Tuesday, April 28, 2009

करवट !


एक कसक है जागने की
ख़्वाबों से दूर भागने की
धुंधला सा न हो जहाँ 'कल'
जिंदगी से जीने की एक नई पहल ॥
रात में चाँद के सँवरने तक
सुबह की धूप के दिल में उतरने तक
एक आंसूं से उम्मीद के भरने तक
कोशिश भरा मेरा एक पल॥
कब तलक भूख को जहन में पाले
खुश रहूं देख कर ये उजाले
न जाने कब सितारे बिखर जाए
जाने कब जाए रात ढल॥
जिंदगी लम्बी है,कहानी छोटी
भारी है एक वक्त की भी रोटी
रात दे जाए चूल्हे को चिंगारी
मन ही भर जाए,गर चूल्हा भी जाए जल॥
बात भूखी है तेरी भी,मेरी भी
हो रही है अब और देरी भी
गर सब्र तेरा न अब तेरे साथ है
तो आ फिर एक ख्वाब तक चल॥
पर मैं तो सपनों से दूर जाना चाहता हूँ
भूखा ही सही,पर फिर नही सो जाना चाहता हूँ
शायद कभी मेरे होसले से
ख्वाब ख़ुद भी ले करवट बदल॥

13 comments:

  1. "गर सब्र तेरा न अब तेरे साथ है
    तो आ फिर एक ख्वाब तक चल॥
    पर मैं तो सपनों से दूर जाना चाहता हूँ
    भूखा ही सही,पर फिर नही सो जाना चाहता हूँ
    शायद कभी मेरे होसले से
    ख्वाब ख़ुद भी ले करवट बदल॥"

    वाह...वाह पारुल जी।
    बहुत अच्छा लिखा है।
    बधाई।

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  2. आपकी रचना की खास बात होती है की उसमें आपके विचारों की गहराई होती है ...मुझे बहुत अच्छी लगती है ...

    मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

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  3. apki kavita padhi.Shabdon ka sanyoja thi hai.Aur thodi koshish ki jaa sakti thi.Phir bhi mujhe apki kavita pasand aayi.
    Navnit Nirav

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  4. बहुत ख़ास रचना है। आप हमेशा पुल्लिंग में क्यों भाव व्यक्त करती हैं? मैंने कई बार ऐसा देखा है।

    ---
    तख़लीक़-ए-नज़रचाँद, बादल और शामगुलाबी कोंपलेंतकनीक दृष्टा

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  5. गहरे भाव......सुंदर रचना अच्छी लगी।

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  6. बुलंद हौसला ! क्या खूब !

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  7. सुन्दर अभिव्यक्ति

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  8. Good Parul ji,yr poetry has always a ray of hope within.This is good to see yr poems through yr follower sri Anilkant ji.
    Keep writing,you have expressions ,thoughts and desire to communicate.
    All you need is a systemetic way to express .All this will come to you through experience,
    Best wishes.
    Dr.Bhoopendra

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  9. shuruvaat aur ant mein rachna badi mazboot hai...beech mein pakad halki kamzor padti hai par kul milaake asar zordaar rahaa...

    kaafiye ke kuch shabd mein wo mazaa nahi aaya jo baaki shabdo mein tha...

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  10. कई ब्लोगों से होता हुआ आपके ब्लॉग पर पहुंचा . मेरी कविताओ में कोई रूचि नहि८ है लेकिन एक पत्रकार होने के नाते जब मैंने आपकी कविताओ को पढ़ा तो जो शब्द मुझे मिले उनके लिए आप बधाई की पात्र है . वाकई अपनी कविताओ को आपने जिस संजीदगी से सजाया है में उसकी तहे दिल से तारीफ करता हु . हम दोनों में सिर्फ इतना ही फर्क है की आप जो सोचती और समझती है उसको कविता का रूप सडे देती है और मैं उसी से गुफ्तगू कर लेता हूँ . आपका भी मेरे ब्लॉग पर स्वागत है . www.gooftgu.blogspot.com

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  11. कहूँ कि बहुत अच्छा लिखा है,तो यह काफी न होगा...और इससे ज्यादा क्या लिखूं यह इस वक्त मैं सोच ही नहीं प् रहा....कहूँ तो क्या कहूँ ......लिखूं तो क्या लिखूं.....चलिए इस बार मेरे कुछ ना लिखे को बहुत कुछ लिखा समझ लीजियेगा....!!
    बुरा मत मान जाईयेगा कि एक ही टिप्पणी कई जगह क्यूँ डाल दी....बस यूँ कहूँ कि आपने इन शब्दों में जान डाल दी....!!

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