When emotions overflow... some rhythmic sound echo the mind... and an urge rises to give wings to my rhythm.. a poem is born, my rhythm of words...
Monday, December 29, 2008
समझ !!
न जाने कब जुड़े हम
और कब बिछड़ गए
जिंदगी बुनते बुनते
उलझनों में पड़ गए !!
कहने को थे हमसफ़र
पर थी नही इतनी ख़बर
चलते चलते दोनों के
रास्ते ही बदल गए !!
साथ होकर भी उतने ही तन्हा थे
संग होकर भी न जाने हम कहाँ थे ?
दोनों के बीच न जाने कब बढे फासले
हमसे बहुत दूर हमारे सपने निकल गए !!
एक अजनबी से मोड़ पे फिर से हम टकरा गए
दो पल के लिए मन एक दूजे के पास आ गए
नादान थे ये न समझ पाए,जब एक दूजे से टकराए
कि इस मुलाकात में दिल टूट कर बिखर गए !!
आंखों में कुछ चुभा भी था
दोनों ने संग ढूंढा भी था
वो टूटे ख्वाबों के टुकड़े
बहकर न जाने किधर गए ?
बरसों बाद आंसू छलके थे
आज दो दिल बहुत हल्के थे
ये महसूस करके कि
वो तन्हा से लम्हे मर गए !!
Bahut badhiya.
ReplyDeleteकहने को थे हमसफ़र
ReplyDeleteपर थी नही इतनी ख़बर
चलते चलते दोनों के
रास्ते ही बदल गए !!
bahut he badihya likha hai
जिंदगी बुनते बुनते
ReplyDeleteउलझनों में पड़ गए !!"
बहुत खुबसूरत पंक्तियाँ| सच है जिंदगी की उलझन होती ही ऐसी है|
आपकी उलझन महसूस कर,
हम सोच में पड़ गए!|
सुंदर कविता
ReplyDeleteअति सुंदर
ReplyDeleteबरसों बाद आंसू छलके थे
ReplyDeleteआज दो दिल बहुत हल्के थे
bahut khoobsurat
jindgi bunte------ bahut baria likha hai bdhaai
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletebahut khub
ReplyDeleteबढ़िया है.
ReplyDeleteदेखिये मिलना बिछडना लगा रहता है लेकिन दोनो ओर ईमानदारी हो तो बिछडने के बाद मिलना बहुत अच्छा लगता है। लेकिन आपकी कविता से यही लगता है आप बहुत दुखी हैं। देखिये यह सब कुछ किताब के पन्नों तक सीमित रहे तो बढिया है नहीं तो जिंदगी तबाह हो जाती है।
ReplyDeleteदेखिये मिलना बिछडना लगा रहता है लेकिन दोनो ओर ईमानदारी हो तो बिछडने के बाद मिलना बहुत अच्छा लगता है। लेकिन आपकी कविता से यही लगता है आप बहुत दुखी हैं। देखिये यह सब कुछ किताब के पन्नों तक सीमित रहे तो बढिया है नहीं तो जिंदगी तबाह हो जाती है।
ReplyDeleteParul ji,
ReplyDeletefir se ek bahut hee bhavnatmak kavita ke liye badhai,shubhkamnayen.Main apko writing field men carrear ke liye suggetion to de sakta hoon...and ican gide u also but i dont know how?
Hemant Kumar
न जाने कब जुड़े हम
ReplyDeleteऔर कब बिछड़ गए
जिंदगी बुनते बुनते
उलझनों में पड़ गए !!
इसके आगे पढ नही पाया .. एक तस्वीर हजार अल्फ़ाजों से ज्यादा होती है और आपकी तो यकीनन दस हजार अल्फ़ाजों से ज्यादा है.
माफ करियेगा लेकिन आपकी तस्वीर आपके ब्लोग से ज्यादा खूबसूरत है.