When emotions overflow... some rhythmic sound echo the mind... and an urge rises to give wings to my rhythm.. a poem is born, my rhythm of words...
Friday, June 26, 2009
बिन पानी सब सून!
जिंदगी यूं भी न जाने कब से नम है
फिर भी बरसों से प्यासा सा अब तक मेरा गम है
मेरे आंसूं ही गर न काम आ सके मेरे
तो सोचता हूँ बस यही,कहाँ ये जिंदगी खत्म है ?
जल रहा हूँ ख़ुद में,सोच की ये कैसी तपिश है ?
मर रहा हूँ ख़ुद में,मन में ये कैसी खलिश है?
सुना है सूख रहे है कहीं वक्त के दरख्त
और एक मेरा ही समन्दर होता नही कम है।
एक ये फलक,जिसकी नीली चादर है खाली
प्यासी,बंजर सी धराको जिसने बनाया है सवाली
क्यों जिंदगी से कुछ आसूं चुरा नही लेता ?
और क्यों नही बन जाता वक्त का मरहम है?
किसी के आंसूं,रिमझिम बूँदें बन जाए गर
कितनों की प्यास बुझा दे,ये आस की लहर
मेरा गम भी प्यासा न रह जाए तब शायद
ये देखकर कि आज तो खुशी का मौसम है।
दिल छू लिया !
ReplyDeleteअद़भुत, अविस्मरणीय रचना। सामयिक और भाव प्रधान रचना के लिए बधाई
ReplyDeletehridyasparshi rachana........badhiya
ReplyDeleteबहुत बढिया रचना है।बधाई स्वीकारें।
ReplyDeleteNice Poem..
ReplyDeleteNot only Rhythm of Words
but also Rhythem of feelings..
Thanks!!!!
सुन्दर अभिव्यिक्ति ।
ReplyDeletebhini-bhini kavita
ReplyDeletebhige-bhige bhav
____________madhurya hi madhrya
badhai !
ख़ूबसूरत ख़यालात
ReplyDelete---
मिलिए अखरोट खाने वाले डायनासोर से
thanx to all of you
ReplyDeleteLet me feel the emotions...........
ReplyDeletebahut sundar... bahut sundar....
ReplyDeleteनायाब रचना के लिए बधाई।
ReplyDeleteदिल को छूने वाली पोस्ट
ReplyDeletethanx..!!
ReplyDeleteकिसी के आंसूं,रिमझिम बूँदें बन जाए गर
ReplyDeleteकितनों की प्यास बुझा दे,ये आस की लहर
मेरा गम भी प्यासा न रह जाए तब शायद
ये देखकर कि आज तो खुशी का मौसम है।
वाह ---लजवाब पन्क्तियां ।
पूनम