Friday, May 31, 2013

कुछ..!



कुछ आढे-तिरछे दिनों का
यूँ तितर-बितर होना !
वो तेरी मासूम गिनती में
फिर से चाँद का 'सिफ़र' होना!
सोचता हूँ कुछ रोज़ के कलमे
तेरे चेहरे पे गढ़ दूँ
नही अच्छा, इबादत में
किसी मजहब का डर होना!
वो कुछ धूप के किस्से
वो कुछ छाँव के हिस्से
कहाँ होता है इस तरह
ख़त जिंदगी का,मयस्सर होना!
वो कतरी नींद के छिलके
वो अनमने से बुलबुले दिल के
बहुत ही शोर करता है
तुझमें शहर होना!
वो फिर से आँखों में फैले
ऐसी इक रात से पहले
रोक सकता है भला कौन
तन्हाई का बहर होना!
नज़्म अब हूक भरती है
सुना है इश्क करती है
बड़ा पेचीदा सा अफसाना है
लफ़्ज़ों की उमर होना!



25 comments:

Madan Mohan Saxena said...

Simply superb. good one. Plz visit my blogs

vandana gupta said...

आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(1-6-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
सूचनार्थ!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

नज़्म अब हूक भरती है
सुना है इश्क करती है
बड़ा पेचीदा सा अफसाना है
लफ़्ज़ों की उमर होना!

बहुत खूब,लाजबाब प्रस्तुति,,

Recent post: ओ प्यारी लली,

Anupama Tripathi said...

lajawab ....

Jyoti khare said...

"कुछ"वाकई इस कुछ में कुछ तो जरुर है
प्रेम का महीन अहसास कराती
सुंदर रचना
बहुत खूब
बधाई

आग्रह हैं पढ़े,मेरे ब्लॉग का अनुसरण करें
तपती गरमी जेठ मास में---
http://jyoti-khare.blogspot.in

Majaal said...

आप तो गुलज़ार की पक्की शार्गिद लगती है , यूँ ही लिखती रहीं तो उनकी उम्र तक उनको भी देंगी, जिसे अंग्रेजी में कहते है, ' रन फॉर हिज मनी ' :)

लिखते रहिये .....

ओंकारनाथ मिश्र said...

बहुत खूबसूरत नज़्म. यही लफ्ज़ है..एक बार निकले क्या, उनकी प्रतिध्वनि मन को गुंजायमान रखती हैं.

Neeraj Neer said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक का प्रसारण सोमवार (03.06.2013)को ब्लॉग प्रसारण पर किया जायेगा. कृपया पधारें .

Neeraj Neer said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक का प्रसारण सोमवार (03.06.2013)को ब्लॉग प्रसारण पर किया जायेगा. कृपया पधारें .

Anonymous said...

superb as usal...







vartika!!

दिगम्बर नासवा said...

ख्यालात की उड़ान कब कहां रोकती है किसी को नहीं पता होता ... ऐसी नज़्म जबरन ले जाती है खयालों में ...
बहुत ही लाजवाब ...

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत ख़ूब

विभा रानी श्रीवास्तव said...

बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति

राहुल said...

एक-एक शब्द एहसास से सराबोर.... आपकी सभी रचनाएं अन्दर तक उमड़ती है......

संजय भास्‍कर said...

बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......

kavita verma said...

khoobsurat abhivyakti ...

Unknown said...

Among all the blogs that I read or have come across, you have remained my favorite poet and this poem voices numerous reasons for the same. Beautiful expression and a rhythm that draws one into the poem and ideas that make you lose yourself in them. Keep writing.

-Abhijit (Reflections)

Onkar said...

सुन्दर

इमरान अंसारी said...

सुभानाल्लाह.........खुबसूरत नज़्म।

wordy said...

bahut umda likha hai!!

Rahul Kumar said...

Very nice...had to read twice to get the intent..

ANULATA RAJ NAIR said...

खूबसूरत....
बेहद खूबसूरत......

अनु

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

बहुत उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
@मेरी बेटी शाम्भवी का कविता-पाठ

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

"नज़्म अब हूक भरती है
सुना है इश्क करती है
बड़ा पेचीदा सा अफसाना है
लफ़्ज़ों की उमर होना!"
कई पंक्तिया शानदार लगीं...एक बेहतरीन रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई...
@मानवता अब तार-तार है

Aditya Tikku said...

utam-***