Sunday, February 21, 2010

शायद



तेरे लिये रात गुजारने को
खाली करके पलकों के कोने रखता ॥
गर मालूम होता तुम आओगे
मैं ख्वाबों के बिछोने रखता ॥
रह जाता चाहे खुद भूखा
देता तुम्हे जरुर रुखा-सूखा
प्यास तेरी बुझ जाती शायद
जो भरके मन के दोने रखता ॥
मिल जाती गर पहले ही चिठ्ठी
बचा लेता थोड़ी सी मिटटी
तुम आते जब,बीज जिंदगी के
शायद तुम में बोने रखता ॥
शायद कुछ गम तेरे होते
और कुछ आंसूं मेरे होते
सब कुछ तसल्ली से पोंछ-पांछ कर
सुबह तक सोने को रखता ॥




27 comments:

  1. गर मालूम होता तुम आओगे
    मैं ख्वाबों के बिछोने रखता ॥

    behad sunder aur sanjeeda lekhni...
    bahut badhaayee...

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  2. itanee pratibha.........lekhan me ....
    vismit kar gayee ............
    dil ko choo jane wala lekhan .........
    Badhai............

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  3. लाज़वाब... जैसे किसी ने अपना मन निकाल कर रख दिया हो सामने.... हर पंक्ति अपने मैं खूब है, कितनी भी बार पढ़ी जा सके वाली कविता... बहुत खूब पारुल... वाह....

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  4. गर मालूम होता तुम आओगे
    मैं ख्वाबों के बिछोने रखता ॥

    प्यास तेरी बुझ जाती शायद
    जो भरके मन के दोने रखता ॥

    waaahhhhhhh

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  5. गर मालूम होता तुम आओगे
    मैं ख्वाबों के बिछोने रखता ॥

    प्यास तेरी बुझ जाती शायद
    जो भरके मन के दोने रखता ॥

    -बहुत करीने से उकेरे हैं भाव दिल को छूते हुए. शानदार!!

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  6. bhetreen rachna .....bandhaayee ho.

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  7. बहुत सुंदर और छुते हुये भाव. शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  8. गर मालूम होता तुम आओगे
    मैं ख्वाबों के बिछोने रखता ॥

    शानदार रचना ,मन को रचना छू जाये ऐसा सब कुछ है इसमें ....बधाई

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  9. तेरे लिये रात गुजारने को
    खाली करके पलकों के कोने रखता ॥
    गर मालूम होता तुम आओगे
    मैं ख्वाबों के बिछोने रखता ॥

    ओ माय गौड़.... इन पंक्तियों ने तो दिल को छू लिया...

    सुंदर गूंथे हुए शब्दों में.... मनमोहक रचना...


    रिगार्ड्स...

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  10. तुम अतिथि हो या अंतर्मन....!!
    तुम पर तन-मन-धन समर्पण .

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  11. आपके लेखन ने इसे जानदार और शानदार बना दिया है....

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  12. यूं ही लिखते रहिए बेहद खूबसूरत पंक्तियां, बधाई और शुभकामनाएं।

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  13. khvaabon ke bichaune ------man ke done----- vaah kyaa khoobasoorat likhaa hai eachana bahut pasand aayee dhanyavaad

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  14. पारुल जी आपकी रचना हमें प्रतियोगिता के लिए प्राप्त हो गई है ।

    मिथिलेश दुबे
    संचालक
    हिन्दी साहित्य मंच

    संपर्क सूत्र
    09891584813

    www.hindisahityamanch.com

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  15. बहुत खूब रचना।

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  16. लाज़वाब...शानदार!!बेहद खूबसूरत पंक्तियां,मेरी शुभकामनाएं.....

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  17. शायद कुछ गम तेरे होते
    और कुछ आंसूं मेरे होते
    ....बेहतरीन...प्रभावशाली...प्रसंशनीय रचना !!!

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  18. प्यास तेरी बुझ जाती शायद
    जो भरके मन के दोने रखता...
    Well versed ...seedha dil ko choo gayi.

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  19. badi pyari yaden hain aur utni he pyari rachna. holi ki shubhkamnayen.

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