Monday, October 11, 2010

ख़ामोशी!


तुम न आये मगर
ख़ामोशी आकर चली गयी
लफ्ज़ छिपते फिरे
पर वो सब सुनकर चली गयी !
सुना भी क्या इस दिल ने
एक अदना सा फ़साना
जिसमें सिर्फ तन्हाई थी
मुश्किल था तुम्हे पाना
तेरे इंतज़ार में एक अरसे से
मैं एक रात भी न बुन पाई
और वो एक पल में
जिंदगी को ख्वाब बनाकर चली गयी !!
मैं जब तलक थी इस सोच में
तुम क्यों नहीं आये ?
उसने अपने किस्से
यूँ कई बार दोहराए
मैं पूछ न सकी कुछ भी
और वो कहती चली गयी
मेरी चुप्पी पे सवाल उठाकर चली गयी !!

54 comments:

  1. मुश्किल था तुम्हे पाना
    तेरे इंतज़ार में एक अरसे से
    मैं एक रात भी न बुन पाई
    और वो एक पल में
    जिंदगी को ख्वाब बनाकर चली गयी !!

    बेहद सुन्दर भाव और बहुत ही प्रवाहमयी रचना दिल को छू गयी।

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  2. लोगों से सुना है, उनकी वाली करती है,
    हमारी ख़ामोशी तो मगर, चुप ही रहती है,
    कल हमने जो उसको, पकड़ना चाहा तो,
    वो हमें ठेंगा दिखाकर चली गयी ...

    खैर और कुछ चले न चले,
    आपकी कलम की कलाकारी तो चल - ही गयी ...

    लिखते रहिये ...

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  3. वाह !
    बहुत खूबसूरत कविता, बधाई !

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  4. कहते है सच्चे दिल से जो चाहो
    एक दिन तुम्हारा वो बनके रहेगा
    पिघलता है पत्थर भी यारा जहांपे
    इश्क तो मोम है, वो पिघलके रहेगा.....

    बेहद सुन्दर भाव ......

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  5. BEBSI KA JIKRA UCHIT HAI LEKIN JEEVAN AUR KAVITA ME AASHAVADI HONA BAHUT JAROORI HAI BADHAI PARULJI NICE POEM

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  6. बहुत ही खुबसूरत..सुन्दर भाव..
    सुन्दर शब्दों का प्रस्तुतीकरण...
    मेरे ब्लॉग पर इस बार

    एक और आईडिया....

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  7. ..और वो एक पल में
    जिंदगी को ख्वाब बनाकर चली गयी !!
    सुन्दर भाव और बहुत ही प्रवाहमयी रचना.
    P.S.Bhakuni (Paanu)
    Buransh (Ek Prateek)

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  8. तेरे इंतज़ार में एक अरसे से
    मैं एक रात भी न बुन पाई
    और वो एक पल में
    जिंदगी को ख्वाब बनाकर चली गयी !!

    बेहतरीन पंक्तियाँ !

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  9. bahut sunder ............
    ise kavita ko bunne me kuch jyada hee samay laga diya............

    kafee pratikshaa rahee..........

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  10. बहुत सुंदर रचना पारुल जी ... बहुत भावपूर्ण

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  11. सुन्दर रचना ....

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  12. विचारो के प्रवाह के गर्भ में से आपने एक बहुत ही सुन्दर रचना को जन्म दिया है!
    --
    आपकी रचना सोचने को विवश करती है!

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  13. बहुत सुंदर.

    For you and a few other Hindi bloggers, I started using Hindi editor. Very good poem

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  14. चुप्पी पर सवाल उठना स्वाभाविक है क्योंकि चुप्पी सबको समझ आती भी नहीं।

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  15. ये एहसास बड़ी ख़ामोशी से अपनी उपस्थिति बतला जाती है..
    जुबान चुप रहे,मन की उलझन शोर मचा जाती है ..
    टकटकी लगा के देखते रहे कई दिन उनको
    बेरुखी उनकी फिर से अन्दर तक सता जाती है ..

    उम्दा पोस्ट पारुल जी.

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  16. आखिरी २ पंक्तियाँ बहुत खूबसूरत हैं
    बढ़िया रचना.

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  17. waah bahut hi khub really aapki aur ek roshni hai jiski poetry wakayi mujhe pasand hai .........

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  18. पारुल जी,

    हमेशा की तरह एक बेहतरीन नज़्म ..........सही कहा है कभी-कभी ख़ामोशी ही सब कुछ कह देती है..........बहुत खूब.....वाह...वाह .... दाद कबूल करें...

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  19. उसने अपने किस्से
    यूँ कई बार दोहराए
    मैं पूछ न सकी कुछ भी
    और वो कहती चली गयी
    मेरी चुप्पी पे सवाल उठाकर चली गयी

    खूबसूरती सी लिखे एहसास ..

