एक याद का पुर्जा था
बेरंग सा
फिरता था आहों की गलियों में
बस तंग सा !
हो आता था शायद
तुम तक
और जाता था
इस कदर थक
कि मिलता नहीं था मुझको
हो जाता था कहीं गुम सा !
ढूढंता था फिर उसको
तुम्हारे ठिकाने तक
खुद को खोने तक
उसको पाने तक
चमकता था फिर जाकर कहीं
वो नम सा !
मैं तोड़ता था
कितने ही धागे
उसकी डोर तक
और इंतज़ार करता था
फिर एक भोर तक
मालूम चलता था
वो हो आया है
चाँद के छोर तक
बेगानी पतंग सा !
मैं खुद को भी कहीं भी
रख देता था उसकी भूल में
फिर नज़र आता था
किसी अनजानी गर्द में
किसी अजनबी की धुल में
लग गया था वो मेरे अक्स में
एक जंग सा !
बेरंग सा
फिरता था आहों की गलियों में
बस तंग सा !
हो आता था शायद
तुम तक
और जाता था
इस कदर थक
कि मिलता नहीं था मुझको
हो जाता था कहीं गुम सा !
ढूढंता था फिर उसको
तुम्हारे ठिकाने तक
खुद को खोने तक
उसको पाने तक
चमकता था फिर जाकर कहीं
वो नम सा !
मैं तोड़ता था
कितने ही धागे
उसकी डोर तक
और इंतज़ार करता था
फिर एक भोर तक
मालूम चलता था
वो हो आया है
चाँद के छोर तक
बेगानी पतंग सा !
मैं खुद को भी कहीं भी
रख देता था उसकी भूल में
फिर नज़र आता था
किसी अनजानी गर्द में
किसी अजनबी की धुल में
लग गया था वो मेरे अक्स में
एक जंग सा !
हमें तो सोचा था की,
ReplyDeleteकविताई से हो गया,
आपका मोह भंग सा !
आगे से यादों को ,
रखना संभाल कर,
वर्ना आपके महीने भर तक,
नहीं लिखने का हमें होगा,
रंज सा ...
बाकी कविताई बढ़िया,
हमेशा की तरह,
समझिये तय फैसला
सरपंच सा ;)
लिखते रहिये ....
बहुत सुन्दर पोस्ट!
ReplyDeleteरचना बहुत सशक्त है!
khoobsoorat nazm kahi hai parul.. Bahut khoob :)
ReplyDeleteएक याद का पुर्ज़ा , गुम सा , नम सा ,
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति
ढूढंता था फिर उसको
ReplyDeleteतुम्हारे ठिकाने तक
खुद को खोने तक
उसको पाने तक
चमकता था फिर जाकर कहीं
xxxxxxxxxxxxxxx
अस्तित्व की झलक ...........बेहद प्रभावी रचना ...शुक्रिया
यादों के पुर्जों में कितनी ही धूल चढ़ जाये, झड़ जाती है, जब यादों के बवंडर उठते हैं।
ReplyDeletejadoo kayam hai..
ReplyDeleteitna bada antral..........
ReplyDeletesashakt lekhan......
itna bada antral..........
ReplyDeletesashakt lekhan......
आपकी कविता काफी बेहतरीन है.सुंदर प्रस्तुति........
ReplyDeleteसृजन शिखर पर -- इंतजार
बहुत सुन्दर!
ReplyDeletekhoobsurat se bhi jyada khubsurat koi shabd ho to wo hi wali baat hai ji....
ReplyDeletekunwar ji,
याद का पुर्जा ........बहुत खूब ...........यादों के साये हमेशा हमराह बन चलते हैं ....
ReplyDeleteहो आता था शायद
ReplyDeleteतुम तक
और जाता था
इस कदर थक
कि मिलता नहीं था मुझको
हो जाता था कहीं गुम सा
यादों के पुर्जे ऐसे ही छकाते हैं... परेशान कर देते हैं. यादों के पुर्जे कहाँ-कहाँ घूम आते हैं...
