When emotions overflow... some rhythmic sound echo the mind... and an urge rises to give wings to my rhythm.. a poem is born, my rhythm of words...
Friday, August 7, 2009
हो सके तो.........
जो ख्वाब देखा था अक्सर
भर लिया था जीवन में ।
हर तरफ़ बह रहा था जैसे
बस तू ही मन में ।
आज चुभा कोई लम्हा
और तू फिर भर आया है ।
आंखों के सामने तो बस
धुँआ ही छाया है ।
जब भी होता है ऐसा
तू ही मन से रिसता है ।
ये इन आंखों का
इस ख्वाब से कैसा रिश्ता है ?
ये रिश्ता ख्वाब से है
या कि उस धुंधलेपन से,
जो आंखों में भर रहा है
पूछती हूँ बस मन से ।
मेरे मन ने आज
फिर से मुझे समझाया है ।
ये धुंआ है इस लिए
कि शायद कोई ख्वाब फिर सुलग आया है ।
अगर कोई ख्वाब मेरा
फिर से जला रहे हो तुम ।
इतना है बस इस धुएं में
खोए से नज़र आ रहे हो तुम ।
हो सके तो ख़ुद को,मुझको
या कि सब कुछ सुलगा दो ।
और तुम्हारे पास मेरा जो भी है
सब जला दो
सब कुछ जला दो.....
behtarin rachna...............
ReplyDeleteiske age shbd nahi bolne ko
Marm sparshee rachna.
ReplyDelete{ Treasurer-T & S }
most surprising and beautiful nazm.
ReplyDeleteबेहतरीन रचना। बधाई
ReplyDeleteये धुंआ है इस लिए
ReplyDeleteकि शायद कोई ख्वाब फिर सुलग आया है ।
कितना खूबसूरती से आपने भावो को अभिव्यक्त किया है.
बहुत ही -- बहुत ही खूबसूरत रचना
बहुत ही भावपुर्ण सिर्फ धुआँ धुआँ दिख रहा है ......बहुत प्रवाहमय पंक्तियाँ है .....
ReplyDelete"ho sake to" try to come out this pain. though its difficult because you find happiness in that...but
ReplyDeleteho sake to...
sundar rachana...
ReplyDeletePoonam
आप अपने भावों को बेहतरी से प्रस्तुत करती हैं
ReplyDeleteअगर कोई ख्वाब मेरा
ReplyDeleteफिर से जला रहे हो तुम ।
इतना है बस इस धुएं में
खोए से नज़र आ रहे हो तुम ।
बहुत ही खूबसूरत लाइनें हैं.. दिल को छू गईं..
thanx...
ReplyDeletekamaal hai!
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