नींद की हथेली पर
एक ख्वाब रख गए थे तुम
या कि मेरी उम्र का
हिसाब रख गए थे तुम!
यूँ भी कुछ नमकीन था
तेरा अनकहा आफरीन था
ख़ामोशी की आह पर
एक किताब लिख गए थे तुम!
हरफ-हरफ जैसे बरस
मैं देर तक जीता गया
जिंदगी के सवाल पर
शायद एक जवाब रख गए थे तुम !
सुलगी तिल्ली रात की
और चाँद जैसे जल उठा
जानता हूँ वो बदरंग हुआ
तो नीला नकाब रख गए थे तुम !
67 comments:
ultimate!
यादों की शायरी,
आपकी बहुत उम्दा है,
लगता है उनकी याददाश्त,
बहुत साफ़ रख गए थे तुम ...
लिखते रहिये ....
thanks for your nice cooments with regards
bahut hi sundar rachna you have a golden pen badhai aadab
सुन्दर !
Bahut Sundar rachna
5.5/10
सुन्दर नज़्म
अच्छा लगा पढ़कर
shabd bahut acche chune hain, zara kasaawat mein kami lagi, kavita ko bhatakne mat dijiye.
:)
शायद एक जवाब रख गए थे तुम !
सुलगी तिल्ली रात की
और चाँद जैसे जल उठा
जानता हूँ वो बदरंग हुआ
तो नीला नकाब रख गए थे तुम !
..बहुत ख़ूबसूरत...ख़ासतौर पर आख़िरी की पंक्तियाँ....मेरा ब्लॉग पर आने और हौसलाअफज़ाई के लिए शुक़्रिया..
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
--
आपकी रचना का लिंक बुधवार के
चर्चा मंच पर लगा दिया है!
--
http://charchamanch.blogspot.com/
सुलगी तिल्ली रात की
और चंद जैसे जल उठा..
खूबसूरत पंक्तियाँ..
lajawab.........मैं देर तक जीता गया......ye pankti confuse karatee hai...........
:))
Bohot khoob....
सुलगी तिल्ली रात की
और चाँद जैसे जल उठा
जानता हूँ वो बदरंग हुआ
तो नीला नकाब रख गए थे तुम !
बहुत सुन्दर भाव भरे हैं।
नींद की हथेली पर
एक ख्वाब रख गए थे तुम
या कि मेरी उम्र का
हिसाब रख गए थे तुम!
वाह पारुल जी दिल को छु गई रचना
gajb ki kalpna shakti hai aapki..bahut hee khoobsurat rachna
जो भी लिखा, लाज़बाब लिख गये तुम।
ओये होए क्या बात है...इतनी बेहतरीन तुकबंदियों वाली शायरी...मुझसे ये नहीं होता ...बहुत ही ख़ूबसूरत..
ओये होए क्या बात है...इतनी बेहतरीन तुकबंदियों वाली शायरी...मुझसे ये नहीं होता ...बहुत ही ख़ूबसूरत..
वाह................अद्भुत लिखा आपने
गज़ब की नज़्म हुई है
बहुत बधाई !
beautiful thoughts.... bahut achha likha hai ...
likhne ka shalika, aur bhav dono achche hain...
beautiful words...parul
नींद की हथेली पर
एक ख्वाब रख गए थे तुम
या कि मेरी उम्र का
हिसाब रख गए थे तुम!
sunder rachna hetu abhaar.
.. या कि मेरी उम्र का हिसाब रख गए थे तुम... बहुत खूब।
superb!!......ek ek shabd bolte hain!!
पारुल जी,
सिर्फ एक लफ्ज़.........सुभानाल्लाह .......उर्दू अदब की सारी खूबसूरती समेटे एक बेहतरीन ग़ज़ल.........सुभानाल्लाह
bahut hi umda lekhan...suparb.
bahut hi umda lekhan...suparb.
ultimate.......i hv no world!! isse khoobsurat kavita nhi padi !
its so romantic ...i must say!!
Jai Ho mangalmay Ho
ultimate.......i hv no world!! isse khoobsurat kavita nhi padi !
its so romantic ...i must say!!
Jai Ho mangalmay Ho
aapki anumati ho to m iss kavita ko apne blog pr publish karna chahta hu .....
वाह वाह वाह....लाजवाब !!!!
बहुत ही सुन्दर रचना जो मन को छू कर आनंदित कर गयी...
पढवाने के लिए बहुत बहुत आभार !!!
sunder hai
Bahut sundar bhavon ki behatareen abhivyakti.....
यूँ भी कुछ नमकीन था
तेरा अनकहा आफरीन था
ख़ामोशी की आह पर
एक किताब लिख गए थे तुम!
पूरी नज़्म बहुत खूबसूरत ....सवाल जवाब सी ...
