Wednesday, January 7, 2009

मुश्किल!!


क्यों लग रहा है ऐसा,जिंदगी मुश्किल सी है
करीब आकर भी जैसे दूर अभी मंजिल सी है
सोच में अपनी इस कदर उलझा हु मैं
एक एक उम्मीद महसूस होती बोझिल सी है ..
कब तलक और कहाँ तक ये सिमटे दायरे
जहाँ तन्हाई बस मेरी कातिल सी है ...
बन गया हु एक जिन्दा लाश अब तो मैं
जिंदगी की जगह मौत जैसे हासिल सी है ..
ख्वाब मेरे रो रहे है मेरी नाकामी पर
मेरी ख्वाहिशें इतनी क्यों बुस्दिल सी है ...
पढ़ नही पा रह हु अपनी लिखी इबारतें
लफ्जों में भी जैसे कोई साजिश शामिल सी है ..
मैं खेलने लगा आख़िर यूं ख़ुद से क्यों
गुनाह करने की हसरत जैसे जिन्दा दिल सी है .

11 comments:

  1. "पढ़ नही पा रह हु अपनी लिखी इबारतें
    लफ्जों में भी जैसे कोई साजिश शामिल सी है .."

    क्या खूब कहा आपने| लाजवाब|

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  2. आपकी पिछली सभी रचनाएँ पढ़ी आप बहुत उम्दा कवियत्री हैं!

    ---मेरा पृष्ठ
    चाँद, बादल और शाम

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  3. रचना बहुत ही भावः पूर्ण हैं पारुल,ईश्वर करे की इतना दुःख किसी की जिंदगी में न आए

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  4. पारुल जी,
    बढ़िया लिखती हो आप. मैं तो आपका कायल हूँ. बस, ऐसे ही लिखती रहो.

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  5. मुझे बडा कनफ्यूजन होता है जब एक लडकी को लडके की व्यथा लिखते देखता हूँ :) काफी दिन से गौर किया है आज ही नहीं :)

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  6. sach bahut khubsurat rachana hai badhai.har sher lajawab.

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  7. bahut hi acchi rachna lagi....bahut accha likha hai aapne...

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  8. उम्मीद बोझ लगती है,
    सपना दर्द देता है
    सांस सोग लगती है,
    आंसू उदास है

    क्यों जिंदगी यों ठगती है,
    मौत को कौन कर्ज देता है
    पी लिये सभी जहर
    अभी भी, क्या ये आस है

    बुज्दिली मेरी न पूछो
    ख्वाहिशें गर्भपात हैं
    सब सर्द कर देता है
    ये कैसा जादू खास है

    गुनाह, आंखें मंूद लेना
    अंधेरों की गर्माइश में
    कोई ऐसे भी मर्ज सेता है
    या मेरा होना कयास है

    लफ्जों की सारी साजिशें
    मेरी बेहोशी में थी निहां
    कब्र तक तो पहुंचा-सा
    अब किसका पास है

    शायद आपका महसूस किया, मैंने भी किया।

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  9. वही कवि या कवियत्री धन्य होता है जो बिना लाग-लपेट के अपने भाव दूसरे को प्रेषित करने में सफल हो। आपकी लेखनी में भी यह जादू है। आप मन की भावनाओं को सरल शब्दों में बयां कर सकने में सक्षम हैं।
    http://merichopal.blogspot.com/

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  10. Parul ji,
    Maine apkee Mushkil...kavita padhi.achchhee rachna hai.Lekin ...itnee nirasha kyon..?
    Jindagee to bahut khoobsurat hai ..iskee sundarta ko bhee apnee rachnaon men laiye.Shubh kamnayen.
    Poonam

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