कुछ बीत जाने को है
कुछ भूल जाने को है
कुछ तेरे खोने को है
और कुछ मेरे पाने को है!!!
न रंज रख जिंदगी से
न दोस्ती कर खुशी से
क्या पता शायद कहीं से
कोई तुझको आजमाने को है!!!
दिल से अजनबी होकर
देख गहराई में खोकर
जो गम दुश्मन था तेरा
अब गले लगाने को है!!!
खोल दे दिल की गिरह
न कर तन्हाई से जिरह
लफ्ज़ भी दहशत में है
जो खामोशी सर उठाने को है!!!
बेबस सी तेरी उलझने
तन्हा से तेरे सपने
देख तेरी राह में
जिंदगी बिछाने को हैं!!!
जीने दे ख़ुद के हर एहसास को
छोड़ दे अब 'काश' को
शब्द दे हर आस को
आइना भी मुस्कुराने को है!!!
Parulji
ReplyDeleteApkee kavitaen padhee.Apke pas Sabd ,samvedanaen,kalpana sabhee kuch ha ek achchi rachanakar hone ke liye.Kavitaen achchi lageen.Hardik badhai.
Hemant Kumar
Parul ji,
ReplyDeleteI loved your beautiful poems and surprised as some of your thoughts are so much identical to mine.Love your vivid and deep dived imagination.
Keep writing..if you ever get a chance visit my blog and would love to get your thoughts and comments. http://dayinsiliconvalley.blogspot.com/
Aashoo
beautiful expression
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteultimate ...!!!
ReplyDeleteetna gap kya hai lines main ...
enke beech main bhe kuch padhna hai kya :-)
thanx to all of u for encouraging me a lot..
ReplyDeleteमैं आपकी इस पोस्ट को हिन्दी विकास मंच के लिए ले रहा हूँ। मैं उम्मीद करता हूँ। आपको एतराज न होगा।
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