सुन्दर कविता !
bahut khoob....
ReplyDeletenice poem
check my blog also
http://iamhereonlyforu.blogspot.com/
in this blog at my poem tab you can see poems written by me
खूबसूरत लिखा है -
ReplyDeleteसुंदर कल्पना
-ढूढंता था फिर उसको
तुम्हारे ठिकाने तक
खुद को खोने तक
उसको पाने तक
चमकता था फिर जाकर कहीं
वो नम सा !
खूबसूरत अभिव्यक्ति.
ReplyDelete
ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - पराजित होती भावनाएं और जीतते तर्क - सब बदल गए - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - पराजित होती भावनाएं और जीतते तर्क - सब बदल गए - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
सुन्दर रचना!
ReplyDeleteपारुल जी, आपकी हर रचना में एक खूबसूरती, एक नयापन हमेशा होती है ... आपकी रचनाओं से ये साफ़ दीखता है कि आप केवल टिप्पणी पाने के लिए नहीं लिखती हैं बल्कि कुछ अच्छा लिखने के लिए लिखती हैं ...
ReplyDeletegahre bhavarth liye sundar kavita wish you a happy new year
ReplyDeleteपारुल जी,
ReplyDeleteसबसे पहले तो ये शिकायत है की आपने इतने दिनों बाद पोस्ट क्यों डाली, काफी अरसा हो गया है आपको पड़े हुए......
रचना हर बार की तरह लाजवाब है.......खुबसूरत अहसास भरे ख़ूबसूरत नज़्म.......एक बार मैंने अभी गौर की है की आप अपनी पोस्ट में जो तस्वीरें लगाती है वो हमेशा पेंटिंग्स ही होती है.......इसके पीछे कोई कारण है क्या?
पारुल जी,
ReplyDeleteसबसे पहले तो ये शिकायत है की आपने इतने दिनों बाद पोस्ट क्यों डाली, काफी अरसा हो गया है आपको पड़े हुए......
रचना हर बार की तरह लाजवाब है.......खुबसूरत अहसास भरे ख़ूबसूरत नज़्म.......एक बार मैंने अभी गौर की है की आप अपनी पोस्ट में जो तस्वीरें लगाती है वो हमेशा पेंटिंग्स ही होती है.......इसके पीछे कोई कारण है क्या?
Beautiful as always... :)
ReplyDeleteअबकी काफी समय लिया आपने .....पुर्जा को ढूढने में !
ReplyDeleteरसीदी टिकट है आपका यह पुर्जा.
ReplyDeleteबहुत खूब .....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
आभार / शुभ कामनाएं
सुन्दर रचना के लिए साधुवाद!
ReplyDeleteBahut Khubsurat.
ReplyDeleteअरे वाह...
ReplyDeleteयह तो बहुत सुन्दर रचना है!
किसी अनजानी गर्द में
ReplyDeleteकिसी अजनबी की धुल में
लग गया था वो मेरे अक्स में
एक जंग सा !
this lines are superb
mujhe kisi ki yaado main bhej dia in lines ne
its been a long time you visit my blog
hope you will find some time to see and comment on my posts.
http://seemywords-chirag.blogspot.com
bahut badiya.....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पोस्ट!
ReplyDeleteyaado ke purzo ko apni yaadaasht ka paani deti raho.
ReplyDeletesunder manbhaavan rachna.
एक याद का पुर्जा था
ReplyDeleteबेरंग सा
फिरता था आहों की गलियों में
बस तंग सा !
ढूढंता था फिर उसको
मैं तोड़ता था
और इंतज़ार करता था
मैं खुद को भी कहीं भी
रख देता था
लग गया था वो मेरे अक्स में
एक जंग सा !
साहब !!
जिन्दगी जंग है
इसलिए जंग लगी रहती है।
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...
ReplyDeleteu have ur facebook a/c so send me please
ReplyDeletewish you a happy new year
ReplyDeletewish you a happy new year
ReplyDeleteमजाल जी के साथ .....
