तेरे लिये रात गुजारने को
खाली करके पलकों के कोने रखता ॥
गर मालूम होता तुम आओगे
मैं ख्वाबों के बिछोने रखता ॥
रह जाता चाहे खुद भूखा
देता तुम्हे जरुर रुखा-सूखा
प्यास तेरी बुझ जाती शायद
जो भरके मन के दोने रखता ॥
मिल जाती गर पहले ही चिठ्ठी
बचा लेता थोड़ी सी मिटटी
तुम आते जब,बीज जिंदगी के
शायद तुम में बोने रखता ॥
शायद कुछ गम तेरे होते
और कुछ आंसूं मेरे होते
सब कुछ तसल्ली से पोंछ-पांछ कर
सुबह तक सोने को रखता ॥
गर मालूम होता तुम आओगे
ReplyDeleteमैं ख्वाबों के बिछोने रखता ॥
behad sunder aur sanjeeda lekhni...
bahut badhaayee...
itanee pratibha.........lekhan me ....
ReplyDeletevismit kar gayee ............
dil ko choo jane wala lekhan .........
Badhai............
Bahut hi achhi kavita hain...........
ReplyDeleteBahut hi achhi kavita hain
ReplyDeleteलाज़वाब... जैसे किसी ने अपना मन निकाल कर रख दिया हो सामने.... हर पंक्ति अपने मैं खूब है, कितनी भी बार पढ़ी जा सके वाली कविता... बहुत खूब पारुल... वाह....
ReplyDeleteगर मालूम होता तुम आओगे
ReplyDeleteमैं ख्वाबों के बिछोने रखता ॥
प्यास तेरी बुझ जाती शायद
जो भरके मन के दोने रखता ॥
waaahhhhhhh
गर मालूम होता तुम आओगे
ReplyDeleteमैं ख्वाबों के बिछोने रखता ॥
प्यास तेरी बुझ जाती शायद
जो भरके मन के दोने रखता ॥
-बहुत करीने से उकेरे हैं भाव दिल को छूते हुए. शानदार!!
bhetreen rachna .....bandhaayee ho.
ReplyDeleteबहुत सुंदर और छुते हुये भाव. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
behtareen parul....good work
ReplyDeleteगर मालूम होता तुम आओगे
ReplyDeleteमैं ख्वाबों के बिछोने रखता ॥
शानदार रचना ,मन को रचना छू जाये ऐसा सब कुछ है इसमें ....बधाई
तेरे लिये रात गुजारने को
ReplyDeleteखाली करके पलकों के कोने रखता ॥
गर मालूम होता तुम आओगे
मैं ख्वाबों के बिछोने रखता ॥
ओ माय गौड़.... इन पंक्तियों ने तो दिल को छू लिया...
सुंदर गूंथे हुए शब्दों में.... मनमोहक रचना...
रिगार्ड्स...
thanx!
ReplyDeleteतुम अतिथि हो या अंतर्मन....!!
ReplyDeleteतुम पर तन-मन-धन समर्पण .
Bahut hi achhi kavita hain
ReplyDeleteआपके लेखन ने इसे जानदार और शानदार बना दिया है....
ReplyDeleteयूं ही लिखते रहिए बेहद खूबसूरत पंक्तियां, बधाई और शुभकामनाएं।
ReplyDeletekhvaabon ke bichaune ------man ke done----- vaah kyaa khoobasoorat likhaa hai eachana bahut pasand aayee dhanyavaad
ReplyDeleteपारुल जी आपकी रचना हमें प्रतियोगिता के लिए प्राप्त हो गई है ।
ReplyDeleteमिथिलेश दुबे
संचालक
हिन्दी साहित्य मंच
संपर्क सूत्र
09891584813
www.hindisahityamanch.com
kamaal ki rachna hai...
ReplyDeletepasand aai
aap sabka aabhar!
ReplyDeleteबहुत खूब रचना।
ReplyDeleteलाज़वाब...शानदार!!बेहद खूबसूरत पंक्तियां,मेरी शुभकामनाएं.....
ReplyDeleteशायद कुछ गम तेरे होते
ReplyDeleteऔर कुछ आंसूं मेरे होते
....बेहतरीन...प्रभावशाली...प्रसंशनीय रचना !!!
प्यास तेरी बुझ जाती शायद
ReplyDeleteजो भरके मन के दोने रखता...
Well versed ...seedha dil ko choo gayi.
so many thanx to all of you!!
ReplyDeletebadi pyari yaden hain aur utni he pyari rachna. holi ki shubhkamnayen.
ReplyDelete