Sunday, July 19, 2009

बाकी है!


जागे हो तुम ,सोये नही और कहते हो रोये नही
ऐसा क्यों लगता है जैसे अभी होनी और बरसात बाकी है
ख्वाबों को और डूबना है अभी
कि अभी तो आधी रात बाकी है॥
ऐसा न हो आँसू में चुपके से कोई ख्वाब सरकने लगे
और आँखें उसे ढूंढते ढूंढते यूं भी थकने लगे
लम्हा कोई नमकीन सा,जिंदगी की मिठास में पनपने लगे
अब दर्द से और कौन सी कहनी बात बाकी है?
रूठी सी खामोशियों को अभी मनाकर आया हूँ मैं
और रूठे से लफ्जों को अभी सुलाकर आया हूँ मैं
चलने दे जब तलक चलता है आंखों से आंखों का सिलसिला
अभी तो कहने सुनने को जिंदगी भर की बात बाकी है॥
मैंने तेरे, जिंदगी को लिखे आज सरे ख़त पढ़े
और मुझको मिले तेरे तन्हा से लम्हे बड़े
जो शायद आज तक थे तेरे मेरे दरम्यान खड़े
पर अब यकीं रखता हूँ मैं कि हमारा साथ बाकी है॥

8 comments:

  1. बहुत ही ख़ूबसूरत रचना है!

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  2. बहुत अच्छी कोशिश...अच्छा लगा पढ़कर

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  3. bhawanao me dubi khayal jaha sirf mahboob ki yaade baaki hai......

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  4. ख्वाबों को और डूबना है अभी
    बहुत सुन्दर भावो की प्रवाहमय रचना.

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  5. Parul,
    apkee har rachana men ek nayee tajagee miltee hai...sundar rachana.
    Poonam

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