ReplyDeleteयाद का पुर्जा
अपनी कार में फिट कर लीजिये ....
एक याद का पुर्ज़ा , गुम सा , नम सा ,
ReplyDelete......lekin dil ko chhoo sa gaya
बहुत अच्छा
ReplyDeletebeautiful blog.beautiful thoughts!
ReplyDeleteitne khamosh na rahiye
ReplyDeletejaldi hi phir kuch kahiye! :)
nav varsh aapke liye behad sukhad ho!
beautiful as usal
ReplyDeletenice change!
कोमल भाव की रचना .. एहसास के धरातल पर स्मृतियाँ बिना आहट की प्रकट होती है और फिर ....
ReplyDeleteबहुत दिनों बाद आया हूं आपके ब्लॉग पर, सोचा था काफी सारी चीजें पढने को मिलेंगी मगर खुश हुआ कि आप भी हम जैसी ही निकली...। ज्यादा नहीं छूटना भी राहत दे जाता है क्योंकि कविता पढने का आनंद कम से कम मुझे, तभी मिलता है जब दो रचनाओं में अंतराल हो..। ऐसा ही हुआ।
ReplyDelete'पुर्जा'मानों हवा का कोई झौंका हो..जो इधर-उधर से आ आ कर बार बार झकझोरता है..। आपकी रचनायें पढने का यही आनंद
!!!!!
ReplyDeleteAnd yes! Hope, Health and Happiness in this new year for you!
Ashish
kahan se aisee soch?? kya kahne hain...yaadon ka purja tha...berang sa...!!
ReplyDeletebahut pyari rachna...
मकर संक्राति ,तिल संक्रांत ,ओणम,घुगुतिया , बिहू ,लोहड़ी ,पोंगल एवं पतंग पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं........
ReplyDeleteजय श्री कृष्ण...आप बहुत अच्छा लिखतें हैं...वाकई.... आशा हैं आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा....!!
ReplyDeleteHamein aapke lekh achche lage! Ish Post ke liye Aabhar!
ReplyDelete.
Ek nadi (river) ka naam? Ek ladki ka naam? Ek phool ka naam? Ek film ka naam? in 4 sawalo ka ek hi answer hai, Per wo kya hai! ye aap bataiye...
Aise hi rochak sawalo, mahetvpoorn jankariyo, mere vicharo aur aapke manoranjan ki saari cheeje jaise kahaniya, chutkule, shayriyaan aadi bahut kuchh hamare blog me uplabdh hai!
Kripya apna bahumooly samay dekar hamare blog ko bhi padhne ka kasht karein!
Hamare blog ka pata hai -
anmolji.blogspot.com
aasha hai ki aap mujhe niraas nahin karenge!
KIDHAR HAIN AAP ... BAHUT DIN HO GAYE KOI RACHNA PADHE AAP KI ...
ReplyDeleteबेहद ख़ूबसूरत हैं ये पुर्ज़े
ReplyDeleteपारुल जी
ReplyDeleteनमस्कार !
बहुत विलंब से पहुंचा हूं , क्षमा चाहता हूं ।
पूरी रचना बहुत शानदार है …
याद का पुर्ज़ा बिंब पहली बार देखने में आया है … समझने का यत्न कर रहा हूं ।
~*~ हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !~*~
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत खूब...
ReplyDeleteपर उस जंग को हटा दीजिये...
और फ़िर से सजाइए... बनाइये कुछ नया...
आपकी कविता काफी बेहतरीन है|आभार|
ReplyDeletekya kahun bahut der se aapki is kavita par atka sa hua hoon. kavita ke shabdo ne mujeh nishabd kar diya hai , kuch yaado ne phir dil par dastak di hia ...
ReplyDeletebadhayi
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मेरी नयी कविता " तेरा नाम " पर आप का स्वागत है .
आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने कमेन्ट से इसे अनुग्रहित करे.
"""" इस कविता का लिंक है ::::
http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
विजय