जिंदगी को जिंदगी होने का दर्द है
खुद को खुद में ही खोने का दर्द है॥
एक आस पर जीती है
और रोज उस में ही बीती है
एक उम्मीद में खुद को बोने का दर्द है॥
वो जो खाली सा रहता है
हरदम सवाली सा रहता है
मन के उसी खाली कोने का दर्द है॥
ख्वाब रोज ही छिलते है
अक्सर गीले ही मिलते है
अपने ही आंसूओं के रोने का दर्द है॥
वो जो बचपन में होता था
मिल जाता था,जब भी रोता था
याद आते उस जादू-टोने का दर्द है॥
कैसे मन को चुभता था
जब कलम से खुदता था
उन्ही ख्वाहिशों को लफ़्ज़ों में ढ़ोने का दर्द है॥
Wow! Itz Very wonderful treatment of individual and saperate words. Very Well Done. Keep It Up.
ReplyDelete"RAM"
bahut sunder dard kee abhivykti .vastvik jindagee me iska saya bhee na pade isee duaa ke sath .
ReplyDeleteक्या आपका दर्द पानी दिवस के पानी से ठीक हो सकता है.....शायद नहीं...
ReplyDelete.........
........
विश्व जल दिवस..........नंगा नहायेगा क्या...और निचोड़ेगा क्या ?...
लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से..
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_22.html
laajawaab
ReplyDeleteदर्द की भी इन्तहा हो गई
ReplyDeleteजख्मों की भी खुली नुमाइश लग गई
जर्रे जर्रे की भी कलई खुल गई
हमारा मगज हिल गया.....................
कि जिंदगी दर्द है या दर्द जिंदगी!!!
ख्वाब रोज ही छिलते है
ReplyDeleteअक्सर गीले ही मिलते है
अपने ही आंसूओं के रोने का दर्द है॥
bahut badhiya..
पारुल जी ,
ReplyDeleteवाकई में शब्दों और भावों का नयनाभिराम संयोजन प्रस्तुत करती है
Ohh My God ! You are marching towards the peak... Keep feeling the words, keep the rhythm flow.. keep the words dance on yr rhythm on yr feelings.. I am happy to be the part of this rhythmic journey.. God Bless You..
ReplyDeleteकैसे मन को चुभता था
ReplyDeleteजब कलम से खुदता था
उन्ही ख्वाहिशों को लफ़्ज़ों में ढ़ोने का दर्द है॥
बहुत खूब
सुन्दर गीत..भावपूर्ण एवं प्रवाहमय!
ReplyDelete--
हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!
लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.
अनेक शुभकामनाएँ.
wowwwww..... thts rellymost wonderful poetry a read on ur blog ..keep writing:)
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति ......
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteरामराम.
दर्द.. दर्द .. दर्द ... ये दर्द पीछा नही छोड़ता ...
ReplyDeleteसाँस के साथ साथ दर्द की पैदाइश है ....
very nice!!! You are a star... :)
ReplyDeleteबहुत दिनों बाद कुछ पढ़ कर ताज़गी का अनुभव हुआ है, धन्यवाद समीर जी का जिनकी लिस्ट में आप को देखा! इसी तरह लिखती रहें!
ReplyDeletemam, there is immense content and feeling in your writing
ReplyDeletemann k us khaali kone ka dard hai
simply marvellous
Astounded by your words and the pictures you paint by them
Hats Off!!
वो जो बचपन में होता था
ReplyDeleteमिल जाता था,जब भी रोता था
याद आते उस जादू-टोने का दर्द है॥
कैसे मन को चुभता था
जब कलम से खुदता था
उन्ही ख्वाहिशों को लफ़्ज़ों में ढ़ोने का दर्द है खूबसूरत और असरदार पंक्तियां---
he bhagvaan......is ladki ke moohn ko bhi sher kee tarah shabdon kaa khoon lag gayaa hai......!!
ReplyDeletehaan ..khoon to lag gaya hai bhootnath ji :)
ReplyDeleteaap sabhi ka aabhar !
दर्द जब दर्द से मिलता है तो हल्का हो जाता है
ReplyDeleteकिसी और के दर्द मे वो खो जाता है
बहुत ही हमदर्द रचना
Beautful poem!!
ReplyDeletejidagi meaksar hone wale dard se jo samana karna padta hai usko apani kalam se behatreen dhang se abhi vyakt karane keliye hriday se aabhar.
ReplyDeleteNice piece..
ReplyDeleteSamajh nahin aata kya kahoon?! Pehli baar aapo padha, itni dardnaak rachna?!!!
ReplyDeleteSab theek ho jaega... Ha ha ha
(Bura mat maniye, main paagal hoon!)
Mazaak chhodun to...
Khwaab roz hi chhilte hain
Aksar geele hi milte hain
Apne hi aansuon ke tone ka dard hai!!!
Wah! Kya keh diya aapne!
sundar rachna
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लगा! उम्दा प्रस्तुती! बधाई!
ReplyDeleteआपके खयालात में दर्द की अभिव्यक्ति बढिंयां लिखी गयी है. सरलता के साथ गूढ बातें लिख गयीं आप.
ReplyDeletehar baar ki tarah is baar bhi jadoo hai!
ReplyDeleteaap sabhi ko dhanywaad!
ReplyDelete"ख्वाब रोज ही छिलते है
ReplyDeleteअक्सर गीले ही मिलते है
.....
कैसे मन को चुभता था
जब कलम से खुदता था
उन्ही ख्वाहिशों को लफ़्ज़ों में ढ़ोने का दर्द है॥"
दर्दे दिल की जीवंत प्रस्तुति.
खूबसूरत अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteदर्द सहकर भी जो उफ़ नहीं करते
उनके दिल भी अजीब होते है