Thursday, November 27, 2008

तमन्ना!!


मैं नही औरों की तरह
आसमा के लिए !
मैं बुनना चाहता हू तेरे संग
कुछ इस जहाँ के लिए !!
अपनी खामोशी में
मेरे भी कुछ लफ्ज़ घोल लो !
शायद कुछ खूबसूरत हो
एक नई दास्तान के लिए !!
मैं तुम्हारी सादगी में
देखता हू बहुत कुछ !
तुम्हारी अनदेखी काफी नही
मगर इस खता के लिए !!
कि एक बार अपनी मासूमियत से
परदा उठा लो !
इतना अजनबी होना अच्छा नही
बेवजह के लिए !!
मेरी बेकरारी को
तेरे सुकून की है ख़बर !
कुछ न कुछ मुकरर है
मेरी सजा के लिए !!
ये इश्क है तेरा
या की है कोई सितम !
कि दिल तरसने लगा है
अब एक "आह" के लिए !
पर मैं इल्जाम न दूंगा
अगर थोड़ा रहम खाओ !
इतना फासला भी अच्छा नही
हर जगह के लिए !
न ख़्वाबों की तमन्ना
न उम्मीद से जुस्तजू
मांगता हू रब से तुम्हे
अपने खुदा के लिए !!

3 comments:

  1. Parulji,
    Apki Tadap,Tamanna donon he rachnaen padhee.Donon hee dil ko gahraiyon tak chchoone vali han.Padh kar tareef karne ka man hua..shabdon se isee tarah khelna jaree rakhiye.Hardik badhai.
    Hemant Kumar

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