूज़ रखे हर बाला से........आमीन|

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  6. bahut khoob
    har line khas hain
    aur har shabd hamare dil mein
    aapke ke liye sammaan bhar gaye

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  7. कोमल भावों से सजी ..
    ..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

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  8. भावमय करते शब्‍दों के साथ बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  9. भावुक कर देने वाली रचना।

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  10. पारुल जी नमस्ते !
    बहुत ही सरल भावपूर्ण रचना ...
    आस और अहसास को समेटे हुए ....बधाई

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  11. आस ही जीवन के बंजर को उर्वरा करती रहती है।

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  12. वो ख़त तेरी तस्वीर से
    अल्फाज़ जैसे तीर से
    यूँ मुझ में बिखर गए
    कि तेरी आस भर गए ...

    शायद आपको भी पता नहीं होगा क्या कमाल कर दिया है इन पंक्तियोंं में ... कितनी गहरी बात कह दी है और प्रेम की अभिव्यक्ति भी ... शुक्रिया और बधाई इस लाजवाब रचना के लिए ...

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  13. भावों की मधुरतम,ह्रदय स्पर्शी प्रस्तुति...

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  14. यादों के मौसम का सुहाना सफ़र
    बहुत खूब सूरत

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  15. आस बनी रहे...उम्दा रचना...


    हो कहाँ?

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  16. सुन्दर और सार्थक रचना के लिए बहुत- बहुत बधाई .

    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें.

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  17. चाँद की पतंग में
    मुझ से मैं ही छूटा
    उलझा तेरे संग में
    कुछ यादों के हिस्से
    फिर भी बंजर गए
    यूँ तेरी आस भर गए!!

    बेहद खूबसूरत कविता।

    सादर

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  18. विजय दशमी की हार्दिक बधाई ...

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  19. सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब प्रस्तुती!
    आपको एवं आपके परिवार को दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !

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  20. kuch khoobsurat sa..har dil ki jarurat sa!!

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  21. jindagi ke nayepan ne ehsaason ko khoobsurati se bhara hai..likhte rahiye!

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  22. so romantic..




    vartika!!

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  23. उलझता गया मैं जो
    चाँद की पतंग में
    मुझ से मैं ही छूटा
    उलझा तेरे संग में
    कुछ यादों के हिस्से
    फिर भी बंजर गए
    यूँ तेरी आस भर गए!!
    Parul ji,
    bahut hi achchhi aur samvedanapoorna rachna....
    Poonam

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  24. कुछ यादों के हिस्से
    फिर भी बंजर गए
    यूँ तेरी आस भर गए!!
    एहसास का यह 'एहसास' कायम रहे
    खूबसूरत रचना

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