आज फिर थोड़ी सी जिंदगी
मन के करघे पे कात लूं ॥
ख्वाहिशों के धागों से
बुनने को फिर कोई बात लूं ॥
बैठे रहे यूँ देर तक
ख़ामोशी के कहकहो में
खो जाये साँसों को ढूँढने
उम्मीद की तहों में
थोडा सा रुक,मन कह रहा है
मैं जिंदगी को भी साथ लूं ॥
आ तो गए है संग हम
इस ख़्वाबों के मेले में
करनी है तुमसे गुफ्तगू
मुझको मगर अकेले में
कोई ख्वाब लेने से पहले
सोचता हूँ बाजार से एक रात लूं ॥
koi khwaab lene se pahle
ReplyDeletesochta hoon bajar se ek raat loon..
wah!
simple words...deep thoughts
ReplyDeleteu have a wonderful collection of poems..g8 job.
थोडा सा रुक,मन कह रहा है
ReplyDeleteमैं जिंदगी को भी साथ लूं ॥
बहुत खूब --- सुन्दर भाव
ख्वाहिशों के धागों से
ReplyDeleteबुनने को फिर कोई बात लूं ...
बहुत खूब .......... अक्सर मन चाहता है उन सभी ख्वाहिशों को पूरा करना ..... जो हसीन लम्हों को सिमेट कर बुनी होती है ....... बहुत की कोमल एहसास .........
आज फिर थोड़ी सी जिंदगी
ReplyDeleteमन के करघे पे कात लूं ॥
ख्वाहिशों के धागों से
बुनने को फिर कोई बात लूं ॥
बैठे रहे यूँ देर तक
ख़ामोशी के कहकहो में
खो जाये साँसों को ढूँढने
उम्मीद की तहों में
थोडा सा रुक,मन कह रहा है
मैं जिंदगी को भी साथ लूं ॥
....
कोई ख्वाब लेने से पहले
सोचता हूँ बाजार से एक रात लूं ॥
"आज सच ही कहा था"
ढेरों आशीष के साथ
वाह..वाह..वाह... बहुत ही सुन्दर भाव...सुन्दर अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteBahut hi sundar...
ReplyDeleteआज फिर थोड़ी सी जिंदगी
ReplyDeleteमन के करघे पे कात लूं ॥
ख्वाहिशों के धागों से
बुनने को फिर कोई बात लूं ॥
पारुल मैं तो तुम्हारी फैन बन गयी लाजवाब और मुझे लग रहा है
थोडा सा रुक,मन कह रहा है
मैं जिंदगी को भी साथ लूं ॥ मैं पारुल को साथ ले लूँ आशीर्वाद्
parul.....
ReplyDeletebahut sunder bhavo kee ye bunaee.............
bahut dil ko hai bhaee...........
पहले तो शुकर है ब्लॉग हिंदी में है... अंग्रेजी नाम देख कर तो दर गया था... पढता हूँ कभी फुर्सत से...
ReplyDeleteबहुत ही सधी हुई अभिव्यक्ती - "कोई ख्वाब लेने से पहले सोचता हूँ बाजार से एक रात उधार ले लूं ॥"
ReplyDeleteसुन्दर प्रतीकों के साथ उत्कृष्ट रचना!
ReplyDeleteवाया कस्बा शब्दों की लय तक पहुंचा हूं। बहुत लयदार लफ्ज हैं। बड़ी संज़ीदा रचनाएं। कवित्त की यही ख़ासियत है कि हर किसी की कहानी होता है और इससे समानुभूति(Empathy)हो जाती है। बहुत बढ़िया लगीं आपकी रचनाएं।
ReplyDeleteआज फिर थोड़ी सी जिंदगी
ReplyDeleteमन के करघे पे कात लूं ॥
Waah Bahut Khoob...Achchhi Lagi aapki yeh rachna...
कोई ख्वाब लेने से पहले
ReplyDeleteसोचता हूँ बाजार से एक रात लूं ॥nice
वाह! बहुत खूब कहा!
ReplyDeleteआज फिर थोड़ी सी जिंदगी
मन के करघे पे कात लूं ॥
aap sabhi ka hardik aabhar!
ReplyDeleteशब्दों की सुंदर चित्रकारी , बधाई
ReplyDeleteअभिव्यक्ति का नयापन और सृजनशीलता की सोंधी महक लिए रचना -
ReplyDeleteबहुत जोरदार rachnaa...
ReplyDeletesimply beautiful
ReplyDeleteबैठे रहे यूँ देर तक
ReplyDeleteख़ामोशी के कहकहो में
खो जाये साँसों को ढूँढने
उम्मीद की तहों में
थोडा सा रुक,मन कह रहा है
मैं जिंदगी को भी साथ लूं
it's realy nice...achchi kavita
Thanks for come to my blog... but my new blog is dafaa512.blogspot.com. and mydunali.blogspot.com
ReplyDeleteso pls visit that..
Madam you submit 5 comments on my old blog. thanks. your blog is too good, thats nice... dear,
your writing is again excellent.. too too much good.. thanks to give such a blog to us.
This comment has been removed by the author.
ReplyDeletenice. achchhi lagi aapki kavita .
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आने के लिए और टिपण्णी देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! मेरे इस ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है!
ReplyDeletehttp://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत ही सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रचना लिखा है जो काबिले तारीफ़ है!
lajbab bahut sundar badhai ho jarur bunuga riste ke is door ko prem ke karghe par...
ReplyDeleteexceelent creation ..bandhaii ho
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