Tuesday, December 23, 2008

वजूद!!


मैं आया था तुमसे दूर यही सोचकर
कि तुमसे,मन निकले
मेरी जिंदगी का मेरे ख़ुद के लिए
कोई अपना पन निकले !!
मैं सोंचू ख़ुद के लिए
जलाकर मन के दीये
और उस रोशनी से कोई
जीवन की किरन निकले !!
मैं ख़ुद से जुड़ जाउं आहिस्ता
बनाकर ख़ुद से नया रिश्ता
कि मेरा धुंधला सा वजूद
बनकर नया दर्पण निकले !!
कि कोई बात न हो खाली
न रह जाए होंसला सवाली
मीठी सी कशमकश में
खामोशी से,लफ्जों की अनबन निकले !!
बांधे मुझे,ख़ुद से डोर कोई
जिसका न हो ओर छोर कोई
ख़ुद की, ख़ुद में घुल जाने की
क्षितिज जैसी लगन निकले !!

13 comments:

  1. bahut sundar rachana...

    saari ki saari nazm ka apna ek sukhad flow hai ....

    मैं ख़ुद से जुड़ जाउं आहिस्ता
    बनाकर ख़ुद से नया रिश्ता
    ye lines mujhe bahut acchi lagi .

    bahut bhaavpoorn rachna..
    badhai

    vijay
    poemsofvijay.blogspot.com

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  2. सुन्दर भाव अभिव्यक्ति.... लिखती रहिये

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  3. मीठी सी कशमकश में
    खामोशी से,लफ्जों की अनबन निकले !!
    बांधे मुझे,ख़ुद से डोर कोई
    जिसका न हो ओर छोर कोई

    बहुत शानदार लाइनें हैं। दिल ख़ुश हो गया। आपका ब्ल़ग भी शानदार है।

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  4. मैं सोंचू ख़ुद के लिए
    जलाकर मन के दीये
    और उस रोशनी से कोई
    जीवन की किरन निकले
    सुन्दर भाव बहुत शानदार.

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  5. Parulji,
    apkee kavitayen teenon hee achchhee hain.Ek salah thee kavita kampoj karne ke bad post karne se pahle matraen chek kar liya karen.Kabhee kabhee kuchh galatiyan rah hee jatee hain.Halanki aisa sabhee ke sath hota hai.
    Kavitaon ke liye badhai.
    Hemant Kumar

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  6. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ..लिखते रहे

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  7. ह्म्म, बहुत खूब!
    शुभकामनाएं

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  8. शायरी में कोई दिलचस्पी तो नहीं फिर भी आपकी तस्वीर का शुक्रिया कि हम आ गये यहां.
    व्यू लार्ज पिक्चर पे जो क्लिक की आपको देख के लगा कि सफल हो गयी.
    लिखती रहिये शायद आपकी वजह से कुछ और शायरी के मुरीद पैदा हो जाये.

    शुभकामनायें.

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  9. मैं सोंचू ख़ुद के लिए
    जलाकर मन के दीये
    और उस रोशनी से कोई
    जीवन की किरन निकले !!"

    Kamaal ki bhavna. Mann khush ho utha padhkar.

    Regards,
    Shashwat

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  10. मैं सोंचू ख़ुद के लिए जलाकर मन के दीये
    और उस रोशनी से कोई जीवन की किरन निकले !!
    मैं ख़ुद से जुड़ जाउं आहिस्ता बनाकर ख़ुद से नया रिश्ता
    कि मेरा धुंधला सा वजूद बनकर नया दर्पण निकले !!
    कहावत है कि '' जलता हुवा दीया ही बुझे हुवे दीये को जला सकता है /
    और जब आपका कवि ह्रदय दीया जलेगा तो निशिचत ही कविता कि नई किरण निकलेगी /
    सुंदर रचना

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