राह-ए-ब्लॉग से गुज़रा तो यूँ लगा मुझको,
मेरे वास्ते ही अदना आदाब रख गये थे तुम...
राह-ए-ब्लॉग से गुज़रा तो यूँ लगा मुझको,
मेरे वास्ते ही अदना आदाब रख गये थे तुम...
Very nice.
ख्यालों का मंजर बहुत सुन्दर है, आप इसी तरह ख्यालों दे दीप जलातें रहें बहुत - बहुत शुभ कामना
पारुल जी,
मेरे ब्लॉग जज़्बात....दिल से दिल तक....... पर मेरी नई पोस्ट जो आपके ज़िक्र से रोशन है....समय मिले तो ज़रूर पढिये.......गुज़ारिश है |
क्या कहूँ, इतनी सुन्दर और कोमल रचना है कि दिल खुश हो गया पढकर !
वाह क्या बात है .
नींद की हथेली पर
एक ख्वाब रख गए थे तुम
या कि मेरी उम्र का
हिसाब रख गए थे तुम!
सुंदर नज़्म ....
नींद की हथेली पर
एक ख्वाब रख गए थे तुम
या कि मेरी उम्र का
हिसाब रख गए थे तुम!...
गज़ब के अलफ़ाज़ हैं ... बहुत ही प्यारी नज़्म ... धीरे धीरे अपने अन्दर उतार लेती है ...
कमाल का लिखती हैं आप ...
बहुत ही खूबसूरत दिल में उतरती चली गई कविता.
वाह वाह .....बहुत सुन्दर
"मैं - तुम "
बहुत बढ़िया
"मैं - तुम "
बहुत बढ़िया
bahot sunder likhtin hain aap.
भावनाएं अच्छी हैं किंतु आप सुंदर महिला हैं इस नाते झूठी प्रशंसा नहीं करुंगा , अभी रचना प्रवाह में सुधार की जरूरत है । फिर भी, बधाई
पारुल जी,
जज़्बात....दिल से दिल तक पर मेरी नई पोस्ट जो आपके ज़िक्र से रोशन है....समय मिले तो ज़रूर पढिये.......गुज़ारिश है|
very beautiful poem ..
ख़ामोशी की आह पर
एक किताब लिख गए थे तुम!
और शायद हर किताब के पीछे की यही कहानी है.
सुन्दर
तेरा अनकहा आफरीन था
ख़ामोशी की आह पर
एक किताब लिख गए थे तुम!
क्या खूब लिखा आपने...सुंदर शब्द और भाव भी..बधाई स्वीकारें
बहुत खूबसूरत है ये नकाब।
---------
सुनामी: प्रलय का दूसरा नाम।
चमत्कार दिखाऍं, एक लाख का इनाम पाऍं।
teri paintings itani bhali lagi betaa
ke binaa padhe hi tujhe comment kar rahaa hoon...
शब्द चयन कठिन होता है पर आप सिद्ध हस्त निकलीं
वाह क्या बात है
सादर
ताज़ा पोस्ट विरहणी का प्रेम गीत
beautiful..
good, good,good.
Awesome. Just stumbled on your blog but it was worth it.
Keep penning! Meri yehi chah hai ki aapke kalam me syah kabi khatam na ho. Just tried to say it in hindi though i have lost the hold over this beautiful language.
Bahut badhiya parul... good one :) :)
man aagan men subah ho gai....kalam se toot angdai le shabd safed dhoop se ujle panne par kya khoob bikhre hain...har baat saagar ke samaan geheri hai....par is saagar ke kinaare bohot shant mehesoos hote hain....
नींद की हथेली पर
एक ख्वाब
मेरी उम्र का
हिसाब
कुछ नमकीन
ख़ामोशी की आह
एक किताब
हरफ-हरफ जैसे बरस
जिंदगी के सवाल पर
शायद एक जवाब
चाँद जैसे
नीला नकाब ?
वाह जनाब !!
हर्फ़ दर हर्फ़
लाजवाब !!!!!!
excellent
excellent
excellent
ब्लाग जगत की दुनिया में
आपका स्वागत है। आप बहुत
ही अच्छा लिख रहे है। इसी तरह लिखते
रहिए और अपने ब्लॉग को आसमान
की उचाईयों तक पहुंचाईये
मेरी यही शुभकामनाएं है आपके साथ
‘‘ आदत यही बनानी है ज्यादा से
ज्यादा (ब्लागों) लोगों तक
ट्प्पिणीया अपनी पहुचानी है।’’ हमारे
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
हमारे ब्लॉग का पता निम्न है
anmolji.blogspot.com
हमारे ब्लॉग का उद्देश्य
लोगोँ को जानकारी देना तथा लोगोँ के
विचारोँ को अन्य लोगोँ तक
पहुँचाना है।
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