Wednesday, December 22, 2010

पुर्जा!


एक याद का पुर्जा था
बेरंग सा
फिरता था आहों की गलियों में
बस तंग सा !
हो आता था शायद
तुम तक
और जाता था
इस कदर थक
कि मिलता नहीं था मुझको
हो जाता था कहीं गुम सा !
ढूढंता था फिर उसको
तुम्हारे ठिकाने तक
खुद को खोने तक
उसको पाने तक
चमकता था फिर जाकर कहीं
वो नम सा !
मैं तोड़ता था
कितने ही धागे
उसकी डोर तक
और इंतज़ार करता था
फिर एक भोर तक
मालूम चलता था
वो हो आया है
चाँद के छोर तक
बेगानी पतंग सा !
मैं खुद को भी कहीं भी
रख देता था उसकी भूल में
फिर नज़र आता था
किसी अनजानी गर्द में
किसी अजनबी की धुल में
लग गया था वो मेरे अक्स में
एक जंग सा !

59 comments:

  1. हमें तो सोचा था की,
    कविताई से हो गया,
    आपका मोह भंग सा !
    आगे से यादों को ,
    रखना संभाल कर,
    वर्ना आपके महीने भर तक,
    नहीं लिखने का हमें होगा,
    रंज सा ...

    बाकी कविताई बढ़िया,
    हमेशा की तरह,
    समझिये तय फैसला
    सरपंच सा ;)

    लिखते रहिये ....

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  2. बहुत सुन्दर पोस्ट!
    रचना बहुत सशक्त है!

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  3. khoobsoorat nazm kahi hai parul.. Bahut khoob :)

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  4. एक याद का पुर्ज़ा , गुम सा , नम सा ,
    खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  5. ढूढंता था फिर उसको
    तुम्हारे ठिकाने तक
    खुद को खोने तक
    उसको पाने तक
    चमकता था फिर जाकर कहीं
    xxxxxxxxxxxxxxx
    अस्तित्व की झलक ...........बेहद प्रभावी रचना ...शुक्रिया

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  6. यादों के पुर्जों में कितनी ही धूल चढ़ जाये, झड़ जाती है, जब यादों के बवंडर उठते हैं।

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  7. itna bada antral..........
    sashakt lekhan......

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  8. itna bada antral..........
    sashakt lekhan......

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  9. आपकी कविता काफी बेहतरीन है.सुंदर प्रस्तुति........
    सृजन शिखर पर -- इंतजार

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  10. khoobsurat se bhi jyada khubsurat koi shabd ho to wo hi wali baat hai ji....

    kunwar ji,

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  11. याद का पुर्जा ........बहुत खूब ...........यादों के साये हमेशा हमराह बन चलते हैं ....

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  12. हो आता था शायद
    तुम तक
    और जाता था
    इस कदर थक
    कि मिलता नहीं था मुझको
    हो जाता था कहीं गुम सा
    यादों के पुर्जे ऐसे ही छकाते हैं... परेशान कर देते हैं. यादों के पुर्जे कहाँ-कहाँ घूम आते हैं...
    सुन्दर कविता !

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  13. bahut khoob....
    nice poem
    check my blog also
    http://iamhereonlyforu.blogspot.com/
    in this blog at my poem tab you can see poems written by me

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  14. खूबसूरत लिखा है -
    सुंदर कल्पना

    -ढूढंता था फिर उसको
    तुम्हारे ठिकाने तक
    खुद को खोने तक
    उसको पाने तक
    चमकता था फिर जाकर कहीं
    वो नम सा !

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  15. खूबसूरत अभिव्यक्ति.

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  16. पारुल जी, आपकी हर रचना में एक खूबसूरती, एक नयापन हमेशा होती है ... आपकी रचनाओं से ये साफ़ दीखता है कि आप केवल टिप्पणी पाने के लिए नहीं लिखती हैं बल्कि कुछ अच्छा लिखने के लिए लिखती हैं ...

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  17. पारुल जी,

    सबसे पहले तो ये शिकायत है की आपने इतने दिनों बाद पोस्ट क्यों डाली, काफी अरसा हो गया है आपको पड़े हुए......

    रचना हर बार की तरह लाजवाब है.......खुबसूरत अहसास भरे ख़ूबसूरत नज़्म.......एक बार मैंने अभी गौर की है की आप अपनी पोस्ट में जो तस्वीरें लगाती है वो हमेशा पेंटिंग्स ही होती है.......इसके पीछे कोई कारण है क्या?

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  18. पारुल जी,

    सबसे पहले तो ये शिकायत है की आपने इतने दिनों बाद पोस्ट क्यों डाली, काफी अरसा हो गया है आपको पड़े हुए......

    रचना हर बार की तरह लाजवाब है.......खुबसूरत अहसास भरे ख़ूबसूरत नज़्म.......एक बार मैंने अभी गौर की है की आप अपनी पोस्ट में जो तस्वीरें लगाती है वो हमेशा पेंटिंग्स ही होती है.......इसके पीछे कोई कारण है क्या?

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  19. अबकी काफी समय लिया आपने .....पुर्जा को ढूढने में !

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  20. रसीदी टिकट है आपका यह पुर्जा.