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  20. बहुत ही सुन्दर ! बहुत मोहक !

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  21. बहुत सुन्दर कविता ! मन प्रसन्न हो गया.

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  22. hmm bade achhe ehsasat hain ..khaamoshi ka yahi rang .... sab kuch sunna sab kuch kehna mujhe bhi pasand hai

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  23. तेरे इंतज़ार में एक अरसे से
    मैं एक रात भी न बुन पाई
    और वो एक पल में
    जिंदगी को ख्वाब बनाकर चली गयी ....

    खामोशी का गिला चुप्पी से .... कई खामोशियाँ यूँ ही रोशन कर जाती हैं जीवन को ....
    गहरे ज़ज्बात हैं इस नज़्म में ...

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  24. सुन्दर एवं कोमल भाव...बहुत अच्छी लेखनी...बधाई.

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  25. "मेरी चुप्पी पे सवाल उठाकर चली गयी"

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  26. ये रचना भी कमाल की..सुंदर भावपूर्ण ..बधाई

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  27. बहुत खूबसूरत..........
    रेशमी झीने दुपट्टे -सी
    सरसराती हुई आई और चली गयी!

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  28. itne din ki khamoshi ko nazm mein bhar diya hain..hmm..gud job!

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  29. powerful silence


    vartika

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  30. .

    बेहद सुन्दर भाव !!!

    .

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  31. bahut hi samvadna se bhari ekprvah mai rachna jo chupke se aakar kagaz ke panno para apkei kalam dwara sab kuchh kah kar aur dil me bas kar chup cgap chali gai.
    bahut hi man ko bhai aapki nazm.
    उसने अपने किस्से
    यूँ कई बार दोहराए
    मैं पूछ न सकी कुछ भी
    और वो कहती चली गयी
    मेरी चुप्पी पे सवाल उठाकर चली गयी
    poonam

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  32. hi ma'am

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    thx

    ReplyDelete
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  34. सच तो यह है कि चुप्पी और खामोशी की भी अपनी भाषा होती है.... लेकिन पारूल यह भी सच है कि तुम्हारी खामोश रचना बहुत कुछ कह रही है।
    बहुत खूब।

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  35. तेरे इंतज़ार में एक अरसे से
    मैं एक रात भी न बुन पाई
    और वो एक पल में
    जिंदगी को ख्वाब बनाकर चली गयी !! खामोशी कमबख्त कितनी प्यारी होती है जो न चाह कर भी आ जाती है और कोई सवाल उठाकर चली जाती है...।

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  36. बेहद सुन्दर भाव....खूबसूरत कविता...

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  37. पारुल दी
    बहुत सुन्दर रचना ......

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  38. बेहद खूबसूरत भाव और जीवन्तता लिए कविता...बधाई.


    __________________
    'शब्द-सृजन की ओर' पर आज निराला जी की पुण्यतिथि पर स्मरण.

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  39. बहुत खूबसूरत कविता लिखी है आपने....

    एक जावेद अख्तर का शेर है कुछ इसी तरह, सही से याद अभी नहीं...कभी अपने ब्लॉग पे लगाऊंगा..

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  40. पारुल ....
    सुकून मिला .....!!

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  41. हैवानों की सोहबत में,
    मैं भी कुछ ऐसा हो गया,
    कुत्ता आया,टुकड़ा खाया,
    सीढ़ी पर ही सो गया....

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  42. तुम न आये मगर
    ख़ामोशी आकर चली गयी
    लफ्ज़ छिपते फिरे
    पर वो सब सुनकर चली गयी !
    तेरे इंतज़ार में एक अरसे से
    मैं एक रात भी न बुन पाई
    और वो एक पल में
    जिंदगी को ख्वाब बनाकर चली गयी !!

    पारुल !
    बहुत खूब क्या बात है ?
    शायद 'बनाकर' की जगह 'बुनकर' कहना चाहती थीं ?

    और आपकी तस्वीर पर कुछ अर्ज किया है जो गुमां होता है-


    सुन रहा है बहुत ही डूब के वो
    या खु़दा उसको मुतमइन रखना....

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  43. shabd yuin bikher diye...
    khamosh panno par...
    jane zindagi kuch kehkar chali gai..

    bahut accha likhte hain aap..

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  44. बहुत सुन्दर प्रस्तुति है ...

    मैं पूछ न सकी कुछ भी
    और वो कहती चली गयी
    मेरी चुप्पी पे सवाल उठाकर चली गयी !!

    यही तो विडम्बना रहती है !

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  45. बेहद सुन्दर और प्रवाहमयी रचना !!!!

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  46. bahut sundar kavita kahi apne....

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  47. मेरा ताजा गीत आपको समर्पित है।

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