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  21. बहुत खूब .....
    बहुत सुन्दर रचना

    आभार / शुभ कामनाएं

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  22. सुन्दर रचना के लिए साधुवाद!

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  23. अरे वाह...
    यह तो बहुत सुन्दर रचना है!

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  24. किसी अनजानी गर्द में
    किसी अजनबी की धुल में
    लग गया था वो मेरे अक्स में
    एक जंग सा !

    this lines are superb
    mujhe kisi ki yaado main bhej dia in lines ne

    its been a long time you visit my blog
    hope you will find some time to see and comment on my posts.

    http://seemywords-chirag.blogspot.com

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  25. बहुत सुन्दर पोस्ट!

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  26. yaado ke purzo ko apni yaadaasht ka paani deti raho.

    sunder manbhaavan rachna.

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  27. एक याद का पुर्जा था
    बेरंग सा
    फिरता था आहों की गलियों में
    बस तंग सा !
    ढूढंता था फिर उसको
    मैं तोड़ता था
    और इंतज़ार करता था
    मैं खुद को भी कहीं भी
    रख देता था
    लग गया था वो मेरे अक्स में
    एक जंग सा !

    साहब !!
    जिन्दगी जंग है
    इसलिए जंग लगी रहती है।

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  28. नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...

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  29. u have ur facebook a/c so send me please

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  30. मजाल जी के साथ .....
    याद का पुर्जा
    अपनी कार में फिट कर लीजिये ....

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  31. एक याद का पुर्ज़ा , गुम सा , नम सा ,
    ......lekin dil ko chhoo sa gaya

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  32. beautiful blog.beautiful thoughts!

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  33. itne khamosh na rahiye
    jaldi hi phir kuch kahiye! :)
    nav varsh aapke liye behad sukhad ho!

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  34. कोमल भाव की रचना .. एहसास के धरातल पर स्मृतियाँ बिना आहट की प्रकट होती है और फिर ....

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  35. बहुत दिनों बाद आया हूं आपके ब्लॉग पर, सोचा था काफी सारी चीजें पढने को मिलेंगी मगर खुश हुआ कि आप भी हम जैसी ही निकली...। ज्यादा नहीं छूटना भी राहत दे जाता है क्योंकि कविता पढने का आनंद कम से कम मुझे, तभी मिलता है जब दो रचनाओं में अंतराल हो..। ऐसा ही हुआ।
    'पुर्जा'मानों हवा का कोई झौंका हो..जो इधर-उधर से आ आ कर बार बार झकझोरता है..। आपकी रचनायें पढने का यही आनंद

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  36. !!!!!
    And yes! Hope, Health and Happiness in this new year for you!
    Ashish

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  37. kahan se aisee soch?? kya kahne hain...yaadon ka purja tha...berang sa...!!

    bahut pyari rachna...

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  38. मकर संक्राति ,तिल संक्रांत ,ओणम,घुगुतिया , बिहू ,लोहड़ी ,पोंगल एवं पतंग पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं........

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  39. जय श्री कृष्ण...आप बहुत अच्छा लिखतें हैं...वाकई.... आशा हैं आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा....!!

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  40. Hamein aapke lekh achche lage! Ish Post ke liye Aabhar!
    .
    Ek nadi (river) ka naam? Ek ladki ka naam? Ek phool ka naam? Ek film ka naam? in 4 sawalo ka ek hi answer hai, Per wo kya hai! ye aap bataiye...

    Aise hi rochak sawalo, mahetvpoorn jankariyo, mere vicharo aur aapke manoranjan ki saari cheeje jaise kahaniya, chutkule, shayriyaan aadi bahut kuchh hamare blog me uplabdh hai!

    Kripya apna bahumooly samay dekar hamare blog ko bhi padhne ka kasht karein!
    Hamare blog ka pata hai -
    anmolji.blogspot.com

    aasha hai ki aap mujhe niraas nahin karenge!

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  41. KIDHAR HAIN AAP ... BAHUT DIN HO GAYE KOI RACHNA PADHE AAP KI ...

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  42. बेहद ख़ूबसूरत हैं ये पुर्ज़े

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  43. पारुल जी
    नमस्कार !

    बहुत विलंब से पहुंचा हूं , क्षमा चाहता हूं ।

    पूरी रचना बहुत शानदार है …

    याद का पुर्ज़ा बिंब पहली बार देखने में आया है … समझने का यत्न कर रहा हूं ।


    ~*~ हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !~*~
    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  44. बहुत खूब...
    पर उस जंग को हटा दीजिये...
    और फ़िर से सजाइए... बनाइये कुछ नया...

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  45. आपकी कविता काफी बेहतरीन है|आभार|

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  46. kya kahun bahut der se aapki is kavita par atka sa hua hoon. kavita ke shabdo ne mujeh nishabd kar diya hai , kuch yaado ne phir dil par dastak di hia ...


    badhayi

    -----------
    मेरी नयी कविता " तेरा नाम " पर आप का स्वागत है .
    आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने कमेन्ट से इसे अनुग्रहित करे.
    """" इस कविता का लिंक है ::::
    http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
    विजय

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